ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से क्यों किया गया निष्कासित, पढ़ें क्या है संन्यास लेने का सही नियम

टीएनपी डेस्क(TNP DESK):इन दिनों विश्व पटल पर महाकुंभ छाया हुआ है.जहां देखिये वहां महाकुंभ के बारे में बातें हो रही हैं.एक तरफ जहां महाकुंभ पर सोशल मीडिया ट्रेड कर रहा है वहीं दूसरी तरफ 90 की दशक की सबसे खूबसूरत और कामयाब हीरोइनों में से एक अभिनेत्री ममता कुलकर्णी भी काफी चर्चा में बनी हुई है, उनके संन्यास लेने की खबर के बाद उनके बारे में बातें हो रही है.ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने के बाद एक सप्ताह के अंदर ही उन्हें इस पद से निष्कासित कर दिया गया.आखिर इसके पीछे क्या वजह है चलिए आपको बताते है.
भारी विरोध के बाद किया गया निष्कासित
अब लोगों के दिमाग में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यों ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बना कर फिर से उनसे यह पद छीन लिया गया तो आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह क्या है और आख़िर क्यों उन्हें उनका विरोध का सामना करना पड़ा.आपको बतायें कि संन्यास लेने की एक प्रक्रिया होती है, जिसका तय किया गया है लेकिन ममता कुलकर्णी संन्यास लेने की पूरी प्रक्रिया को पूरा किये बिना ही महामंडलेश्वर बन गई, जिसको लेकर उनका जोरदार विरोध हुआ.
पढ़ें क्या है संन्यास लेने का सही नियम
आपको बताये कि संन्यास लेने के लिए भी नियम बनाए गए हैं, जिसमे सबसे पहले संन्यास लेने के लिए किसी व्यक्ति को ऐसे गुरु की खोज करनी पड़ती है जो दीक्षा देकर संन्यास दिला सके.एक गुरु ही सन्यासी को दीक्षा दिला सकता है. सन्यास लेना आसान काम नहीं है.संन्यासी बनने के बाद व्यक्ति को कई तरह की मर्यादाओं का पालन करना पड़ता है, जिसमे भौतिक सुखों का त्याग करना पड़ता है और अपने पूरे जीवन को इष्ट देवता की सेवा में ही गुजारना पड़ता है. संन्यास लेने के बाद संन्यासी अपने परिवार से भी पूरी तरह से रिश्ते नाते तोड़ देता है संन्यासियों को केवल एक समय का भोजन ही करने का प्रावधान है.वहीं पूरी जिंदगी ब्रह्मचार्य का भी पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए. संन्यासियों को भोजन मांग कर या अपने से बनकर ही खाना चाहिए. संन्यासी जमीन पर सो सकते हैं और एक जगह पर अधिक देर तक नहीं रह सकते है.संन्यासी किसी के घर में नहीं रह सकता.
महिलाओं के संन्यास लेने का नियम क्या है
आपको बताये कि हमारी संस्कृति ने महिलाओं को संन्यास लेने का कोई भी परंपरा नहीं है, ना ही कोई नियम बनाये गये, लेकिन आधुनिक युग में क्योंकि महिलाओं और पुरुषों में कोई अंतर नहीं देखा जाता है इसलिए महिलाएं भी संन्यास लेती हैं.आपको बताये कि संन्यासी चार प्रकार के होते हैं कुटीचक संन्यासी, बहुदक संन्यासी, हंस संन्यासी और परमहंस संन्यासी.संन्यास लेने वाले व्यक्ति को सबसे पहले अपना ही पिंडदान करना पड़ता है. वहीं इसके बाद व्यक्तित्व और सांसारिक मोह से पूर्ण रूप से दूर रहना पड़ता है.संन्यासी हमेशा अपने हाथ में दंड लिए रहते हैं. वहीं महिला संन्यासी को अपने बाल अपने हाथों से उतार कर ही अपना पिंडदान करना पड़ता है.
पढ़ें सफाई में ममता ने क्या कहा
आपको बताये कि किन्नर अखाड़े में भारी विरोध के बाद ममता कुलकर्णी और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को महामंडलेश्वर पद से निष्काषित कर दिया गया. बागेश्वर धाम के धीरेन शास्त्री और रामदेव बाबा ने ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने का भारी विरोध किया था . साथ ही किन्नर अखाड़ा के भी कई सन्यासी इसका विरोध कर रहे थे जिसे देखते हुए सीधे तौर पर ममता कुलकर्णी को निष्काषित किया गया. वही ममता कुलकर्णी ने अपनी सफाई में कहा कि पिछले 23 साल से वह तपस्या कर रही हैं, उन्होने 23 साल से एडल्ट फिल्मे भी नहीं देखी है.
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