धनबाद (DHANBAD) : झारखंड में वोटो की गिनती शुरू हो गई है. लेकिन जो संभावना है, उसके अनुसार कहा जा सकता है कि अंत अंत तक रिजल्ट का इंतजार करना होगा. उसके बाद ही पता चलेगा कि बहुमत किसके पक्ष में जाता है. कारण यह है कि झारखंड की डेढ़ दर्जन से ऐसी अधिक सीटें हैं, जहां कांटे का मुकाबला है. कोयलांचल सहित संथाल की भी कई सीट हैं. जहां एक परसेंट या आधा परसेंट के अंतर से किसी की भी जीत या हार हो सकती है. यह भी उतना ही सच है कि संथाल, कोयलांचल की 34 सीटों की भूमिका इस बार सरकार बनाने में बड़ी होगी. कोयलांचल की बात की जाए तो नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी भी फंसे हुए हैं. उन्हें झामुमो से कड़ी चुनौती मिली है. तो बोकारो में भाजपा विधायक की सांसे भी अटकी हुई है.
वहां भी उन्हें कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल रही है. तो इधर धनबाद की सिंदरी और निरसा में भी संघर्ष कड़ा है. झरिया में कांटे की लड़ाई है. वैसे काउंटिंग शुरू हो गई है और जैसे-जैसे दिन चढ़ेगा, रुझान साफ होने लगेगा. संथाल और कोयलांचल में एक दर्जन से अधिक महत्वपूर्ण सीट हैं. संथाल में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बरहेट तो गिरिडीह के धनवार से बाबूलाल मरांडी, चंदन कियारी से अमर कुमार बाउरी तथा गांडेय सीट से कल्पना सोरेन चुनाव लड़ लड़ रहे हैं. वैसे झारखंड बनने के बाद 2005 में हुए पहले चुनाव में भाजपा को 30 सीट मिली थी और वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. झामुमो को 17, कांग्रेस को 9 सीट मिली थी. 2005 से 2009 के कार्यकाल में तीन सरकार बनी. शिबू सोरेन, मधु कोड़ा और अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री बने. वही 2019 की बात की जाए तो झारखंड मुक्ति मोर्चा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. 30 सीट उसे मिली. कांग्रेस को 16 सीट मिली. भाजपा को नुकसान हुआ और वह 25 सीटों पर अटक गई. फिर हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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