दुमका(DUMKA):झारखंड विधानसभा चुनाव की डुगडुगी बज चुका है.मुख्य मुकाबला एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच है.एनडीए के तहत बीजेपी, आजसू, जदयू और लोजपा (आर) मिलकर चुनाव लड़ेगी.सीट शेयरिंग का फार्मूला घोषित हो चुका है. अब प्रत्याशी के नाम की घोषणा भी कर दिया जाएगा.दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन का सीट शेयरिंग अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है.चुनावी गहमागहमी के बीच आज हम बता रहे हैं गोड्डा जिला के महागामा विधानसभा के बारे में. महागामा विधानसभा क्षेत्र में पहले चुनाव यानी 1952 से ही कांग्रेस का दबदबा कायम रहा है.यह विधान सभा गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में आता है जो झारखंड और बिहार की सीमा को विभाजित करता है.महागामा विधानसभा सीट पर दूसरे चरण में 20 नवंबर को मतदान होगा.
संयुक्त बिहार में कांग्रेस का दबदबा, झारखंड बनने पर बीजेपी और कांग्रेस में मुकाबला
वर्ष 2000 के पहले तक इस क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा रहा और कांग्रेस बनाम अन्य दलों के बीच चुनावी दंगल होता रहा. अलग झारखंड राज्य बनने के बाद से लेकर अब तक यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच होते आ रहा है.हाल ही में संपन्न लोक सभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे की जीत के बाबजूद इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव को मामूली बढ़त मिली थी.
आदिवासी और मुस्लिम मतदाता माने जाते है निर्णायक
महागामा विधान सभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण को देखें तो अनुमान के मुताबिक यहां आदिवासी मतदाताओं की संख्या लगभग 10% जबकि मुस्लिम मतदाता लगभग 30% है. वही यादव और ब्राह्मण मतदाता भी 5% के करीब हैं, जबकि कुर्मी कुड़मी और वैश्य समुदाय की भी अच्छी खासी आबादी है.
दीपिका के ससुर चार टर्म रह चुके हैं महागामा से विधायक, क्षेत्र में है अच्छी पकड़
वर्तमान में क्षेत्र से कांग्रेस की दीपिका पांडे सिंह विधायक हैं, जो लगभग 3 महीने से राज्य सरकार में कृषि मंत्री का दायित्व संभाल रही है.इंडिया गठबंधन की तरफ से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में दीपिका पांडे सिंह को टिकट मिलना लगभग तय माना जा है लेकिन अब तक आधिकारिक घोषणा की नहीं हुई है.संयुक्त बिहार में दीपिका पांडे सिंह के ससुर अवध बिहारी सिंह 4 बार इस क्षेत्र से विधायक चुके हैं. वह पथ निर्माण सहित कई महत्वपूर्ण विभागों में मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.इस वजह से भी दीपिका पांडे सिंह का महागामा विधान सभा क्षेत्र में अच्छी पकड़ है.
लोकसभा चुनाव में जीत के बाबजूद निशिकांत दुबे इस क्षेत्र में रह गए थे पीछे, विधानसभा चुनाव में टिकट के हैं कई दावेदार
गत लोकसभा चुनाव में गोड्डा संसदीय क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी के रूप में निशिकांत दुबे की जीत के बाबजूद लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत महागामा विधानसभा क्षेत्र में पिछड़ गए थे, लेकिन अब विधानसभा चुनाव में हर हाल में बीजेपी कांग्रेस प्रत्याशी को शिकस्त देने की योजना पर काम कर रही है. प्रत्याशी चयन में भाजपा काफी मंथन कर रही है. तीन बार इस क्षेत्र से विधायक रह चुके अशोक भगत का नाम सबसे ऊपर है, लेकिन इस सीट के लिए बीजेपी में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है.निरंजन पोद्दार, अशोक कुमार सिंह, बद्रीनाथ भगत, निरंजन सिन्हा, संजीव मिश्रा सहित कई नाम चर्चा में है, जो टिकट की आस में रांची से लेकर दिल्ली तक की परिक्रमा कर रहे हैं.
