टीएनपी डेस्क (TNP DESK): झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में 43 सीटों पर मतदान होगा. कल सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक विभिन्न मतदान केद्रों पर मतदाता अपने-अपने बूथों पर मतदान करेंगे. तमाम बूथों पर पोलिंग कर्मी भी रवाना किए जा चुके है. 43 विधानसभा सीटों पर चुनाव लगभग यह तय करेंगा की झारखंड में किसकी सरकार बनेगी. ऐसे में देखे तो सबसे महत्वपूर्ण मुकाबला एनडीए और इंडी गठबंधन के बीच देखने को मिलेगी. अगर देखे तो इनमें कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन समेत अन्य दिग्गज नेताओं के परिवार के सदस्य शामिल है. इसके अलावा कई मंत्री, पूर्व मंत्री और सांसदों का राजनीतिक भविष्य इस चुनाव पर निर्भर करेगा. आपकों बता दें कि कई महत्वपूर्ण सीटें ऐसे है जहां राजनीतिक समीकरण दिलचस्प होने वाला है. ऐसे में आइए जानते हैं कुछ प्रमुख विधानसभा सीटों का समीकरण.
देखिए कुछ प्रमुख विधानसभा सीटों का समीकरण
जमशेदपुर पूर्वी सीट पर बीजेपी ने ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की बहू पूर्णिमा साहू को उम्मीदवार बनाया है. उनके सामने पूर्व आईपीएस अजय कुमार चुनावी मैदान में हैं, जो जमशेदपुर के सांसद भी रह चुके हैं. यह मुकाबला खास इसलिए है क्योंकि दोनों उम्मीदवार अपने-अपने परिवारों की प्रतिष्ठा के साथ चुनावी मैदान में हैं. यह सीट न केवल जमशेदपुर, बल्कि राज्य की राजनीति में भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
कोडरमा विधानसभा सीट पर इस बार बीजेपी की नीरा यादव और आरजेडी के सुभाष यादव के बीच मुख्य मुकाबला होने जा रहा है. नीरा यादव ने पिछले दो विधानसभा चुनावों (2014 और 2019) में जीत हासिल की थी, जबकि आरजेडी ने इस सीट पर 2000, 2005 और 2009 में सफलता प्राप्त की थी. इस बार शालिनी गुप्ता, जो पिछली बार आजसू पार्टी से मैदान में थीं, अब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी रण में उतरेंगी. कोडरमा में यह मुकाबला खास है, क्योंकि दोनों प्रमुख दलों के बीच सीधी टक्कर होने की संभावना है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि सुभाष यादव या नीरा यादव में से कौन इस बार बाजी मारेगा.
बड़कागांव विधानसभा सीट पर कांग्रेस की अंबा प्रसाद को उनके पुराने प्रतिद्वंदी रोशन लाल चौधरी से कड़ी चुनौती मिल रही है. अंबा प्रसाद का परिवार यहां 15 साल से राजनीतिक रूप से प्रभावी है, लेकिन इस बार बीजेपी ने रोशन लाल चौधरी को अपने दल में शामिल कर उन्हें मैदान में उतारा है. यह मुकाबला कड़ा होने जा रहा है, क्योंकि बीजेपी को उम्मीद है कि चौधरी के जुड़ने से उन्हें स्थानीय वोटों में खासी बढ़त मिल सकती है.
बरकट्ठा विधानसभा सीट पर बीजेपी के अमित यादव और जेएमएम के जानकी यादव के बीच मुकाबला है. पिछले चुनावों में अमित यादव ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी, जबकि यह सीट पहले झाविमो के पास थी. 2014 में बीजेपी ने यहां सफलता प्राप्त की थी, लेकिन इस बार यह मुकाबला काफी रोमांचक होने की उम्मीद है, क्योंकि जेएमएम अपने प्रत्याशी जानकी यादव को लेकर मैदान में है, जो स्थानीय राजनीति में अच्छी पकड़ रखते हैं.
हजारीबाग विधानसभा सीट पर इस बार बीजेपी और कांग्रेस के बीच जोरदार मुकाबला होने की संभावना है. कांग्रेस ने मुन्ना सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जबकि बीजेपी ने प्रदीप प्रसाद को मैदान में उतारा है. यह मुकाबला दिलचस्प इसलिए है क्योंकि हजारीबाग में पहले मनीष जायसवाल बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में सफल रहे थे, लेकिन अब उनके सांसद बनने के बाद यह सीट बीजेपी के लिए नई चुनौती पेश कर रही है. कांग्रेस अपने नए उम्मीदवार के जरिए इस सीट को फिर से हासिल करने की कोशिश में है.
