दुमका(DUMKA):जंगल में कोई जानवर विलुप्त होता है तो पूरी दुनिया परेशान हो जाता है. वैज्ञानिक लग जाते हैं कि कैसे उस जानवर को संरक्षित किया जाए, लेकिन यहां तो मानव जाति का एक बड़ा समुदाय ही समाप्त हो रहा है. काल के गाल में समा रहा है.हमें खोजना होगा, पता करना होगा कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और यही मांग हम सरकार से करते हैं.यह कहना है भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का.
प्रदेश अध्यक्ष ने परिसदन में की बैठक
दरअसल बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी इन दिनों संथाल परगना प्रमंडल के दौरे पर हैं. पाकुड़ के बाद शुक्रवार को उन्होंने दुमका परिसदन में जामा और शिकारीपाड़ा विधान सभा के पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक बीजेपी में जारी विरोध और अंतर्कलह को लेकर यह बैठक अहम मानी जा रही है. कुल मिलाकर कहें तो बीजेपी दुमका में गुटबाजी समाप्त कर आगामी विधान सभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है.
बीजेपी की सरकार बनते ही एसआईटी गठित कर होगी मामले की जांच:बाबूलाल
देखा जाए तो हाल के कुछ महीनों से बीजेपी बांग्लादेशी घुसपैठ और संथाल परगना प्रमंडल में आदिवासियों की घटती आवादी को लेकर राज्य सरकार पर हमलावर है. देर शाम तक चली बैठक के बाद परिषदन में मीडिया से बात करते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हमें इस बात की चिंता नहीं की समुदाय विशेष की आबादी क्यों बढ़ रही है बल्कि चिंता इस बात की है कि संथाल परगाना प्रमंडल में आदिवासी की आबादी क्यों घट रही है? सचमुच यह सबके लिए चिंता का विषय होनी चाहिए.सरकार को एसआईटी गठित कर इस मामले की जांच करानी चाहिए.उन्होंने कहा कि आंकड़ा बीजेपी का नहीं बल्कि जनगणना का है और जनगणना बीजेपी के शासनकाल में नहीं हुआ है. जनगणना के आंकड़ों को उठाकर देख सकते है कि 1951 में आदिवासी, मुस्लिम और अन्य की आबादी क्या थी और 2011 में क्या रही. उन्होंने कहा कि अगर वर्तमान सरकार एसआईटी गठित कर इस मामले की जांच नहीं करती है तो बीजेपी की सरकार बनते ही एसआईटी गठित कर पूरे मामले की जांच कराई जाएगी. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि बाहर से समुदाय विशेष के लोग यहां आते हैं.मतदाता सूची, राशन कार्ड और जमीन का पट्टा उसके लिए बनाया जाता है. यह किसी दल के लिए वोट बैंक के तौर पर होता है लेकिन ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा.
बच्चा पैदा करने की भी एक सीमा होती है:बाबूलाल मरांडी
उन्होंने कहा कि विशेष वर्ग की आबादी बढ़ रही है तो निश्चित रूप से बाहर से लोग आ रहे हैं. आखिर कोई इतना बच्चा कैसे पैदा कर सकता है.बच्चा पैदा करने की भी एक सीमा होती है. कहीं ना कहीं बाहर से लोग आया है इसलिए आबादी बड़ी है.
सत्ता में रहते बीजेपी को आदिवासी की घटती आवादी की चिंता क्यों नहीं सताई?
सवाल उठना लाजमी है कि वर्तमान समय मे बीजेपी नेता 2011 की जनगणना रिपोर्ट को आधार मानकर आदिवासी की घटती आवादी पर चिंता जाता रही है और सरकार से एसआईटी गठित कर मामले की जांच की मांग कर रही है. बीजेपी यह भी कह रही है कि बीजेपी की सरकार बनने पर सबसे पहले एसआईटी गठित की जाएगी. सवाल उठता है कि 2014 से 2019 तक राज्य में बीजेपी की ही सरकार थी.ऐसा भी नहीं कि 2011 के जनगणना के आंकड़ा 2023 में सार्वजनिक किया गया हो. सत्ता में रहते बीजेपी को आदिवासी की घटती आवादी की चिंता क्यों नहीं सताई? कहीं केवल राजनीतिक लाभ के लिए तो यह मुद्दा नहीं उठाया जा रहा है? खैर, यह तो समय आने पर पता चलेगा, लेकिन अपने आप को आदिवासियों की हिमायती कहने वाली झामुमो को भी इस मुद्दे पर गंभीरता दिखानी होगी.
रिपोर्ट-पंचम झा
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