झारखंड में आदिवासी और भुइहरी जमीनों की जिसने की है सादा पट्टा पर खरीद-बिक्री, सरकार करेगी कारवाई


टीएनपी डेस्क (TNP DESK): झारखंड सरकार ने आदिवासी और भूइहरी जमीनों की सुरक्षा को लेकर ऐतिहासिक कदम उठाया है. राज्य में लंबे समय से सादा पट्टा (सादे कागज) पर जमीन की बिक्री, फर्जी दस्तावेज़ तैयार करने और अवैध हस्तांतरण की शिकायतें मिल रही थीं. इन मामलों ने न केवल कानून का उल्लंघन किया, बल्कि आदिवासी समुदाय के अधिकारों और उनकी पारंपरिक जमीन पर खतरा भी बढ़ा दिया था. अब सरकार ने स्पष्ट संदेश देते हुए कहा है कि सादा पट्टा पर की गई किसी भी तरह की खरीद-बिक्री पूरी तरह अवैध है, और इसमें शामिल अधिकारियों, दलालों व खरीदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
सरकार ने सभी आयुक्तों (Commissioners) और उपायुक्तों (Deputy Commissioners) को आदेश जारी कर 1932 से 2021 तक के सभी अवैध जमीन हस्तांतरणों की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है. इस जांच में यह पता लगाया जा रहा है कि किन लोगों ने कानून की धज्जियां उड़ाकर आदिवासी जमीन को जनरल बनाकर बेचा या फर्जी दस्तावेज तैयार किए. जांच का दायरा उन अधिकारियों तक भी है, जिनकी मिलीभगत के बिना इतने बड़े फर्जीवाड़े संभव नहीं हो सकते थे.
झारखंड में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (CNT Act) और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (SPT Act) लागू हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य आदिवासी जमीन की सुरक्षा करना है. इन कानूनों के तहत आदिवासी जमीन को गैर-आदिवासी के नाम हस्तांतरित नहीं किया जा सकता. बावजूद इसके, कई वर्षों से फर्जी कागजात बनाकर जमीन बेचे जाने के मामले तेजी से बढ़े हैं. कई दलाल सादे कागज पर पट्टा बनाकर अनजान लोगों को जमीन बेचते रहे हैं.
हाल ही में, पूर्व मंत्री एनोस एक्का को भी इसी तरह के मामले में दोषी ठहराया गया. जांच में सामने आया कि उन्होंने फर्जी दस्तावेज और अधिकारियों की मिलीभगत से आदिवासी जमीन खरीदने का प्रयास किया था. ऐसे मामलों ने सरकार को मजबूर कर दिया कि वह व्यापक स्तर पर कार्रवाई शुरू करे और जमीन माफिया पर सख्त कार्रवाई करे.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी इस मामले में सक्रिय है और जमीन घोटाले के मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से जांच कर रहा है. ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि कई जगहों पर आदिवासी जमीन को पहले "जनरल" दिखाया गया और फिर बड़े पैमाने पर बेचा गया, जिससे करोड़ों रुपये का अवैध लेन-देन हुआ.
सरकार का कहना है कि आदिवासी जमीन केवल संपत्ति नहीं है, बल्कि यह उनकी पहचान, संस्कृति और सामाजिक संरचना से जुड़ी है. यदि इसे नहीं बचाया गया, तो आने वाली पीढ़ियों की जमीन पर अधिकार खत्म हो जाएंगे. इसलिए सरकार का मुख्य उद्देश्य फर्जीवाड़े पर लगाम लगाना, जमीन दलालों के नेटवर्क को खत्म करना और आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा करना है.
झारखंड सरकार आदिवासी जमीन के अवैध कब्ज़े, खरीद-बिक्री और सादा पट्टा पर किए गए सौदों को रोकने के लिए पूरी तरह सक्रिय है. कानूनी, प्रशासनिक और जांच एजेंसियों के स्तर पर तेजी से कार्रवाई चल रही है, ताकि राज्य की मूल भूमि प्रणाली को सुरक्षित रखा जा सके और भविष्य में ऐसे फर्जीवाड़े पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके.
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