समस्तीपुर (SAMASTIPUR) : अपने हक को लेकर मांग करना बुरा नहीं है. इसपर आपका पूरा अधिकार है. मगर उस अधिकार और मांग के बीच किसी व्यक्ति को अपना कर्तव्य नहीं भूलना चाहिए. बिहार के समस्तीपुर से आशा कार्यकर्ताओं का अमानवीय चेहरा सामने आया है. जहां 15 दिनों से 9 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल कर रही आशा कार्यकर्ताओं का गुस्सा इस कदर दिखा कि वह भूल गई कि उनके सामने कोई महिला पीड़ा से छटपटा रही है. वह भूल गई कि किसी लाचार को उनकी जरूरत है.
गेट पर ही बच्चे को दिया जन्म
इस हड़ताल को लेकर एक गर्भवती महिला को पीएचसी के प्रसव कक्ष में प्रवेश नहीं करने दिया गया जिसका परिणाम यह हुआ कि महिला को गेट पर ही अपने बच्चे को जन्म देना पड़ गया. इस वीडियो में आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि कैसे महिला गेट पर छटपटा रही है मगर अस्पताल से कोई भी उस महिला को छटपटाते देख उसकी मदद नहीं कर रहा. इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
प्रसव कक्ष के पास महिला को रोका गया
यह मामला विभूतिपुर पीएससी का है. इस मामले के बारे में मिली जानकारी के अनुसार विभूतिपुर प्रखंड का है. पश्चिमी टोल की चंदन दास की पत्नी कोमल को प्रसव पीड़ा महसूस हुई जिसके बाद परिवार वाले कोमल को सीएससी अस्पताल लेकर पहुंचे. जिस दौरान पीएचसी में आशा कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रही थी. उनके प्रदर्शन का रूप उन्होंने इस प्रकार दिखाया की इस महिला को तकलीफ में देखने के बावजूद किसी ने उसे अंदर आने नहीं दिया किसी तरह महिला मुख्य गेट तक तो पहुंच गए मगर प्रसव कक्ष के पास महिला को रोक दिया गया. अंजाम यह हुआ कि महिला उस दर्द में वहीं पर गिर पड़ी और उसने गेट पर ही एक बच्चे को जन्म दिया.
आशा कार्यकर्ताओं की कड़ी निंदा
इस दौरान वहां मौजूद कुछ लोगों द्वारा इस पूरी घटना का वीडियो बनाया गया. जो सोशल मीडिया पर अब तेजी से वायरल हो रहा है. जिसने भी इस वीडियो को देखा वह इसकी कड़ी निंदा कर रहे हैं. वहीं इस घटना के बाद अस्पताल के कर्मियों ने महिला का सहयोग कर तत्काल उसका उपचार कराया है महिला की सेहत के बारे में बात करें तो अभी जच्चा और बच्चा दोनों सुरक्षित है.
आशा कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई
इसके बाद परिवारवालों को घर के लिए रवाना कर दिया गया है विभूतिपुर पीएससी में आशा कार्यकर्ताओं के इस व्यवहार की निंदा की जा रही है. वहीं इस मामले को लेकर सिविल सर्जन डॉ एसके चौधरी ने बताया कि किसी भी स्थिति में इमरजेंसी मरीज को नहीं रोका जा सकता है. इस मामले में शिकायत मिलने पर संबंधित आशा कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई की जाएगी.
जानिए क्यों चल रहा है हड़ताल
सरकारी कर्मचारी घोषित करने कम से कम ₹18000 वेतन निर्धारित करने समेत 9 सूत्री मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ता गत 15 दिनों से हड़ताल पर हैं. विभिन्न अस्पतालों में आशा कार्यकर्ता प्रसव कार्य को प्रभावित कर रही है. प्रसव कार्य प्रभावित करने के उद्देश्य से आशाओं की टीम अलग-अलग शिफ्टो में प्रसव कक्ष के पास धरना दे रहीं हैं.
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