1952 से 2019 तक हुए 16 चुनाव में 8 बार कांग्रेस तो 3 बार भाजपा को मिली है सफलता
आजादी के बाद से अर्थात 1952 से 2019 तक महागामा विधानसभा के लिए 16 चुनाव संपन्न हुई। इसमें कांग्रेस ने 8, बीजेपी ने 3, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, सीपीआई, जनसंघ, जनता पार्टी और जनता दल के प्रत्याशियों ने एक-एक बार इस सीट पर जीत दर्ज की. 1952 के चुनाव में स्वतंत्रता सेनानी सागर मोहन पाठक कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए। 1957 में जनता ने कांग्रेस को खारिज कर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के महेंद्र महतो को विधानसभा भेजा. 1962 और 1967 में कांग्रेस के टिकट पर राजपति राम लगातार दो बार विधायक चुने गए। 1969 में सीपीआई के सईद अहमद को जनता ने चुना.1972 में जनसंघ के टिकट पर मैदान में उतरे अवध बिहारी सिंह पहली बार विधायक चुने गए 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर सईद अहमद को सफलता मिली और दूसरी बार वह इस क्षेत्र से विधायक चुने गए.1980 और 1985 के चुनाव में जनसंघ छोड़ कांग्रेस का दामन थामने वाले दीपिका पांडे सिंह के ससुर अवध बिहारी सिंह को जनता ने अपना आशीर्वाद दिया.इन 10 वर्षों में अवध बिहारी सिंह पथ निर्माण सहित कई विभागों के मंत्री बने और क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछाने के साथ कई पूल पुलियों का निर्माण कराने में सफल रहे.1990 में राजद के टिकट पर फैयाज भागलपुर चुनाव जीतने में सफल रहे जबकि 1995 में एक बार फिर जनता ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अवध बिहारी सिंह को जीत का सेहारा पहनाया. इस तरह दीपिका पांडे सिंह के ससुर अवध बिहारी सिंह चार बार महागामा से विधायक चुने गए.
झारखंड बनने के बाद कांग्रेस और बीजेपी के बीच होता रहा मुकाबला
वर्ष 2000 के चुनाव में पहली बार इस सीट पर भाजपा ने जीत का स्वाद चखा और बीजेपी प्रत्याशी के रूप में अशोक कुमार चुनाव जीतने में सफल रहे.2005 के चुनाव में भी जनता ने बीजेपी प्रत्याशी अशोक कुमार को अपना आशीर्वाद दिया लेकिन 2009 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में राजेश रंजन ने उन्हें पराजित कर जीत की हैट्रिक लगाने से रोक दिया. लेकिन 2014 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी अशोक कुमार को जनता ने अपनाया जबकि 2019 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में दीपिका पांडे सिंह चुनाव जीतने में सफलता हासिल की.पहली बार विधायक से मंत्री तक का सफर तय किया.
बेरोजगारी, पलायन, हर खेत तक पानी पहुचाना है चुनौती
अन्य विधान सभा क्षेत्र की भांति बेरोजगारी, पलायन, स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, सिंचाई के साथ साथ विस्थापितों की समस्या महागामा विधान सभा की प्रमुख समस्या है. हर वक्त क्षेत्र में सक्रिय रहने वाली दीपिका पांडेय सिंह ने बेहतर तरीके से जनता की समस्या को सड़क से सदन तक उठाया और कई समस्याओं का समाधान भी करवाया. अपने 3 महीने के मंत्रीत्व काल मे उन्होंने किसानों को सौगातें दी. मंईयां सम्मान योजना सहित सरकार की कई जनकल्याणकारी योजनाओं को सरजमीं पर उतारने के लिए भी हर वक्त सक्रिय नजर आयी.
बीजेपी के अलावे जेएलकेएम से भी मिल सकता है दीपिका को चुनौती
सरल स्वभाव और सर्व सुलभ होने के कारण जानता से दीपिका के जुड़ाव होता रहा, इसके बाबजूद चुनाव में उनके समक्ष चुनौतियां भी है. एक तरफ भाजपा तो दूसरी तरफ जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम दीपिका को चुनौती देने के लिए तैयार है. जेएलकेएम ने जवाहरलाल यादव को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है.कुर्मी, कुड़मी और यादव मतदाता के साथ साथ युवा मतदाता जयराम के पक्ष में गोलबंद हो सकते हैं.वहीं दूसरी तरफ बीजेपी परंपरागत वोटर के साथ पीएम नरेंद्र मोदी का चेहरा और केंद्र सरकार की जन कल्याणकारी योजना के सहारे जीत सुनिश्चित करने को बेताब दिख रही है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि महागामा विधानसभा सीट पर मुकाबला रोचक होने के आसार हैं.
रिपोर्ट-पंचम झा
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