धनबाद(DHANBAD)धनबाद लोकसभा सीट पर जोर आजमाने के लिए "बाराती" तो तैयार हैं लेकिन "दूल्हे" की खोज अभी जारी है. ऐसे में बिना "दूल्हे", बाराती करे भी तो क्या करें .फिलहाल सोशल मीडिया पर गुस्सा,भड़ास निकाल रहे है.25 मई को धनबाद लोकसभा क्षेत्र में वोट पड़ेंगे. चुनाव मैदान में टकराने वाली दो प्रमुख पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने अभी तक उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है .दोनों दलों ने सस्पेंस बनाए रखा है. सस्पेंस खत्म होने का इंतजार केवल भाजपा के नेता और कार्यकर्ता ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि आमजन भी जानने को उत्सुक है कि दोनों दल किसे चुनाव में उतार रहे हैं. धनबाद में लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला होता रहा है. भाजपा की दूसरी सूची में झारखंड की चर्चा नहीं थी. भाजपा नेताओं को उम्मीद थी कि होल्ड पर रखी गई धनबाद और चतरा सीट पर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा दूसरी सूची में हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वर्तमान सांसद पशुपतिनाथ सिंह सहित अन्य दावेदार सूची का इंतजार कर रहे हैं.
भाजपा के संभावित उम्मीदवार दिल्ली का दौरा कर लौट चुके हैं. अब वह इंतजार कर रहे हैं कि कब उम्मीदवार की घोषणा होगी. भाजपा की तरह ही कांग्रेस में भी उहापोह की स्थिति बनी हुई है. झारखंड में इंडिया ब्लॉक ने अभी तक एक भी सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. धनबाद की सीट कांग्रेस के खाते में आने की पूरी संभावना है. धनबाद में कांग्रेस के उम्मीदवारों की राजनीति दिल्ली में शिफ्ट हो गई है. कांग्रेस के झारखंड प्रभारी भी अभी दिल्ली में है. इसलिए उम्मीदवारों का दिल्ली आना-जाना लगा हुआ है. कांग्रेस के टिकट के लिए भी उठापटक चल रही है. कौन किसे पीछे धकेल कर टिकट पा लेगा, लोगों को इसकी प्रतीक्षा है.सोमवार को धनबाद से टिकट के प्रमुख दावेदार अशोक सिंह,प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जलेश्वर महतो दिल्ली में थे. वैसे धनबाद में पिछला रिकॉर्ड को देखें तो उम्मीदवारों की संख्या कम नहीं रहती है. 2004 के चुनाव में यहां 19 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी. जबकि 2009 के चुनाव में 32 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. इसी प्रकार 2014 के चुनाव में 31 ने अपना भाग्य आजमाया था. जबकि 2019 के चुनाव में 20 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. वैसे आंकड़े यह भी बताते हैं कि झारखंड में सबसे अधिक उमीदवार धनबाद लोकसभा सीट से ही चुनाव लड़ते रहे हैं .2004 से लेकर 2019 तक के आंकड़े बताते हैं कि चार चुनाव में 102 लोगो ने अपनी किस्मत आजमाई है. यह झारखंड में अपने आप में रिकॉर्ड है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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