बरही विधानसभा सीट पर इस बार बीजेपी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. कांग्रेस ने अरुण साहू को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि बीजेपी ने मनोज यादव को मैदान में उतारा है. मनोज यादव ने पहले भी इस सीट से तीन बार जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार उनका मुकाबला अरुण साहू से होगा, जिनके साथ एक बड़ी प्रतिस्पर्धा सपा के उम्मीदवार की भी होगी, जिनका समर्थन कुछ क्षेत्रों में मजबूत है. कांग्रेस के उमाशंकर अकेला ने कांग्रेस से नाराज होकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा है, जो सीट पर एक नया मोड़ ला सकते हैं.
बहरागोड़ा विधानसभा सीट पर जेएमएम विधायक समीर कुमार मोहंती और बीजेपी के दिनेशानंद गोस्वामी के बीच मुकाबला है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता कुणाल षाड़ंगी की मौजूदगी समीर मोहंती को फायदा दिला सकती है, क्योंकि कुणाल षाड़ंगी का इस क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है. हालांकि, समीर मोहंती को लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद इस सीट पर बीजेपी का मनोबल बढ़ा है. लेकिन भाजपा को यह नहीं भुलना चाहिए समीर मोहंती ने 19 के विधानसभा चुनाव में 60 हजार मतो से अपने प्रतिद्वदी को हराया था. वहीं पिछले 15 साल से बहरागोड़ा विधानसभा सीट पर भाजपा कमल नहीं खिला सकी है. ऐसे में मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है.
सिमरिया विधानसभा सीट पर बीजेपी और जेएमएम के बीच सीधा मुकाबला होने वाला है. बीजेपी ने अपने विधायक किशुन दास का टिकट काटकर उज्जवल दास को उम्मीदवार बनाया है, जबकि जेएमएम ने मनोज चंदा को मैदान में उतारा है. मनोज चंदा पिछली बार आजसू पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में थे, लेकिन इस बार जेएमएम ने उन्हें अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया है. यह मुकाबला खास है क्योंकि दोनों ही दलों के पास स्थानीय स्तर पर अच्छी पकड़ है, और इस सीट पर जीत के लिए दोनों पार्टियां पूरी ताकत लगा रही हैं.
चतरा विधानसभा सीट पर मंत्री सत्यानंद भोक्ता की जगह उनकी बहू रश्मि प्रकाश आरजेडी के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी ने यह सीट लोजपा-आर को दी है, जिन्होंने पूर्व विधायक जर्नादन पासवार को उम्मीदवार बनाया है. यह मुकाबला खास इसलिए है क्योंकि मंत्री सत्यानंद भोक्ता का परिवार लंबे समय से इस क्षेत्र में प्रभावी रहा है, और उनकी बहू रश्मि प्रकाश आरजेडी के उम्मीदवार के रूप में अपनी राजनीतिक पहचान बनाने की कोशिश कर रही हैं. दूसरी ओर, लोजपा-आर इस सीट पर अपनी पकड़ बनाने के लिए पूरी तरह से जुटी हुई है.
घाटशिला सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन का मुकाबला मंत्री रामदास सोरेन से है. यह सीट हमेशा से जेएमएम के पास रही है और रामदास सोरेन दो बार यहां चुनाव जीत चुके हैं. बाबूलाल सोरेन इस बार अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए चुनावी मैदान में हैं. यह मुकाबला काफी दिलचस्प होगा, क्योंकि दोनों उम्मीदवारों के पास क्षेत्र में मजबूत समर्थन है, और यह सीट जेएमएम के लिए एक महत्वपूर्ण सीट बन चुकी है.
पोटका विधानसभा सीट पर इस बार अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा चुनावी मैदान में हैं. यह उनकी पहली बार चुनावी मैदान में उतरने की स्थिति है, और उनका मुकाबला जेएमएम के संजीव सरदार से है. पोटका सीट पर हमेशा से बीजेपी और जेएमएम के बीच कड़ा मुकाबला होता आया है, और इस बार मीरा मुंडा के उम्मीदवार बनने से यह मुकाबला और भी रोमांचक हो गया है.
खरसावां विधानसभा सीट पर जेएमएम के दशरथ गगराई और बीजेपी के सोनाराम बोदरा के बीच मुकाबला है. दशरथ गगराई पहले भी इस सीट से दो बार चुनाव जीत चुके हैं, जबकि बीजेपी ने सोनाराम बोदरा को नए चेहरे के रूप में उतारा है. यह मुकाबला दोनों दलों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है, क्योंकि खरसावां में बीजेपी और जेएमएम दोनों के लिए जीत की बड़ी अहमियत है.
इन सभी विधानसभा सीटों पर त्रिकोणीय, द्विवदीय और कई बार बहुकोणीय मुकाबले देखे जाएंगे, जिनमें विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवार अपनी प्रतिष्ठा और गढ़ की रक्षा के लिए चुनावी रण में कूदने जा रहे हैं.
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