धनबाद(DHANBAD): बिहार, उत्तर प्रदेश ,झारखंड और बंगाल की बात की जाए, तो बिहार से सबसे अधिक लोग नौकरी के लिए विदेश जाते हैं. यह आंकड़ा सरकारी है कि 2022 में बिहार से 60 हज़ार लोग नौकरी के लिए विदेश गए हैं. इस आंकड़े पर खुशी मनाया जाए या दुख व्यक्त किया जाए, इस पर तो लंबा मंथन होना ही चाहिए. निश्चित रूप से घर- परिवार छोड़कर, जो लोग विदेश नौकरी के लिए जाते हैं, उनकी कोई न कोई लाचारी अथवा व्यवस्था तो होती ही होगी. बिहार के जिलेवार आंकड़े की बात की जाए तो 2022 में छपरा से 2272 लोग , सीवान से 8310 लोग, गोपालगंज से 8751, पूर्वी चंपारण से 3657, मधुबनी से 4389 लोग , दरभंगा से 2424, मुजफ्फरपुर से 1917, किशनगंज से 2232, सीतामढ़ी से 2112, पश्चिम चंपारण से 4262 लोग विदेश गए है. पटना से भी जाने वालों का आंकड़ा कम नहीं है. पटना से 6993 लोग नौकरी के लिए विदेश गए है. हालांकि दावा किया जा रहा है कि प्लेसमेंट एजेंसी को ठीक-ठाक कर दिया गया है. निबंधित एजेंटों की संख्या बढ़ाई गई है. साथ ही विदेश में जाने से पहले इन लोगों को ट्रेनिंग भी दी जाती है ताकि जिस देश में जाएं, वहां पर काम करने में किसी तरह की परेशानी नहीं हो.
शौक से तो कोई भी नौकरी करने नहीं ही जाता होगा
हो सकता है कि यह व्यवस्था की गई हो और इसकी निगरानी भी की जाती हो, लेकिन इतनी भारी संख्या में लोग नौकरी के लिए अगर विदेश जा रहे हैं, तो वह शौक से तो नहीं जा रहे होंगे. रोजगार के साधन अगर उपलब्ध अपने प्रदेश, जिले और घर के आस-पास हो जाए तो कोई भी विदेश क्यों जाएगा. बिहार से कटकर झारखंड जब अलग हो रहा था तो भी आवाज आई थी कि बिहार क्या सिर्फ बालू और गेहूं बेचकर खाएगा और झारखंड खनिज संपदा को लेकर राज करेगा. झारखंड राज्य अलग हुआ, खनिज संपदा तो झारखंड के हिस्से में आ गई और बिहार के हिस्से में सिर्फ बालू और खेती ही गई. झारखंड को तो लूटखंड में तब्दील कर दिया गया, बिहार में न समुचित मात्रा में रोजगार का सृजन हुआ और न ही झारखंड में.
कब कैसा जाएगा सरकारो के दावों को असलियत की कसौटी पर
दावे तो खूब किए जा रहे हैं, बिहार में सुशासन का दावा किया जाता रहा है, झारखंड की भी सरकार दावा करती रही है ,यह अलग बात है कि बिहार, झारखंड, बंगाल, यूपी से भी रोजगार के लिए पलायन हो रहे है. लागत के हिसाब से खेती में रिटर्न नहीं आ रहे हैं, नतीजा है कि धीरे-धीरे लोगों का मोह भंग होता जा रहा है. एक साल में अगर सिर्फ एक राज्य बिहार से 60 हज़ार लोग नौकरी की तलाश में विदेश गए हैं, तो यह आंकड़ा चौंकाने वाला तो है ही ,जरूरत है रोजगार के संसाधन बढ़ाने की. लेकिन सिर्फ "पेपर टाइगर" बनने से यह काम नहीं होगा, जमीन पर रोजगार के साधन को उतारना होगा. जरुरत है सरकारो के दावों को असलियत की कसौटी पर कसने की.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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