टीएनपी डेस्क(TNPDESK): देश का सबसे अमीर राज्य झारखंड किसी खनिज का मोहताज नहीं है. झारखंड खनिज संपदाओं से भरा पड़ा है. इसके बावजूद यहां के मजदूर 50 और 100 रुपये की खातिर अपने जान की बाजी लगाकर काम करने को मजबूर हैं. यहां जितना वैध खनन होता है. उतना अवैध भी. यह किसी से छुपा नहीं है. आए दिन अवैध खनन के दौरान चाल धंसने से मज़दूर की मौत होती है.
लेकिन मौत के बाद कई परिवार केस के डर से शव को स्वीकार नहीं करते हैं. अवैध खनन के दौरान होने वाले हादसों में चाल धंसने के दौरान कई ज़िंदगी उसी में समा जाती है. रसूख का इस्तेमाल कर अवैध खनन करने वालों पर तो कार्रवाई नहीं होती है. लेकिन, उसमें काम करने वाले मजदूरों पर जरूर केस कर दिया जाता है. यही कारण है कि अवैध चाल धंसने से मौत के बाद भी लोग शव को पहचानने से इनकार कर देते हैं.
यह कहानी कोई नई नहीं है. खास कर कोयलांचल में कोयले का अवैध खनन जोर शोर से होता है. हर दिन हजारों टन कोयला निकाल कर बाहर भेजा जाता है. वह भी CISF और पुलिस प्रशासन के नांक के नीचे से, फिर भी उसे रोक नहीं पाते हैं. अवैध खनन में खदान से कोयला निकालने में सैकड़ो मजदूर को लगाया जाता है. मजदूर तो बेचारे दो पैसे के लालच में काम करने पहुंच जाते हैं. उन्हें अवैध और वैध से लेना-देना नहीं होता है. मजदूरों को बस पैसा कमाने से मतलब होता है. जिससे वह दिन भर काम कर वापस अपने घर लौटे तो उनके घर का चूल्हा जल सके.
आए दिन कोयलांचल में चाल धंसने से मज़दूर जान गंवाते हैं. जान गंवाने के बाद कई मज़दूर को कफ़न और मिट्टी भी नसीब नहीं होती है. शव की पहचान करने से भी मजदूरों के परिजन इनकार कर देते हैं. अगर अवैध खनन के दौरान हुई मौत के बाद शव की पहचान कर देंगे, तो उन्हें कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाना पड़ेगा. बस यही डर से अपने दिल पर पत्थर रख कर मजदूर के परिवार के लोग कबुल नहीं कर पाते हैं कि उनके परिवार का सदस्य कोई जान गवा चुका है. बस अंदर ही अंदर रोते और बिलखते रहते हैं.
अवैध चाल में सिर्फ अवैध खनन की कहानी नहीं दबती है. कई परिवार की खुशियां भी दब जाती है. सामने तो शव को पहचानने से इनकार कर देते हैं, लेकिन बाद में उसी जगह जा कर आंसू बहाते हैं. चीखते हैं, सोचते हैं कि आखिर पेट की आग बुझाने के लिए गया था. लेकिन वह खुद एक आग में समा गया. जहां अवैध चाल धंस गया, वहां कई कब्र बन जाती है. कई शव उस चाल में दफन हो जाते हैं. अगर आप कोयला नगरी में जाएंगे तो ऐसे कई परिवार मिल जाएंगे. जिसके परिवार का कोई ना कोई सदस्य नहीं है. लेकिन पुलिस के डर से कोई कुछ भी कैमरे के सामने बोलने से परहेज करता है. अगर जहां थोड़ा भी बता दिया कि उनके परिवार का कोई सदस्य अवैध चाल में दब कर मर गया है तो पुलिस उनके परिवार पर केस कर देगी.
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