टीएनपी डेस्क(TNP DESK)- 15 अप्रैल को प्रयागराज में मीडियाकर्मियों की मौजूदगी में सुरक्षा के तमाम दावों के बीच पत्रकार की वेश में आये हमलावरों ने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को मार गिराया था. उस समय अतीक अहमद भारी सुरक्षा के बीच चिकित्सीय जांच करवा कर वापस लाया जा रहा था, इससे पहले एक पुलिस एनकाउंटर में उसके बेटे का सफाया कर दिया गया था.
प्रयागराज के कटरा गोबरा गली में रहता है अतीक का वकील
बताया जा रहा है कि अब उसी प्रयागराज के कटरा गोबरा गली में रहने वाले अतीक अहमद के वकील विजय मिश्रा के घर पर बम फेंका गया है. वकील विजय मिश्रा घर पर बम फेंके जाने की खबर मिलते ही पूरे प्रशासनिक महमे में हड़कंप मच गया है, मामले की जांच शुरु कर दी गयी है.
सवालों के घेरे में यूपी पुलिस
यहां बता दें कि अतीक अहमद और अशरफ अहमद हत्याकांड के बाद यूपी पुलिस सवालों के घेरे में हैं, हालांकि इस हत्याकांड की जांच के लिए कई न्यायिक आयोग का गठन किया गया है, इसके साथ ही यूपी एसआईटी भी मामले की जांच की जा रही है, लेकिन बावजूद इसके यूपी पुलिस की बदनामी कम होती नहीं दिख रही. लोग इसे कानून व्यवस्था की दुर्गति का एक बेहतरीन उदाहरण बता रहे हैं.
अपराध नियंत्रण में लगातार असफल साबित हो रही है यूपी की पुलिस
उनका दावा है कि यूपी पुलिस ना तो अब अपराधियों को रोकने में सफल हो पा रही है और ना ही बाहुबलियों पर उसका कोई नियंत्रण है. जिस अतीक अहमद को 15 अप्रैल को मार गिराया गया , वह भी इसी योगी राज्य में प्रशासन को सीधी चुनौती दे रहा था, लेकिन पुलिस अभिरक्षा में उसके मारे जाने से सवाल खड़ा हो गया है. जिस यूपी पुलिस को 'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट', 'एनकाउंटर पुलिस' और 'ट्रिगर हैप्पी' नामों से महिमामंडित किया जा रहा था, उसके अभिरक्षा में एक डॉन की हत्या हो गयी और इसके साथ ही उसके कई राज दफन हो गये. जिसकी सबसे ज्यादा जरुरत यूपी पुलिस को थी, लेकिन अतीक अहमद के सफाये के साथ ही वह राज्य भी दफन हो गया.
हमलावरों पर यूपी पुलिस की ओर से एक भी गोली नहीं चलाई गयी
यह सवाल तब और भी बड़ा हो गया जब हमलावरों पर पुलिस की ओर से एक गोली भी नहीं चलाई गयी, तीनों हमलावरों ने बड़े ही सुनियोजित तरीके से अतीक का सफाया करने के बाद खुद को पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. अभी वह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अब उसके वकील विजय मिश्रा के घर पर हमला करने की खबर आयी है. जिसके बाद पूरे यूपी में सनसनी फैल गयी है, लोगों के जेहन में अब यह सवाल दौड़ने लगा है कि जब किसी का वकील ही सुरक्षित नहीं रहेगा, तब उनके इंसाफ की लड़ाई कौन लड़ेगा.
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