पटना(PATNA): किडनी ट्रांसप्लांट के बाद आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की सिंगापुर से भारत वापसी हो चुकी है. बिहार की राजनीति के चाणक्य लालू प्रसाद बिहार की राजनीति में पासा पलटने के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. लालू प्रसाद की वतन वापसी से पूर्व तेजस्वी यादव की ताजपोशी और राजनीतिक डील को लेकर बिहार का सियासी पारा सातवें आसमान पर था. सबकी निगाहें अब लालू प्रसाद यादव पर टिकी हैं. हालांकि इससे पहले जेडीयू के अंदर की नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच डील को लेकर घमासान मची है. उपेंद्र कुशवाहा लगातार डील को लेकर सवाल खड़ा कर रहे हैं. जिसके बाद राजद के शीर्ष नेताओं की ओर से तेजस्वी की ताजपोशी को लेकर बयान आने लगे थे. इधर बिहार भाजपा के नेता नीतीश कुमार एनडीए में नो एंट्री का बोर्ड लगा रखा है. इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के विभिन्न जिलों में समाधान यात्रा कर रहे हैं. इसके दौरान बिहार के राज्यपाल को केंद्र ने बदल दिया तो यात्रा के दौरान ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार औरंगाबाद के बाद मुजफ्फरपुर में भी यह बातें कहीं कि राज्यपाल बदलने को लेकर उनकी बात गृह मंत्री अमित शाह से हुई है. जिसके बाद सियासत गर्म हो गई है. नीतीश कुमार ने संदेश देने की कोशिश की कि भले ही बिहार भाजपा की ओर से नो एंट्री की बात कही गई है, लेकिन केंद्र के नेता से उनके अच्छे संबंध हैं.
राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा है कि राजद का हर कार्यकर्ता और नेता चाहता है कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनें, लेकिन अभी गठबंधन की सरकार है. भाजपा को दूर रखने के लिए हम लोगों ने नीतीश कुमार को नेतृत्व सौंपा है. जहां तक सवाल अमित शाह जी से बातचीत का है तो वह एक संवैधानिक प्रक्रिया के तहत हुई है. संघीय ढांचे में यह रूटीन प्रक्रिया है. वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी ने कहा है कि नीतीश कुमार का अब भाजपा में एंट्री नहीं हो सकता है. तेजस्वी यादव स्वच्छंद होकर काम करें उन्हें दबाव में आने की कोई जरूरत नहीं है.
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