दुमका: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. झारखंड की सियासत पल पल बदल रहा है. दुमका को केंद्र बिंदु में रख कर झारखंड की राजनीति को देखें तो आने वाले समय में दुमका लोकसभा सीट सबसे हॉट सीट होने वाला है. एक तरफ भाजपा की प्रतिष्ठा दाव पर है तो झामुमो के पास खोने के लिए अब कुछ शेष नहीं है.
भाजपा द्वारा प्रत्याशी बदलना: राह हुआ आसान या मंजिल हुई दूर
दुमका लोक सभा के दंगल में भाजपा ने अपने पहलवान को बदल दिया है. पहले तो पार्टी द्वारा सुनील सोरेन को प्रत्यासी बनाया गया. ये वही सुनील सोरेन हैं जिसने वर्ष 2019 के चुनाव में झामुमो सुप्रीमो शीबू सोरेन को पराजित कर सांसद बने थे और अचानक सुर्खियों में आ गए थे. लेकिन अब केंद्रीय नेतृत्व ने सुनील सोरेन को दंगल से हटा कर सीता सोरेन पर दाव लगाया है. सीता सोरेन झामुमो सुप्रीमो शीबू सोरेन की बड़ी पुत्रबधू और स्व. दुर्गा सोरेन की पत्नी है. सीता सोरेन 3 टर्म से जामा की विधायक है. लेकिन पारिवारिक उपेक्षा का आरोप लगा कर सीता 19 मार्च को कमल पर सवार होकर राम की पार्टी में शामिल हो गई. भाजपा में शामिल होते ही यह कयास लगाया जा रहा था कि भाजपा अपने निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए दुमका के दंगल में कहीं पहलवान को बदल ना दे. आखिरकार 24 मार्च को जारी सूची में पार्टी ने सुनील सोरेन का टिकट काट कर सीता सोरेन को प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा कर दी.
दुमका लोस अंतर्गत 6 विधानसभा सीट में से एक पर है भाजपा विधायक
दुमका लोक सभा अंतर्गत कुल 6 विधान सभा क्षेत्र है. दुमका, जामा, सारठ, नाला, शिकारीपाड़ा और जामताड़ा. वर्तमान समय मे देखें तो जामताड़ा से कांग्रेस, सारठ से भाजपा के विधायक है जबकि शेष 4 सीट पर झामुमो का कब्जा था, जिसमें जामा विधायक सीता सोरेन ने झामुमो के साथ साथ विधायकी से त्यागपत्र देकर भाजपा का दामन थाम लिया है. इस स्थिति में सीता सोरेन के लिए लोक सभा का राह आसान नहीं लगता.
हर कदम पर देनी होगी सीता को अग्निपरीक्षा
अमुमन कहा जाता है कि झामुमो का कोई भी प्रत्यासी चुनाव जीतता है तो उस जीत में दिसोम गुरु शीबू सोरेन का चेहरा और पार्टी सिम्बल तीर धनुष का योगदान अहम माना जाता है, ठीक उसी प्रकार जैसे भाजपा की जीत में पीएम नरेंद्र मोदी का चेहरा और कमल निशान की भूमिका होती है. सीता सोरेन 3 टर्म जामा से विधायक चुनी गई तो उसमें गुरुजी के योगदान को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता. साथ ही तीर धनुष से संथाल समाज का एक विशेष जुड़ाव होता है जो झामुमो प्रत्यासी को जीत की दहलीज पर ले जाता है. लेकिन इस लोक सभा चुनाव में सीता सोरेन के साथ ना तो गुरुजी का चेहरा होगा और ना ही तीर धनुष का निशान. राम की पार्टी में आने वाली सीता कमल पर सवार होकर पीएम नरेंद्र मोदी के फेस वैल्यू के सहारे दिल्ली तक के सफर आसान होता है या मुश्किल यह तो समय बताएगा.
भाजपा के अंदर एक और गुट बनने का खतरा
राजनीति के जानकारों का मानना है कि दुमका में भाजपा कई गुटों में बटी है. इस स्थित में सीता सोरेन के भाजपा में आने और केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सुनील सोरेन का टिकट काटकर सीता को प्रत्यासी बनाये जाने पर एक और गुट तैयार होगा. सीता को किन गुटों का समर्थन मिलेगा और किस गुट से भितरघात का खतरा रहेगा इस पर भी नेतृत्व की पैनी नजर होगी. सुनील सोरेन का टिकट कटने पर उन्होंने भले ही प्रेस रिलीज जारी कर केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय को हृदय से स्वीकार करने के साथ ही तमाम कार्यकर्ताओं को इसे स्वीकार्य करने की अपील की हो लेकिन कहीं ना कहीं एक टीस तो उनके दिल में रहेगी ही.
बदले राजनीतिक समीकरण में झामुमो प्रत्यासी कौन?
दुमका के दंगल में बदले राजनीतिक माहौल में झामुमो प्रत्यासी कौन होंगे, यह चर्चा चौक चौराहे पर हो रही है. क्या सोरेन परिवार के किसी सदस्य से सीता सोरेन का सामना होगा या फिर सोरेन परिवार से अलग कोई प्रत्यासी होगा.
सोरेन परिवार का कोई सदस्य होंगे मैदान में तो मुकाबला होगा रोचक
झामुमो प्रत्यासी के रूप में पहला नाम पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष सह पूर्व सीएम हेमंत सोरेन का आ रहा है. हेमंत सोरेन फिलहाल कथित जमीन घोटाला में जेल में बंद हैं. हेमंत के जेल जाने से संथाल समाज की सहानुभूति उनके साथ होने की बात कही जाती है. लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जिसकी नाराजगी हेमंत सोरेन से है. नाराजगी की वजह हेमंत के उस फैसले से है जब 2019 में दुमका और बरहेट से चुनाव जीतने के बाद हेमंत सोरेन ने दुमका सीट को ठुकरा कर बरहेट को अपनाया. कहा जाता है कि वर्ष 2014 में जब चंद महीनों के लिए हेमंत सोरेन सीएम बने थे तो दुमका पर उनकी विशेष नजर थी, लेकिन 2019 में सीएम बनने के बाद दुमका के प्रति उनकी नजरिया में बदलाव आ गया.
दूसरा नाम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का आता है. हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कल्पना ने राजनीतिक जीवन मे प्रवेश किया. कल्पना राजनीति में भले ही नई हो लेकिन मंच से एक मजे हुए राजनीतिज्ञ की भांति संबोधन करती है. कल्पना के मैदान में आने से जेठानी और देवरानी के बीच मुकाबला काफी रोचक हो जाएगा. वैसे तो बढ़ती उम्र के कारण शीबू सोरेन के चुनाव लड़ने की चर्चा कम हो रही है लेकिन पार्टी उन्हें संकट मोचक के रूप में देख रही है. शीबू सोरेन 8 बार दुमका लोक सभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. दिसोम गुरु के मैदान में आने पर मुकाबला ना केवल दिलचस्प होगा बल्कि दुमका लोक सभा सीट झारखंड में सबसे हॉट सीट बन जायेगा, जिस पर पूरे देश की नजर रहेगी.
जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है यह तो समय बताएगा लेकिन इतना जरूर है कि दुमका लोक सभा सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा. भाजपा के लिए यह सीट जीतना एक चुनौती है तो सीता के लिए अग्निपरीक्षा. वहीं झामुमो के पास खोने के लिए कुछ नहीं है तो पाने के लिए पूरी दुमका लोक सभा सीट है.
रिपोर्ट: पंचम झा
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