रांची(RANCHI): झारखंड की राजनीति में हाल ही में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है, जिसने राज्य के राजनीतिक माहौल को हिला कर रख दिया है. तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और जमानत के बाद के घटनाक्रम ने राज्य में नई राजनीतिक चालों की शुरुआत कर दी है.जेल से निकलने के बाद हेमंत आक्रामक दिख रहे है. 148 दिन जेल में रहने के पीछे एक बड़ा सड़यंत्र बता कर हुंकार भर रहे है. साथ ही उलगुलान का नारा बुलंद कर विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया है. यह समय अपने आप में बेहद बड़ा है. हेमंत को जमानत ऐसे वक्त में मिली जब विधानसभा चुनाव दहलीज पर पहुँच गया है. अब जानना बेहद जरूरी है कि आखिर पिछले छह महीने में झारखंड में क्या हुआ. कैसे राजनीतिक घटनाक्रम में क्या कुछ बदलाव हुआ. इसकी शुरुआत कैसे हुई, और हेमंत की गिरफ़्तारी के पीछे का कारण क्या था.
सेना की जमीन से शुरू हुई जांच
दरअसल जमीन कथित घोटाले की जांच ईडी ने किया था. शुरुआत में बरियातु स्तिथ सेना की जमीन को फर्जी तरीके से खरीद बिक्री की जांच की.इस जमीन हेरा फेरि के मामले में कई जगहों पर छापेमारी भी हुई. जिसके बाद दर्जनों लोगों की गिरफ़्तारी हो गई.जब छापेमारी हुई तो एक बड़े जमीन घोटाले होने का दावा ईडी ने किया.इसके बाद कड़ी दर कड़ी जुडते हुए बड़गाई अंचल से जुड़ी हुई 8.86 एकड़ जमीन तक पहुँच गई. ईडी ने दावा किया की यह जमीन हेमंत सोरेन के कब्जे में है. जिसे पवार का इस्तेमाल कर कब्जा किया गया है.प्रवर्तन निदेशालय ने यह भी दावा किया कि इस 8.86 एकड़ जमीन पर एक मैरेज हॉल बनाने की योजना थी.
हेमंत को ईडी ने भेजा 10 समन
जांच की कड़ी को जोड़ने के लिए ED ने हेमंत सोरेन को समन भेज कर 14 अगस्त 2023 को पूछताछ के लिए बुलाया. लेकिन हेमंत सोरेन इस समन को दरकिनार कर ईडी दफ्तर नहीं गए वह अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में व्यस्त रहे. इसके बाद फिर 19 अगस्त को समन भेज कर 24 को हाजिर होने को कहा गया लेकिन हेमंत सोरेन का लेटर ED दफ्तर पहुंचा. ऐसा ही नौ समन तक चलता रहा. इस बीच हेमंत सोरेन कोर्ट पहुँच गए और इस समन को चुनौती दे दिया. लेकिन इसका जवाब कोर्ट में ईडी ने दिया. जिसके बाद आखिर कार हेमंत सोरेन को नौ समन भेजने के बाद ईडी ने पत्र लिख कर कहा कि आप समय जगह बताइए वहीं आपसे पूछताछ होगी.
नौ समन पर हेमंत ने दिया जवाब
इस बात पर हेमंत सोरेन ने जगह और समय निर्धारित करते हुए. मुख्यमंत्री आवास में सुबह 11 बजे आने को कहा गया. ईडी के अधिकारी कड़ी सुरक्षा के बीच मुख्यमंत्री आवास पहुँच कर हेमंत सोरेन से पूछताछ शुरू कर दिया.इस बीच अंदर हेमंत से पूछताछ चल रही थी की बाहर झामुमो के कार्यकर्ताओं का हुजूम जुटने लगा. देखते ही देखते हजरों की संख्या में कार्यकर्ता सड़क पर जुट गए.बीच सड़क पर बैठ कर हेमंत सोरेन के पक्ष में नारेबाजी करने लगे. इसके साथ ही CRPF से भरी बस मुख्यमंत्री आवास के पास पहुँचने लगी. ऐसा लगा की हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी हो सकती है. लेकिन ठीक नौ बजे ईडी के अधिकारी हेमंत से 10 घंटे पूछताछ करने के बाद निकल गए.
31 जनवरी को ईडी ने किया गिरफ्तार
ईडी के अधियाकरियों के जाने के बाद हेमंत सोरेन जनता के बीच पहुंचे. रात में ही चौक पर खड़े हो कर हुंकार भरा,उन्होंने अपने भाषण में साफ कहा था की एक षड़यंत्र रच कर परेशान किया जा रहा है. उन्हे बिना तर्क के सवाल ईडी के अधिकारी कर रहे है.कार्यकर्ताओं में जोश भरा और फिर अपने आवास में चले गए. लेकिन ईडी की ओर से फिर एक समन भेज दिया गया. जिसमें उनसे पूछताछ करने के लिए 31 जनवरी को ईडी की टीम दोपहर 11 बजे मुख्यमंत्री आवास पहुँच गई. इस बार पूछताछ लंबी नहीं चली महज पाँच घंटे के बाद ही हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया.इसके साथ ही झारखंड की राजनीति में एक भूचाल आ गया.
