पटना(PATNA):बिहार में शिक्षकों के रिक्त पदों पर शिक्षकों की भर्ती के लिए बीपीएससी ने 12 जुलाई तक आवेदन मांगा है. जिसमें अब बिहार सरकार ने कैबिनेट प्रस्ताव लाकर बड़ा बदलाव किया है. कैबिनेट प्रस्ताव में बिहार में शिक्षक नियुक्ति के लिए किसी भी तरह की डोमिसाइल नीति खत्म कर दी गई है. इसका मतलब ये है कि अब देश में कहीं भी रहने वाले शिक्षक अभ्यर्थी बिहार में होने वाले बीपीएससी की परीक्षा में भाग लेकर बिहार में शिक्षक बन सकेंगे.
शिक्षक नियुक्ति में डोमिसाइल नीति खत्म करने पर राजनीति तेज
इसके बाद से बिहार में राजनीति शुरू हो गई है. बीजेपी ने इसे बिहार की दो दशक की युवा पीढ़ी के साथ धोखा बताया है. साथ ही बिहार की शिक्षा व्यवस्था को 30 साल पीछे धकेलने का आरोप नीतीश कुमार पर लगाया है. बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने बताया कि पिछले चार बार से जिस तरह बिहार सरकार बिहार में CTET, BTET , & STET के अभ्यर्थियों को ये आश्वासन दे रही थी कि मेरिट लिस्ट निकाल कर वो इन लोगों को शिक्षक बनने में सहायता करेगी. तो, वहीं तरफ बिहार सरकार ने डोमिसाइल नीति खत्म करके अभ्यर्थियों के साथ धोखा किया है.
बीजेपी ने कहा ये बिहार के युवाओं के साथ धोखा
बिहार सरकार ने डोमिसाइल नीति को खत्म कर शिक्षक भर्ती नियमावली 2023 में संशोधन कर जिस तरह से पूरे देश के अभ्यर्थियों के लिए बिहार में शिक्षक बनने का खुला ऑफर दिया है. उसके बाद से बिहार में अभ्यर्थी इसका विरोध कर रहे हैं. अभ्यर्थियों ने इसे बिहार के लाखों युवाओं के साथ ना इंसाफी बताया है. उनका कहना है कि यह काला कानून है. अब बिहार के अभ्यर्थी कहां जाएंगे.
वहीं दूसरी तरफ कैबिनेट में लिए गए इस कदम को बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने सही बताया हैं. उन्होंने कहा कि हर बार बिहार में मैथ , अंग्रेजी और साइंस ऐसे सब्जेक्टों के शिक्षक नहीं मिल पाए, और उनकी रिक्तियां वैसे ही खाली रह जाती हैं. इसलिए सरकार ने ये फैसला लिया है. बिहार के बाहर के भी छात्र-छात्राएं बीएससी के माध्यम से एग्जाम दे सकें. और बिहार में शिक्षकों के खाली रिक्त पड़े पदों को भरा जा सकें.
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