झारखंड भाजपा के अध्यक्ष पद के लिए शुरू हुआ मंथन, जानिए

टीएनपी डेस्क (TNP DESK): झारखंड में भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया गया है. बाबूलाल मरांडी नेता प्रतिपक्ष बन गए हैं. उन्हें झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा भी मिल गया है. यह काम तो पूरा हो गया है. अब एक बड़ा काम बाकी है. यह काम है प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति का. झारखंड बीजेपी को एक ऐसा अध्यक्ष चाहिए जो पार्टी को इस निराशावादी चरण में जोश भर सके. इसको लेकर मंथन शुरू हो गया है.
झारखंड बीजेपी अध्यक्ष पद की दौड़ में कौन से चेहरे हैं शामिल
झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष पद के लिए कुछ नाम प्रमुख रूप से चल रहे हैं. पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व किस पर भरोसा करता है, यह तो नियुक्ति के बाद ही पता चलेगा. फिर भी जो नाम हैं, उनके बारे में जान लीजिए. नया प्रदेश अध्यक्ष कौन होना चाहिए इस पर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अलग-अलग विचार रखते हैं. अधिकांश लोग यह मान रहे हैं कि अभी जो अध्यक्ष नियुक्त होगा, वह अगले 3 साल के लिए होगा यानी लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश भाजपा को कोई और अध्यक्ष मिल जाएगा.
चलिए नाम लेते हैं एक-एक चेहरे का. पहला नाम रघुवर दास का आ रहा है. राजभवन की लाट साहबी को छोड़कर झारखंड आ गए रघुवर दास का एडजस्टमेंट क्या होगा, यह अभी पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है. प्रदेश में भाजपा को रघुवर दास जैसा अध्यक्ष बनाने के पक्षधर का कहना है कि उनमें संगठन को चलाने की क्षमता है. इसके अलावा सरकार चला कर उन्होंने प्रशासनिक क्षमता को भी दर्शा दिया है. इसलिए रघुवर दास फिट हैं, लेकिन बहुत सारे लोगों का कहना है कि रघुवर दास का व्यवहार पार्टी में जोश भरने के लिए ठीक नहीं है. उनका जिद्दी स्वभाव और कुछ पूर्वाग्रह से ग्रसित होना पार्टी के लिए हितकर नहीं होगा. वैसे हम बता दें कि रघुवर दास झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं.
दूसरा नाम प्रदीप वर्मा का चल रहा है. फिलहाल प्रदेश महामंत्री हैं. राज्यसभा के भी सदस्य हैं. ओबीसी वर्ग से आते हैं. प्रदीप वर्मा तेजी से आगे बढ़ाने वाले नेताओं के रूप में देखा जाता है. इन्हें संघ का आशीर्वाद भी है. पार्टी के हर तरह के नेताओं के बीच लोकप्रिय होने का प्रयास करते रहे. पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रदीप वर्मा संगठन को जो चाहिए वह नहीं दे सकते हैं. जो पार्टी को चाहिए समर्पित और ईमानदार अध्यक्ष. प्रदीप वर्मा के पास इसकी कमी है. पार्टी के प्रमुख नेता की अनुशंसा भी उनके पक्ष में नहीं हो सकती है.
एक और महामंत्री हैं. आदित्य साहू सामाजिक समीकरण में यह भी फिट बताई जा रहे हैं, लेकिन इनका व्यक्तित्व आकर्षक नहीं है. पिछले लोकसभा चुनाव के आसपास कुछ चीजें इनके उलट चली गई थीं. कुछ विषय उनकी दावेदारी को कमजोर करते हैं. हजारीबाग के सांसद मनीष जायसवाल भी ओबीसी वर्ग से आते हैं. उनकी भी दावेदारी है. पार्टी को हर तरह से सहयोग कर सकते हैं लेकिन पार्टी का एक बड़ा वर्ग उनके पक्ष में नहीं है. लेकिन बताया जा रहा है कि इनमें से मनीष जायसवाल भाजपा विधायक दल के नेता और वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के पसंदीदा हैं. वैसे प्रदीप वर्मा भी बाबूलाल मरांडी को प्रभावित करने का प्रयास करते रहे हैं. बाबूलाल मरांडी की अनुशंसा भी इस मामले में महत्वपूर्ण रहेगी.
सुनील बंसल ने फीडबैक लेने का प्रयास किया
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल झारखंड के दौरे पर आए. उन्होंने इस संबंध में फीडबैक लेने का प्रयास किया है. कुछ खास लोगों से उन्होंने मुलाकात भी की झारखंड का प्रदेश अध्यक्ष कौन हो, इस पर कुछ विचार सामने आए हैं. सुनील बंसल इन चीजों से केंद्रीय नेतृत्व को अवगत कराएंगे. झारखंड भाजपा को नया अध्यक्ष तेज तर्रार मिलना चाहिए. अमर कुमार बावरी भी प्रयास में हैं कि उन्हें यह पद मिल जाए. लेकिन पार्टी यह मानती है कि विधानसभा चुनाव में इन्होंने ऐसा काम किया कि इसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ा. अपने क्षेत्र चंदनकियारी में तीसरे स्थान पर आ गए. झारखंड बीजेपी के विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा के विश्वास भाजन बने हुए थे.
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