टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : झारखंड को "जंगलों का प्रदेश" कहा जाता है. देश दुनिया में यहां कि पठार और जंगल पर्यटन का एक मुख्य केंद्र बिंदु है. लेकिन जैसे एक सिक्के के दो पहलू होते है, ठीक उसी प्रकार झारखंड के भी दो पहलू है. एक ओर यहां के जंगली इलाके लोगों को अपनी और आकर्षित करती है. तो दूसरी ओर यहां के अपराधी देश दुनिया में झारखंड की अलग पहचान बना रहे है. कई अपराधी ऐसे है जो जेल में रहते हुए भी पुलिस के लिए सिरदर्द बन गए है. जेल में रहकर यह अपराधी ना केवल झारखंड बल्कि दूसरे राज्यों में भी अपना आतंक फैला रहे है. तो कई ऐसे अपराधी है जिनका कनेक्शन लॉरेंस बिश्नोई से है. ऐसे में चलिए जानते है उन अपराधियों के बारे में जिन्होंने अपना आतंक जेल में रहते हुए भी कायम रखा है.
फेहरिस्त काफी लंबी है लेकिन इनमें सबसे पहला नाम झारखंड के अमन साहू का आता है. अमन साहू रांची के बुढ़मू थाना क्षेत्र के मतवे गांव का रहने वाला है. पिछले ढ़ाई साल से अमन साहू जेल में है. लेकिन जेल में रहते हुए भी वह अपनी एक्टिविटी जेल से ही संचालित कर रहा है. जिस कारण झारखंड पुलिस लगातार पुलिस अमन साहू का अलग-अलग जेलों में ट्रांसफर कर रही है. बीते ढ़ाई सालों कि बात करे तो नौ बार अमन को अलग-अलग जेलों में रखा गया है. हाल के दिनों की बात करे तो एनआईए ने टेरर फंडिंग मामले में गैंगस्टर अमन साहू के रांची और हजारीबाग में तीन ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान एनआईए ने अमन के ठिकानों से कई समान बरामद किए गए थे. साथ ही एनआईए अमन साहू गैंग में काम करने वाली पम्मी को भी गिरफ्तार किया था. हत्या रंगदारी जैसे बड़े मामलों को अंजाम देने का आरोप इस गैंग पर है. अमन साहू गैंग का नेटवर्क झारखंड ही नहीं बल्कि बाहर भी है. इस गैंग के कई अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. लेकिन अभी भी कई ऐसे अपराधी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. बताया जाता है कि अमन साहू गैंग में कुल 145 गुर्गे है. इनमें से 99 गुर्गे जेल से बाहर अपराध को अंजाम दे रहे है. अमन के बारे में यह भी बताया जाता है कि इसका संबंध लॉरेंस बिश्नोई से है. हालांकि इसकी जांच एनआईए और अन्य जांच एजेंसी कर रही है. फिलहाल अमन साहू चाईबासा के जेल में बंद है.
इस लिस्ट में दूसरा नाम विकास तिवारी है. फिलहाल विकास तिवारी हजारीबाग के जेल में बंद है. बात विकास तिवारी की करे तो विकास तिवारी पांडेय गिरोह के प्रमुख है. भोला पांडेय की हत्या के बाद गिरोह का संचालन विकास तिवारी ही कर रहा है. विकास तिवारी को हजारीबाग पुलिस ने 2 अगस्त 2015 को गिरफ्तार किया था. तब से लेकर अब तक विकास जेल में बंद है. विकास तिवारी पर गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव की हत्या का आरोप है. इसके साथ ही विकास का भी कनेक्शन कुख्यात अपराधी लॉरेंस बिश्नोई के साथ बताया जा रहा है. हाल के दिनों में पांडेय गिरोह के सक्रिय अपराधी गोविंद राय को गिरफ्तार किया था. जिसके बाद से यह बात सामने आ रही थी कि लॉरेंस बिश्नोई का झारखंड कनेक्शन है. इस मामले में एटीएस विकास तिवारी से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है. वहीं विकास के नेटवर्क की बात करे तो इसका नेटवर्क झारखंड के रामगढ़ जिले में काफी सक्रिय है. यह जेल में रहते हुए रंगदारी हत्या जैसे वारदातों को अपने गैंग के सदस्यों से अंजाम दिलाता है. बता दें कि विकास तिवारी रामगढ़ के पतरातू का रहनेवाला है.
