टीएनपी डेस्क(TNP DESK): राजनीति अब हर क्षेत्र के लोगों की चाहत हो गई है .चाहे वह फिल्म कलाकार हो, लोकप्रिय धारावाहिक सीरियल के कलाकार हो, अधिकारी वर्ग के लोग हो, राजनीति सबको पसंद आ रही है .राजनीतिक पार्टियां भी इन पर दाव लगाने से परहेज नहीं कर रही हैं .इन्हें अपने पार्टी में शामिल करा कर कलाकारों के लोकप्रियता को भजाने की कोशिश करती है. देवानंद, सुनील दत्त से लेकर गोविंद तक भी, बहुत से कलाकार राजनीति में आए या आने की कोशिश की. इसकी वजह यह मानी जाती है कि फिल्म कलाकार को चाहने वाले बहुत होते हैं. इस तरह के प्रयोग से झारखंड भी अछूता नहीं है. 1996 में भाजपा ने जमशेदपुर लोकसभा सीट से प्रयोग किया और महाभारत में कृष्ण की भूमिका निभाने वाले नितीश भारद्वाज को उम्मीदवार बनाया और वह चुनाव जीत गए. हालांकि 1996 के बाद फिर वह जमशेदपुर से चुनाव नहीं लड़े. 1999 में मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ा, लेकिन वहां हार का सामना करना पड़ा.उस समय झारखंड नहीं बना था.
ये सभी फ़िल्मी कलाकार राजनीति में रख चुके हैं कदम
राजनीति तो अब हर क्षेत्र के लोगों की चाहत हो गई है. कोई जरूरी नहीं है कि जमीन पर राजनीति करने वाला ही चुनाव लड़ेगा. आईएएस, आईपीएस अधिकारियों की भी राजनीति में रुचि तेज हुई है. तो रामायण, महाभारत जैसे धारावाहिक में काम करने वाले भी संसद तक पहुंचे. राम की भूमिका निभाने वाले अभिनेता अरुण गोविल भाजपा के टिकट से मेरठ लोकसभा सीट से उम्मीदवार बने हैं. इसके पहले भी रामायण और महाभारत में काम करने वाले कलाकार संसद तक पहुंच चुके हैं. महाभारत के कृष्ण, युधिष्ठिर द्रौपदी भी चुनाव लड़ चुके हैं. हनुमान का किरदार निभाने वाले दारा सिंह भी राज्यसभा के सदस्य रहे हैं .द्रौपदी बनी रूपा गांगुली भी राज्यसभा की मनोनीत सदस्य रह चुकी हैं. रामायण की सीता भी भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत चुकी है. देश के अन्य शहरों में भी आईएएस, आईपीएस अधिकारियों की राजनीति में रुचि बढ़ी है. झारखंड में भी इसकी संख्या कम नहीं है. डॉक्टर रामेश्वर उरांव तो अभी झारखंड में मंत्री भी हैं .
सिर्फ़ कलाकार ही नहीं अधिकारियों की भी राजनीति में रही है रुचि
कहा जाता है कि झारखंड गठन के बाद चुनाव के मैदान में आईपीएस अधिकारी, आईएएस अधिकारियों को पछाड़कर अधिक सफल हुए हैं. मौजूदा वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव, बीडी राम और डॉक्टर अजय कुमार ने चुनाव में जीत हासिल की है. यह सभी आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं. जबकि झारखंड बनने के बाद यशवंत सिन्हा, जो भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे, चुनाव जीते. झारखंड में नौकरी छोड़कर राजनीति में उतरने वाले अफसर की सूची लंबी है.राजनीति की तड़क भड़क केवल कलाकारों को ही नहीं अधिकारियों को भी खूब रास आ रही है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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