टीएनपी डेस्क(TNP DESK):आधुनिक युग में सभी देशों ने बहुत विकास किया, भारत तो जमीन से चांद तक पहुंच गया, लेकिन इसी बीच हमने अपने मन को मार दिया. ये बात हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि आज विश्व आत्महत्या निवारण दिवस है, आपको एक बात जानकर हैरानी होगी कि हर रोज दुनिया भर में लगभग 7 लाख लोग आत्महत्या करते हैं. जिसमें महिलाओं की तुलना में पुरुषों का प्रतिशत ज्यादा है. लेकिन इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि विश्व भर में महिलाएं ही सबसे ज्यादा डिप्रेशन से जूझ रही हैं. जो आत्महत्या की कोशिश तो करती हैं, लेकिन उसमें कामयाब नहीं हो पाती. वहीं पुरुष आत्महत्या करके अपनी जान गंवाते हैं.
रोजाना 7 लाख लोग करते हैं आत्महत्या!
WHO के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की आत्महत्या दर तीन गुना ज्यादा है. जिसकी वजह स्वास्थ्य समस्याएं हैं. आपको बता दे कि दुनिया भर में 970 मिलियन लोग मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं, हालांकि पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा डिप्रेशन की शिकार हैं. वही आपको बता दें कि विश्व स्तर पर लगभग 20% बच्चे टीनेजर और 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 15% लोग मेंटल प्रॉब्लम्स और डिप्रेशन से पीड़ित है. वहीं सबसे ज्यादा हैरान ये बात करती है कि किसी न किसी वजह से विश्व भर में 300 मिलियन लोग एंजायटी और 280 मिलियन लोग डिप्रेशन की बीमारी से पीड़ित है.
महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की संख्या तीन गुना है ज्यादा
वहीं यदि इसके वजह की बात करें, तो सबसे ज्यादा लोगों का अपनों से दूरी बनाकर मोबाईल और अन्य उपकरणों से जुड़ना कहा जा सकता है. क्योंकि आजकल के बिजी लाइफ में किसी के पास किसी से भी बात करने के लिए टाइम नहीं है. सभी अपने-अपने काम में व्यस्त है. कोई भी पहले की तरह बैठकर किसी की बात ना सुनता है, और ना ही अपनी बात बताना चाहता है. वहीं यदि पुरुषों की बात करें तो पुरुष क्यों आखिर महिलाओं की तुलना में ज्यादा मौत को गले लगा रहे हैं, तो इसके पीछे सबसे बड़ी वजह उनका ना रोना है, क्योंकि पुरुष अपने आप को स्ट्रांग मानते हैं, और वो ऐसा मानते हैं कि यदि वो रोएंगे तो लोग उनका मजाक बनाएंगे. यही वजह है कि उनके अंदर डिप्रेशन की समस्या सबसे ज्यादा होती है. पुरुष अपने मन की बात किसी के सामने जल्दी नहीं कहते हैं. यही वजह है कि अंदर-अंदर घुटते रहने की वजह से उन्हें अपने आप से और इस जिंदगी से नफरत हो जाती है.
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