इस लिस्ट में तीसरा नाम श्रीवास्तव गैंग का संचालक अमन श्रीवास्त का है. अमन श्रीवास्तव मूल रूप से चतरा जिले के कुपा गांव का रहने वाला है. अमन झारखंड का मोस्ट वांटेड अपराधियों में से एक रहा है. पिछले साल झारखंड और महाराष्ट्र की एंटी टेररिस्ट स्कवॉड ने ऑपरेशन कर अमन को मुंबई से गिरफ्तार किया था. लेकिन गिरफ्तारी से पहले अमन का आतंक झारखंड के कई जिलों में था. अमन के ऊपर हत्या, लूट, रंगदारी, अपहरण जैसे दर्जनों केस दर्ज थे. अमन का आतंक टेंडर, ट्रांसपोटिंर्ग, कन्स्ट्रक्शन में काफी ज्यादा था. इसके साथ ही अमन का गैंग बड़े पैमाने पर आर्म्स की सप्लाई कर मोटी रकम कमाता था. लेकिन आपकों बता दें कि अमन शुरूआत से ही अपराध की दुनिया में नहीं था. अपराध से अमन का दूर-दूर तक कोई रिश्ता नाता नहीं था. लेकिन अमन के पिता सुशील श्रीवास्त झारखंड के बड़े गैंगस्टर थे. उनका आतंक कोयलाचंल के इलाकों में था. इसी बीच हत्या के मामले में अमन के पिता जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे. तभी 2 जून 2015 को हजारीबाग कोर्ट परिसर में अमन के पिता की हत्या पांडेय गैंग के सदस्यों के द्वारा कर दी जाती है. जिसके बाद अपराध की दुनिया में अमन की एंट्री होती है. जिसके बाद अमन के इशारे पर 26 अक्तूबर 2016 को किशोर पांडेय के बुजुर्ग पिता कामेश्वर पांडेय की हत्या पतरातू में कर दी जाती है. इस हत्याकांड के बाद अमन श्रीवास्तव ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और लगातार अपराध की घटना को अंजाम देता रहा.
अब इस लिस्ट में चौथा नाम पलामू का रहने वाला सुजीत सिन्हा का है. उम्रकैद की सजा काट रहा सुजीत सिन्हा इस वक्त हजारीबाग के जेल में बंद है. शुरूआती दिनों में सुजीत सिन्हा पलामू में हत्या रंगदारी जैसे घटना को अंजाम देता था. इसी बीच उसका कनेक्शन रांची के कुख्यात अपराधी अमन साहू से हुआ. जिसके बाद अमन साहू के साथ मिलकर इसने अपराध की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई. सुजीत सिन्हा के खिलाफ आर्म्स एक्ट, रंगदारी और हत्या सहित 51 केस दर्ज हैं. उसके गिरोह में कई अपराधी शामिल हैं. गिरोह के कुछ अपराधी वर्तमान में फरार हैं और कुछ सक्रिय हैं. जेल में रहने के बाद भी सुजीत सिन्हा के गैग का संचालन बाहर से उसकी पत्नी रिया सिन्हा कर रही है. रिया का सुजीत के गैंग में काफी महत्वपूर्ण भागीदारी है. गेम प्लान बनाने और पैसों का लेनदेन में भी उसकी खूब चलती है. इसकी जानकारी पलामू पुलिस के हाथ चढ़े सुजीत सिन्हा के गुर्गे के सदस्य ने दी है. फिलहाल पुलिस सुजीत सिन्हा की पत्नी रिया सिन्हा का कनेक्शन क्या है इस कड़ी में अभी जांच कर रही है.
बात अखिलेश सिंह की तो अखिलेश सिंह मुख्य रूप से झारखंड के लौहनगरी जमशेदपुर का रहने वाला है. बता दें कि पढ़े लिखे परिवार में जन्मे अखिलेश सिंह के पिता चंद्रगुप्त सिंह खुद पुलिस में थे. शुरूआती दौर में अखिलेश सिंह ट्रांसपोर्ट के धंधे में जुड़ा था. इसी बीच अखिलेश ने ट्रासपोर्टर अशोक शर्मा की हत्या कर दी थी. जिसके बाद अखिलेश पर एक व्यापारी ओम प्रकाश काबरा के किडनैपिंग का इल्जाम लगा था. लेकिन कुछ ही दिनों में अखिलेश सिंह को कोर्ट से जमानत मिल गई थी. जेल से निकलने के बाद अखिलेश का दबदबा जमशेदपुर में इतना बढ़ा की अखिलेश व्यवसायी के रूप में नहीं बल्कि गैंगस्टर अखिलेश सिंह के नाम से जाना जाने लगे. अखिलेश सिंह पर कुल 56 से अधिक अपराधिक मामले दर्ज है. इनमें उपेंद्र सिंह हत्याकांड, आर्म्स एक्ट, धोखाधड़ी इसके साथ ही जयराम सिंह, आशीष डे, परमजीत सिंह हत्याकांड शामिल है. लेकिन सबसे चर्चित मामला मामला साकची जेल के जेलर उमाशंकर पांडेय की हत्या मामले का है. इस मामले में अखिलेश सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. लेकिन 2007 में उसे उच्च न्यायालय से पेरोल मिला था. लेकिन उसके बाद अखिलेश अदालत में उपस्थित नहीं हुए. जिसके बाद दोबारा दिल्ली के नोएड़ा से 2011 में पकड़ा गया था. इस बीच सोनारी के अमित सिंह और उपेंद्र सिंह की हत्या का मामला दर्ज हुआ था. जिसके में जमशेदपुर पुलिस ने उसे गुरूग्राम से 2017 में पत्नी के साथ गिरफ्तार किया था. जिसके बाद से अखिलेश सिंह अब तक जेल में ही है. लेकिन इस गैंगस्टर का आतंक जमशेदपुर में इस कदर है कि आज भी इसके एक नाम से पूरा जमशेदपुर कापता है.
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