औरंगाबाद(AURANGABAD): बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल किसी से छुपा नहीं है. आये दिन अलग-अलग जिलों से ऐसी तस्वीरें सामने आती है, जो बिहार के सरकारी अस्पतालों की पोल कोल देती है. 4 नवंबर को औरंगाबाद जिले से एक ऐसा ही मामला सामने आया, जो बिहार के सरकारी और जिम्मेदार डॉक्टरों की पोल खोलती है.
यह है मामला
औरंगाबाद के सबसे बड़े सदर अस्पताल में तीन महिलाएं बंध्याकरण का ऑपरेशन कराने पहुंची थी. जिनका दिनभर प्री-ऑपरेशनल ट्रीटमेंट किया गया. इसके साथ ही सारी जांच भी की जा चुकी थी. लेकिन देर शाम इन तीन महिलाओं में से दो को ऑपरेशन थिएटर में लाकर ऑपरेशन टेबल पर सुलाया गया. और एक महिला को वेटिंग में ऑपरेशन थिएटर के बाहर रखा गया.
महिलाओं को ऑपरेशन थिएटर में छोड़ भागी डॉक्टर
वहीं ऑपरेशन थिएटर के अंदर ऑपरेशन टेबल पर लिटाई गई दोनों महिलाओं के शरीर पर ऑपरेशनल कपड़े डाल दिए गये. टेबल पर कैंची, छूरी और अन्य साजों सामान रख दिया गया. तभी लेडी डॉक्टर की ऑपरेशन थिएटर में एंट्री हुई. डॉक्टर ने महिला को देखकर अचानक से ऑपरेशन करने से मना कर दिया, और बाहर चली गई.
परिजनों ने लगाया ये आरोप
वहीं इसकी जानकारी जब परिजनों को लगी, तो हल्ला करने लगे. इतना कुछ होने के बाद भी डॉक्टर नहीं रुकी. और अस्पताल से चली गई. वहीं जब मिडिया ने अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. सुनील कुमार और डीपीएम अनवर आलम से सवाल किया, तो उन्होने डॉ. ऋचा चौधरी के बचाव में कहा कि ऑपरेशन के लिए डॉ. ऋचा चौधरी की ड्यूटी नहीं लगी थी, वें रोस्टर देखकर ही बता सकते हैं कि किस डॉक्टर की ड्यूटी थी. आगे उन्होंने कहा कि दूसरे डॉक्टर को बुलाया गया है. ऑपरेशन हो जाएगा.
प्राइवेट अस्पताल में जाने का परिजनों ने लगाया आरोप
वहीं एक नई बात निकलकर सामने आई, जिसमें परिजनों ने आरोप लगया कि कॉल आने पर डॉ. ऋचा चौधरी अपने प्राइवेट अस्पताल चली गई. परिजनों का आरोप है कि डॉ. ऋचा चौधरी ऑपरेशन करने आई थी. इसी दौरान उन्हें एक कॉल आया, जिसके बाद वें ऑपरेशन किए बगैर अपने प्राइवेट अस्पताल चली गई.
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