टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : चंपाई सोरेन को रिप्लेस करने वाले पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला से विधायक रामदास सोरेन को हेमंत 2.0 मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. उन्हें पूर्वी सिंहभूम से JMM का दूसरा सबसे बड़ा नेता कहा जाता है. कहा जाता है कि रामदास सोरेन की आदिवासी समाज के बीच एक अलग ही पैठ है. तो आइए आज उनके राजनीतिक करियर के बारे में विस्तार से बात करते है.
ऐसे हुई थी राजनीतिक करियर की शुरूआत
हेमंत सोरेन के जेल से आने के बाद जब वो दुबारा मुख्यंमंत्री के पद पर काबिज हुए थे और चंपाई सोरेन ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था तब हेमंत कैबिनेट में रामदास सोरेन की एंट्री हुई थी, और उन्हें जल संसाधन मंत्री बनाया गया था. हालांकि राजनीतिक करियर की बात करें तो रामदास सोरेन ने 2005 में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े, लेकिन वो हार गए. इसके बाद उन्होंने 2009 में झामुमो के टिकट पर घाटशिला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.
रामदास सोरेन 2009 में ही पहली बार विधायक बने थे. फिर 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मण टुडू ने रामदास सोरेन को हरा दिया. फिर 2019 के विधानसभा चुनाव में जनता ने उन्हें दूसरी बार घाटशिला से जीताकर विधानसभा पहुंचाया, लेकिन उन्हें कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया. 2024 विधानसभा चुनाव में अब उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली.
शिबू सोरेन के साथ की थी आंदोलन
यहां बताते चलें कि रामदास सोरेन ने राजनीति की शुरुआत शिबू सोरेन के साथ ही आंदोलन करके की थी. जब झारखंड के अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन हुआ तो उस समय रामदास सोरेन सक्रिय भूमिका में रहे थे. इस दौरान वे कई बार जेल भी गए थे. 2024 के विधानसभा में जीत दर्ज कर रामदास सोरेन दोबारा हेमंत कैबिनेट में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग और निबंधन मंत्री बने हैं.
संथाल आदिवासी समुदाय से आते हैं रामदास सोरेन
रामदास सोरेन संथाल आदिवासी समुदाय से आते हैं. यहां बता दें कि उसी समुदाय से चंपाई सोरेन भी आते हैं, इसके अलावा उन्हें चंपाई सोरेन का करीबी भी माना जाता है. 1 जनवरी 1963 को जन्मे रामदास सोरेन एक मध्यम वर्गीय परिवार से हैं. उन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई की है. वे तीन बार विधानसभा के लिए चुने जा चुके हैं. वे झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन को अपना आदर्श मानते हैं. रामदास सोरेन झामुमो के पूर्वी सिंहभूम जिला अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
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