हेमंत की गिरफ़्तारी के बाद ऐसा लगा राज्य में लग जाएगा राष्ट्रपति शासन
गिरफ़्तारी से पहले हेमंत सोरेन ने बयान रिकार्ड किया था जिसे सार्वजनिक किया गया. जिसमें उन्होंने आरोप ईडी पर लगाया की बिना किसी साक्ष्य के सवाल किया जा रहा था. जिसका जवाब उनके पास नहीं था आखिर में उन्हे गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया.गिरफ़्तारी की खबर मिलते ही हेमंत सोरेन की ओर से विधायक दल का नया नेता की घोषणा भी कर दी गई थी. जिसमें चंपाई सोरेन के हाथ सूबे की बागडोर सौप दिया गया.हेमंत के जेल चले जाने के बाद अब नई सरकार बनना भी झारखंड में कठिन लगने लगा. राजभवन से सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद भी समय नहीं दिया जा रहा था. जिससे लग रहा था की राज्य में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा.
नई सरकार के फ्लोर टेस्ट में ईडी की कस्टडी में पहुंचे विधानसभा
लेकिन तीन दिन के इंतेजार के बाद नई सरकार बनाने का आमंत्रण चंपाई सोरेन को मिल गया.इसके बाद सरकार ने बहुमत साबित करने के लिए विधानसभा का सत्र बुलाया. जिसमें कोर्ट के आदेश के बाद ईडी की कस्टडी में हेमंत सोरेन भी पहुंचे. इस दौरान सदन में हेमंत सोरेन ने फिर एक आक्रामक भाषण दिया. जिसमें दावा किया कि "है हिम्मत तो जमीन का कागज दिखाओं अगर उनके नाम पर हुआ तो राजनीति से सन्यास ले लेंगे. साथ ही आरोप लगाया कि वह आदिवासी होने की सजा भुगत रहे है"इसके बाद चंपाई सोरेन सरकार ने सदन में विश्वासमत को हाशील किया.जिसके बाद राज्य में सरकार हेमंत पार्ट 2 बन कर काम करने लगी.
हेमंत के जेल को लोकसभा चुनाव इंडी गठबंधन ने बना लिया मुद्दा
इसी बीच देश में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो गई. यह पहला मौका था जब झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष कार्यकर्ताओं के बीच नहीं थे. लेकिन झामुमो ने हेमंत सोरेन के जेल जाने को ही हथियार बना लिया.झामुमो की बागडोर कल्पना सोरेन ने संभाल लिया. जिसके बाद हेमंत के पोस्टर के साथ कल्पना सोरेन मैदान में कूद गई. चुनाव में एक तरफ भाजपा के बड़े नेता खुद प्रधानमंत्री तो दूसरी ओर कल्पना सोरेन और हेमंत सोरेन का पोस्टर दिख रहा था. पूरे झारखंड में एक ऐसा माहौल बन गया कि हेमंत सोरेन को आदिवासी होने की सजा मिल रही है. इंडी गठबंधन भी इसे जोर शोर से चुनाव में इस मुद्दे को उठा रही थी. इसका फायदा भी चुनाव में इंडी गठबंधन को मिला. हेमंत सोरेन के मुद्दे पर आदिवासी सीट पर इंडी गठबंधन ने जीत हशील कर लिया.
लोकसभा चुनाव के बाद हेमंत सोरेन को मिली बेल
लोकसभा चुनाव के बाद ही हेमंत सोरेन को झारखंड हाई कोर्ट से बेल मिल गई. जब हेमंत सोरेन जेल से बाहर निकले, तो पूरा रांची शहर बैनरों और कटआउट्स से सज गया. इन बैनरों में लिखा था "हूल जोहर" यानी "आप सभी को मेरा जोरदार नमस्कार" इससे पहले सुबह एक और पोस्टर लगाया गया था जिसमें लिखा था "साजिशों के खेल का हुआ अंत, आ गया अपना हेमंत" इन पोस्टरों और बैनरों के माध्यम से झामुमो ने राज्य की जनता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए एक बड़ी राजनीतिक चाल भी चल दी.
पोस्टर से पटा शहर
इन पोस्टरों ने राज्य में एक नया नरेटिव सेट करने की कोशिश की. झामुमो ने भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने सोरेन को जानबूझकर जेल भेजने की साजिश रची थी. जबकि, हेमंत सोरेन ने हमेशा ईमानदारी और पारदर्शिता से अपने कर्तव्यों का पालन किया. यह नरेटिव जनता के बीच तेजी से फैल रहा है और भाजपा के खिलाफ एक मजबूत भावना पैदा कर रहा है. झामुमो की इस रणनीति ने न केवल हेमंत सोरेन की छवि को मजबूत किया है, बल्कि भाजपा के खिलाफ एक नई लहर भी पैदा की है. राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और यह नरेटिव भाजपा के खिलाफ झामुमो के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार साबित हो सकता है.
जेल से बाहर आने के बाद आक्रामक हुए हेमंत
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और उनकी रिहाई के बाद की यह घटनाक्रम झारखंड की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है. झामुमो और भाजपा के बीच की इस खींचतान ने राज्य की राजनीति को और भी दिलचस्प बना दिया है. आगामी चुनावों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जनता किसके साथ खड़ी होती है और यह राजनीतिक घटनाक्रम किस दिशा में ले जाता है. झामुमो के इस नरेटिव के प्रभाव को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि हेमंत सोरेन ने जेल से बाहर आकर न केवल अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि भाजपा के खिलाफ एक मजबूत संदेश भी दिया है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस चुनौती का कैसे सामना करती है और झारखंड की राजनीति में आगे क्या होता है.
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