रांची(RANCHI): झारखंड विधानसभा चुनाव की दहलीज पर है और विभिन्न राजनीतिक दल अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों में दावेदारी पेश कर रहे हैं. इसी बीच हुसैनाबाद विधानसभा क्षेत्र में इंडी गठबंधन के सभी दल अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे हैं. कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और कार्यकर्ता बैठक कर सीट की समीक्षा में जुटे हैं.
1985 के बाद से कांग्रेस के हाथ से निकली सीट
हुसैनाबाद विधानसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. लेकिन 1985 के बाद से यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई. अब कांग्रेस वापस से पुराने लय और ताकत दिखाने की कोशिश कर रही है. हालांकि हुसैनाबाद सीट पर इंडी गठबंधन से राजद के खाते में जाती है, लेकिन 2024 के विधानसभा चुनाव में माहौल कुछ और ही नजर आ रहा है.
1952-1969 और 1977 से 1985 तक कांग्रेस का दबदबा
हुसैनाबाद विधानसभा सीट पर 1952-1969 और 1977 से 1985 तक कांग्रेस का दबदबा रहा है. इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार भीष्म नारायण सिंह जीतकर बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. उस दौर में हुसैनाबाद में कांग्रेस के सामने कोई भी दल टिक नहीं पाता था. लेकिन 1990 में इस सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज कर जनतादल के उम्मीदवार बीएचयू छात्र संघ के अध्यक्ष एवं महामंत्री रह चुके बीरेन्द्र सिंह को 163 मतों से हराया. इस चुनाव में भीष्म नारायण सिंह के पुत्र प्रेम शंकर सिंह कांग्रेस के प्रत्याशी थे जो तीसरे नंबर रहे. उसी समय से कांग्रेस इस सीट पर कमजोर हो गई.
1990 के बाद राष्ट्रीय दल के हाथ से निकली सीट
1990 के चुनाव के बाद हुसैनाबाद सीट पर क्षेत्रीय दलों का दबदबा बढ़ गया. 1995 में जनता दल से अवधेश सिंह ने जीत दर्ज की. इसके बाद वर्ष 2000 में झारखंड अलग राज्य बनने के बाद राजद के संजय सिंह यादव ने जीत दर्ज की. 2005 में एनसीपी के कमलेश सिंह ने संजय यादव को हराकर सीट जीती.
2009 में एनसीपी की हार और राजद की वापसी
2009 के चुनाव में राजद के संजय यादव ने जीत दर्ज की और इस सीट को राजद का गढ़ माना जाने लगा. लेकिन 2014 के विधानसभा चुनाव में बसपा के कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने संजय यादव को हराया. 2019 में एनसीपी के कमलेश सिंह ने फिर से जीत दर्ज की.
अब फिर कांग्रेस की तैयारी
कांग्रेस 1952 के दौर को याद कर कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस को उम्मीद है कि वह हुसैनाबाद में फिर से सत्ता में आ सकती है. लेकिन इस सीट पर राजद भी मजबूती से खड़ी है और वह इस सीट को छोड़ना नहीं चाहेगी. राजद दो बार इस सीट पर जीत दर्ज कर चुकी है. वापस से सत्ता में आने की तैयारी में है.
झामुमो भी है रेस में
झारखंड मुक्ति मोर्चा भी इस सीट पर अपनी तैयारी कर रही है. आलोक कुमार सिंह उर्फ टूटू सिंह को पार्टी में शामिल किया गया है, जिनका हुसैनाबाद में जनाधार है. अगर हुसैनाबाद सीट पर कांग्रेस और झामुमो अपने चुनाव लड़ने पर अडिग हो गए, तो यहाँ गठबंधन टूटने के आसार हो सकते हैं.
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