एक अंजान कॉल फिर उनके इशारे पर नाचने लगते हैं लोग, जानिए कैसे किया जाता है ऑनलाइन अरेस्ट


टीएनपी डेस्क(TNP DESK): डिजिटलाइजेशन के इस युग में एक तरफ जहां लोगों की जिंदगी आसान हुई तो वहीं बिना मतलब की मुसिबतें भी बढ़ गई है.जहां फोन कॉल के माध्यम से या मैसेज के माध्यम से लोगों के अकाउंट खाली कर दिया जाता है. वही अब डिजिटल गिरफ्तारी भारत में काफी तेजी से बढ़ रहा है.डिजिटल अरेस्ट के कई मामले सुनने और देखने को मिलते है अब यह है क्या और कैसे लोगों को बिना छुए और बिना देखे केवल एक फोन कॉल के माध्यम से गिरफ़्तार कर लिया जाता है चलिए आज हम आपको बताते है.
एक अंजान कॉल फिर उनके इशारे पर नाचने लगते हैं लोग
साइबर क्राइम इन दिनो काफी ज्यादा बढ़ चुका है जहां साइबर अप्राधियों अलग-अलग हथकंडे अपना कर साइबर अपराधी लोगों के मुश्किल पैदा कर रहे है ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर डिजिटल गिरफ्तारी क्या होती है.कई बार हमें अंजान नंबर से फोन आता है और कहा जाता है कि आपके खिलाफ गिरफ़्तारी वारंट निकला है और हम घबरा जाते है बस वहीं से शुरू हो जाता है डिजिटल गिरफ्तारी का खेल.
जानिए कैसे किया जाता है ऑनलाइन अरेस्ट
आजकल आधार कार्ड से कोई भी फ्रॉड कर सकता है.जब भी आपके पास नंबर पर कॉल आता है और यह कहा जाता है कि आपके आधार नंबर से कोई अपराध किया गया है तो आपके हाथ पर पैर फुलने लगते है हम घबरा जाते है और समझ में नहीं आता है कि आखिर करें तो क्या करें.ऊपर से कहा जाता है कि आपको गिरफ़्तारी देनी पड़ेगी तो लोगों के पसीन छूट जाते है ऐसे में अगर आप पढ़े लिखे और समझदार होंगे जागरूक होंगे तो शायद आप घबराएंगे नहीं और इससे बच सकते है लेकिन कुछ लोग घबरा जाते है और साइबर अपराधियों के जाल में फंसते है.
खेल रैंडम फोन कॉल से शुरू होता है खेल
डिजिटल अरेस्ट का खेल रैंडम फोन कॉल से शुरू होता है.ठग रैंडम नंबर से कॉल करते है और कहते है आपके आधार कार्ड से अपराध हुआ है.आपके खिलाफ केस दर्ज है.ठग कहते है हम आपको ऑनलाइन अरेस्ट कर रहे है.अभी वीडियो कॉल पर रहना होगा.पीड़ित को घंटों वीडियो कॉल पर रोके रखते है ताकि वह किसी से बात न कर पाए.पीछे बैठे स्कैमर्स कभी पुलिस की वर्दी पहन लेते है, कभी कोर्ट का बैकड्रॉप लगाकर लाइव दिखते है.
इस तरफ फर्जी अधिकारी बनकर लगाया जाता है चुना
इसके साथ वे स्क्रीन पर नकली FIR,नकली गिरफ्तारी,नकली कोर्ट ऑर्डर,फर्जी साइबर सेल दस्तावेज दिखाते है. इस गिरफ़्तारी को रोकने के लिए ठग पैसे की मांग करते है ठग कहते है आपकी गिरफ्तारी रोकनी है तो अभी वेरिफिकेशन फीस भरना पड़ेगा.इसके नाम पर बैंक ट्रांसफर,UPI,गिफ्ट कार्ड,क्रिप्टो पेमेंट मांगते है पीड़ित डरकर पैसे भेज देता है.जब पीड़ित को कॉल करता है तो कोई एहसास होता है कि वह ठगा जा चुका है.
डिजिटल अरेस्ट 100% फ्रॉड है
आपको पता है डिजिटल अरेस्ट किसी भी पुलिस या सरकारी एजेंसी की असली प्रक्रिया नहीं है.यह 100% फ्रॉड है.यह केवल पीड़ित को डराने साइबर क्राइम बढ़ाने का तरीका है.जहा कॉल करके साइबर अपराधी अपने आप को पुलिस अधिकारी CBI/ED अधिकारी,कोर्ट का कर्मचारी,कस्टम्स/नारकोटिक्स बनकर कॉल करते हैं और कहते है कि आपके नाम पर शिकायत या गैरकानूनी पार्सल मिला है.
इस तरह से आप डिजिटल गिरफ्तारी से बच सकता है
डिजिटल अरेस्ट से बचने का सबसे आसान और सरल तरीका जागरूकता है.अगर आप साइबर क्राइम के खिलाफ जागरूक रहेंगे तो आपको कोई भी ठग नहीं सकता है अगर आपको भी अंजान नंबर पर कॉल आता है तो या फिर किसी अन्य सरकारी दस्तवेज या कार्रवाई की बात की जाती है तो आप डरे नहीं और सीधे पुलिस को सूचित करें.
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