धनबाद(DHANBAD): राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता. झारखंड विधानसभा चुनाव में तो इसके उदाहरण जगह-जगह दिख रहे हैं. पाला बदलने का खेल अभी भी चल रहा है. जबकि तीन दिन बाद मतदान होना है. टिकट बंटवारे के बाद तो पाला बदलने का खेल जग जाहिर है, लेकिन वोटिंग के कुछ घंटे पहले तक झारखंड में पाला बदलने का खेल हुआ. धनवार सीट पर निरंजन राय का मामला इसका उदाहरण है. 20 तारीख को वोटिंग है और 16 तारीख को निर्दलीय उम्मीदवार निरंजन राय पाला बदल लेते हैं. बात सिर्फ इतनी ही नहीं है, संथाल परगना के लिट्टीपाड़ा के विधायक दिनेश विलियम मरांडी ने बागी होकर शुक्रवार को भाजपा का दामन थाम लिया. उन्हें टिकट नहीं दिया था. जिससे वह नाराज चल रहे थे. उनकी जगह पर झामुमो ने हेमलाल मुर्मू को टिकट दिया है.
23 नवंबर को प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला
शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह की राजधनवार में हुई सभा के दौरान धनवार से निर्दलीय प्रत्याशी निरंजन राय चुनाव के ठीक-चार दिन पहले भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल मरांडी के लिए वोट करने की अपील की. यह अलग बात है कि शनिवार को यह सब घटनाक्रम फिल्मी स्टाइल में हुआ. बाबूलाल मरांडी की सीट पर जीत के लिए यह सब किया गया. लेकिन सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या बाबूलाल मरांडी की सीट सुरक्षित हो गई है? क्या बाबूलाल मरांडी चक्रव्यूह से बाहर हो गए हैं ? इसके पहले भाजपा ने बरहेट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रस्तावक मंडल मुर्मू को भी तोड़कर भाजपा में शामिल कराया था. तो झामुमो भी कम सेंधमारी नहीं की है. उसने भी अपनी तरकश से हर तीर निकाल कर छोड़ा है. अब तो यह 23 नवंबर को ही पता चलेगा कि पाला बदल का किस दल को कितना फायदा हुआ है.
तोड़फोड़ की राजनीति से किसको फायदा होगा किसको नुकसान पढ़ें
भाजपा की नेता डॉक्टर लुईस मरांडी को झामुमो ने पार्टी में शामिल कर कर जामा से उम्मीदवार बनाया है. भाजपा नेता कुणाल सारंगी को भी पार्टी में शामिल कराया गया है. जेएलकेएम नेता अमित महतो को भी झामुमो में शामिल कराकर सिल्ली से टिकट दिया गया है. आजसू के उपाध्यक्ष रहे उमाकांत रजक को भी झामुमो में शामिल करा कर चंदन कियारी से उन्हें टिकट दिया गया है. सरायकेला से भाजपा नेता गणेश महली को पार्टी में शामिल कार्य कर टिकट दिया गया. राजद नेता चुना सिंह को भी झामुमो में शामिल कराया गया और पार्टी ने उन्हें सारठ से उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा भी कई नेताओं को शामिल कराया गया है. झारखंड के चुनाव में तोड़फोड़ की राजनीति का अच्छा उदाहरण देखने को मिला है. यह देखने वाली बात होगी की तोड़फोड़ की इस राजनीति का चुनाव परिणाम पर क्या असर होता है .वैसे सोमवार की शाम झारखंड के दूसरे चरण की बची सीटों पर चुनाव प्रचार थम जाएगा. उसके बाद लोग डोर टू डोर प्रचार कर सकेंगे. 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 को वोटो की गिनती होगी. वैसे आज फिर कोयलांचल में नेताओं का जमावड़ा है. कोयलांचल और संथाल की बची हुई सीट पर अब सब कुछ निर्भर करेगा. वैसे कोयलांचल में भाजपा मजबूत मानी जाती है. तो संथाल परगना में झारखंड मुक्ति मोर्चा. अब देखना दिलचस्प होगा कि कोयलांचल इस बार भाजपा का कितना साथ देता है .तो संथाल झामुमो के कितना साथ होता है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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