झारखंड का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स क्यों है लाइलाज? मंत्री, अधिकारी और डॉक्टर सब के सब फेल


TNP DESK- झारखंड का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रिम्स (RIMS) जहां हर दिन हजारों मरीज इलाज की उम्मीद लेकर पहुंचते हैं. लेकिन पिछले कई वर्षों में रिम्स लगातार सुर्खियों में रहा है. डॉक्टरों की कमी, उपकरणों का खराब होना, भ्रष्टाचार के आरोप और सिस्टम की टालमटोल. सवाल उठता है क्या झारखंड का सबसे बड़ा अस्पताल खुद ही बीमार हो चुका है?
आइए जानते हैं कि आखिर रिम्स “लाइलाज” क्यों दिखने लगा है?
1. स्टाफ की भारी कमी, डॉक्टर कम, मरीज ज्यादा
रिम्स पर हर दिन 10 हजार से 12 हजार OPD मरीजों का दबाव है. स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की बड़ी कमी है. कई विभागों में पोस्ट खाली है. नर्स और टेक्नीशियन की कमी से ICU/OT जैसी क्रिटिकल सेवाएं प्रभावित होती हैं. और फिर इलाज में देरी होती है जिसके बाद बड़े मामलों को या तो रिम्स रेफर कर देता है या मरीज़ मजबूरन प्राइवेट अस्पतालों की ओर भागते हैं.
2. खराब मशीनें और सुविधाओं की कमी
MRI, CT scan, Dialysis, Ventilator जैसी मशीनों के अक्सर खराब रहने की शिकायतें आती रहती हैं. टेंडर प्रक्रिया, मेंटेनेंस और सप्लाई सिस्टम इतना जटिल है कि मशीन ठीक होने में महीनों लग जाते हैं. इस वजह से मरीजों को बाहर भारी कीमत देकर टेस्ट कराने पड़ते हैं.
3. प्रबंधन की गड़बड़ी
रिम्स का प्रबंधन कई बार विवादों में रहा है.निदेशक बदलते रहते हैं. जिसकी वजह से प्रशासनिक निर्णयों में देरी होती है.
4. भ्रष्टाचार भी बड़ी वजह
रिम्स में खरीद प्रक्रिया, दवाइयों की सप्लाई, भर्ती और ठेके सभी में अनियमितताओं के आरोप समय-समय पर लगते रहे हैं.
5. भीड़ और अव्यवस्था
झारखंड के दूर-दराज़ के इलाकों में बेहतर अस्पतालों की कमी के कारण पूरा राज्य रिम्स पर निर्भर है.मरीजों की भारी भीड़, गेट पर दलालों की मौजूदगी, और वॉर्डों में अव्यवस्था इसे सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल नहीं बल्कि कुछ और ही बताता है.
6. बड़े -बड़े दावे के बाद भी नहीं होता काम
बार-बार घोषणा होती है. रिम्स को AIIMS बनाएंगे, नई बिल्डिंग बनाएंगे, स्टाफ की भर्ती करेंगे लेकिन ज्यादातर वादे अधूरे रह जाते हैं.
रिम्स लाइलाज नहीं लेकिन बीमार है. झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल में भी सुधार हो सकता है. जरूरत है सिस्टम की बीमारी को पहचानकर सही इलाज शुरू किया जाए. मंत्री, अधिकारी, डॉक्टर सभी को एक दिशा में काम करना होगा तभी रिम्स झारखंड के लिए उम्मीद का सबसे मजबूत केंद्र बन पाएगा.
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