टीएनपी डेस्क(TNP DESK): बैद्यनाथ राम (MLA Baidyanath Ram) झारखंड की राजनीति का वो चेहरा हैं जिन्हें लगभग सभी झारखंडवासी जानते होंगे. बैद्यनाथ राम वर्तमान में लातेहार विधानसभा सीट से जेएमएम की टिकट पर विधायक हैं. बता दें कि बैद्यनाथ राम राज्य के मंत्री भी रह चुके हैं. हालांकि, राजनीति में आने से पहले वो शिक्षक थे. शिक्षक से एकाएक राजनीति में वो कैसे पहुंचे, इस सफर के बारे में हम आपको इस स्टोरी में बतायेंगे. इसके अलावा उनका जीवन, परिवार से लेकर वर्तमान स्थिति पर भी चर्चा होगी.
बैद्यनाथ राम का पूरा परिवार
बैद्यनाथ राम के पत्नी का नाम सीमा राय है. दोनों के चार बच्चे हैं. दो बेटा जिसका नाम प्रभात और रंजीत हैं. वहीं, दो बेटियों का नाम सीमा और पूनम है. बैद्यनाथ राम के एक बेटे और एक बेटी की शादी हो चुकी है. वहीं, बड़ा बेटा राजनीति में पिता का सहयोग करता है.
बैद्यनाथ राम की शुरुआती जीवन
बैद्यनाथ राम का जन्म साल 1967 में लातेहार के ही परसही गांव में हुआ था. फिलहाल वो लातेहार शहर के शहीद चौक स्थित धोबी मोहल्ले में रहते हैं. बैद्यनाथ ने अपनी शुरुआती शिक्षा गांव से ही की. जिसके बाद उन्होंने मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई बालक उच्च विद्यालय, लातेहार से किया. जिसके बाद लातेहार के ही बनवारी साहू महाविद्यालय से राजनीतिक शास्त्र में ग्रेजुएशन की. वहीं, शिक्षा पूरी करने के बाद बैद्यनाथ राम लातेहार शहर में स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में शिक्षक बन गए. बतौर अध्यापक उन्होंने लगभग 3 सालों तक काम किया.
पहली बार JDU के टिकट से लड़ा था चुनाव
बता दें कि साल 2000 में बिहार से झारखंड अलग हुआ और इसी साल से बैद्यनाथ राम ने राजनीति में कदम रखा. उन्होंने सला 2000 में शिक्षक की नौकरी छोड़कर सियासत में हाथ आजमाया. पहली बार उन्होंने 2000 में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के टिकट पर लोहरदगा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. पहली बार चुनाव जीतने के बाद उन्हें सूबे का खेल मंत्री बनाया गया. हालांकि, बाद में मद्य निषेध मंत्री और फिर स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए.
फिर बीजेपी के हुए बैद्यनाथ
वहीं, साल 2005 में बैद्यनाथ राम ने जेडीयू छोड़ा और बीजेपी में शामिल हो गए, जिसके बाद साल 2005 विधानसभा चुनाव वो बीजेपी के टिकट पर लातेहार से चुनाव जीते और शिक्षा मंत्री बने. हालांकि, साल 2009 में उन्हें बीजेपी ने दोबारा टिकट दिया लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा, इन्हें आरजेडी के प्रकाश राम ने चुनावी शिकस्त दी. वहीं, साल 2014 का विधानसभा चुनाव बैधनाथ राम नहीं लड़े थे.
2019 में बीजेपी ने नहीं दिया टिकट तो जेएमएम में हुए शामिल
बता दें कि साल 2019 का विधानसभा चुनाव के दौरान बैद्यनाथ राम को बीजेपी से टिकट मिलने की उम्मीद थी. लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काटकर प्रकाश राम को उम्मीदवार बनाया. बैद्यनाथ राम को जब बीजेपी से टिकट नहीं मिला तो उन्होंने अंतिम समय में जेएमएम का दामन थामा और चुनाव जीत ली. हालांकि, चुनाव जीतने के बाद उम्मीद था कि उन्होंने मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी लेकिन वैसा हुआ नहीं.
काफी धार्मिक हैं बैद्यनाथ राम
बता दें कि विधायक बैद्यनाथ राम काफी धार्मिक बताए जाते हैं. एक न्यूज चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि जब वो पांच साल के थे तब से उनके घर में छठ महापर्व हुआ करता था. ऐसे में अभी तक शायद ही कोई साल होगा जब उनके यहां छठ महापर्व नहीं हुआ होगा. इसके अलावा भी विधायक अपने क्षेत्र के मंदिरों में दर्शन करने अकसर जाया करते हैं.
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