TATA STEEL: टाटा स्टील की ये रोचक बातें जानकर हैरान रह जायेंगे आप, पढ़ें क्यों 1928 के बाद आज तक कंपनी में नहीं हुई हड़ताल
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टीएपी डेस्क (TNP DESK): टाटा स्टील एक ऐसी कंपनी है, जिस पर पूरे विश्व का भरोसा है. साल 1908 में जमशेदपुर में पहले प्लांट की स्थापना की गई थी.जिसके बाद देश के औद्योगिक क्षेत्र में क्रांति आ गई.भले ही इसका इतिहास लगभग 117 साल पुराना है, लेकिन आज भी ये एक युवा की तरह साल दर साल अपनी प्रगति की मार्ग पर आगे बढ़ रहा है, और सफलता की हर बुलंदियों को छू रहा है.
टाटा स्टील नैतिक मुल्यों को देता है प्राथमिकता
टाटा स्टील के संस्थापक जेएन टाटा ने जो सपना देखा था कि जमशेदपुर में स्टील प्लांट लगे और यहां के कर्मचारियों को अस्पताल से लेकर सभी तरह की सुविधा जैसे बच्चों की पढ़ाई स्कूल में चौड़ी चौड़ी सड़के, पार्क सारा कुछ सुविधा उपलब्ध हो यह सपना पूरा हुआ और आज भी इसकी देखरेख टाटा स्टील की ओर से की जाती है. टाटा स्टील ऐसे ही सबके भरोसे का साथी नहीं है. इसके पीछे बहुत पुराना और गौरवशाली इतिहास है. टाटा स्टील की नींव जब रखी गई थी उस समय भी नैतिक मूल्य को प्राथमिकता दी गई थी और आज भी यह कंपनी नैतिक मूल्य को ही प्राथमिकता देती है, यही वजह है कि एक-एक भारतवासी और विश्व के लोगों में इसकी अलग पहचान है और विश्वास है.
टाटा स्टील की ये रोचक बातें जानकर हैरान रह जायेंगे आप
टाटा स्टील अपने कर्मचारियों को हर तरह की सुविधा देने की कोशिश करता है, जिससे कर्मचारियों को किसी तरह की परेशानी ना हो और एक स्वस्थ्य वातावरण में वो काम कर सकें और कंपनी की उन्नति हो सके. कंपनी अपनी सफलता के साथ-साथ अपने कर्मचारियों की सफलता को भी प्राथमिकता देता है यही वजह है कि 92 साल बाद भी आज तक इस कंपनी में हड़ताल नहीं हुई है, जो अपने आप में एक गौरव की बात है. आज हम आपको टाटा स्टील के बारे में कुछ ऐसी रोचक बातों के बारे में बतायेंगे, जिसको सुनकर आप हैरान रह जायेंगे.
टाटा स्टील का एक ही नारा है वो है ‘स्टील से भी बहुत मजबूत हमारा नैतिक मूल्य’
आपको बताये कि टाटा स्टील का एक ही नारा है वो है स्टील से भी बहुत मजबूत हमारा नैतिक मूल्य.जिस पर कंपनी 117 साल बाद भी अपनी पूरी ताकत के साथ टिकी हुई है.वहीं टाटा स्टील के कर्मचारियों को प्रबंधन की ओर से आए दिन समय-समय पर नैतिक मूल्य के प्रति जागरूक किया जाता है और इसकी अवहेलना करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जाती है. टाटा स्टील में किसी के साथ नैतिक व्यवहार नहीं किया जाता, किसी वेंडर कंपनी के अधिकारी कर्मचारियों को परेशान करने करने वालों को कड़ी सजा दी जाती है.
टाटा स्टील की ये बात कंपनी को बनाती है सबसे खास
टाटा स्टील में छोटे से छोटे कर्मचारी के साथ भी कोई दूर्व्यवहार या गलती नहीं कर सकता है इसके पीछे एक बहुत बड़ी वजह है वह है मासिक एमडी ऑनलाइन कार्यक्रम.टाटा स्टील देश की पहली ऐसी कंपनी है जहां महीन में एक बार एमडी ऑनलाइन कार्यक्रम होता है. जिसमे किसी भी कर्मचारी को एमडी से अपनी बात रखने का मौका दिया जाता है.यदि किसी कर्मचारी का प्रमोशन किसी वजह से नहीं किया जा रहा है, या उसकी जगह किसी दुसरे को प्रमोशन दिया गया हो, प्लांट में कर्मचारी को की समस्या हो या आईबी कम हो,चाहे कोई भी परेशान हो, कर्मचारी महीने में एक बार एमडी से सीधी जुड़ सकते हैं और अपनी परेशानियों को रख सकते हैं. इसका निवारण जल्दी ही कंपनी की ओर से किया जाता है जो टाटा स्टील को सभी कंपनियों से अलग दर्जा देता है.
पढ़ें क्यों 1928 के बाद आज तक कंपनी में नहीं हुई हड़ताल
आमतौर पर आप लोगों ने सुना होगा कि कंपनी में समय-समय पर कर्मचारी हड़ताल करते हैं लेकिन टाटा स्टील विश्व की ऐसी पहली कंपनी है, जिसमे 92 साल के बाद भी आज तक हड़ताल नहीं हुई.टाटा स्टील में लास्ट बार 1928 में हड़ताल हुई थी. इसके बाद कोई भी हड़ताल नहीं हुई है. वहीं उस समय के टाटा वर्कर्स यूनियन अध्यक्ष क्रांतिकारी नेता जी सुभाष चंद्र बोस कॉम बॉस और कंपनी के अधिकारियों के बीच समझौता हुआ था, जिसके तहत कर्मचारी हित में कोई भी समझौता प्रबंधन एक तरफा नहीं कर सकता है. हर मामले में प्रबंधन को पहले यूनियन के सामने राय रखेगा, यदि यूनियन सहमत होता है तो यह लागू किया जाएगा. यहीं सबसे बड़ी वजह है कि इस कंपनी में 9 दशक बाद भी हड़ताल नहीं हुई है जो इस कंपनी को सबसे अलग और विशेष बनाती है.
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