पटना(PATNA)- जन अधिकार पार्टी सुप्रीमो पप्पू यादव ने केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को बिहार के लिए बड़ा खतरा बतलाया है, सीएम नीतीश कुमार से केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की गिरफ्तारी की मांग करते हुए पप्पू यादव ने कहा है कि बिहार सरकार इस व्यक्ति पर कब प्राथमिकी दर्ज करेगी, क्या कोई मंत्री है, इसलिए कुछ भी बकता-सकता रहेगा?
दरअसल यह पूरा विवाद बिहार सरकार के एक फैसले के बाद खड़ा हुआ है. अपने हालिया फैसले में बिहार सरकार ने रमजान के पवित्र महीने में अपने मुस्लिम कर्मचारियों को एक घंटा पहले कार्यालय आने और जाने की छूट दी है.
बिहार सरकार के फैसले को बताया इस्लामिक स्टेट की ओर एक कदम
लेकिन केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को राज्य सरकार का यह फैसला इस्लामिक स्ट्ट की ओर ले जाने वाला दिख रहा है. ट्विटर अकाउंट पर बेहद सक्रिय गिरिराज सिंह बिहार सरकार के फैसले के बाद ट्विट किया “क्या वोट के ख़ातिर नीतीश सरकार के नेतृत्व में बिहार इस्लामिक स्टेट की ओर बढ़ गया है, जहां सीमांचल के स्कूलों में शुक्रवार को छुट्टी, रमजान पर विशेष सुविधा दी जाती है और रामनवमी की छुट्टी रद्द कर दी जाती है?
गिरिराज सिंह के बय़ान को पप्पू यादव ने लपक लिया
अब गिरिराज सिंह के उस बयान को पप्पू यादव ने लपक लिया, हालांकि इस तरह के विवादित टिप्पणी करना और हर मामले में हिन्दू मुस्लिम का एंगल ढ़ूढ़ निकालना गिरिराज सिंह के लिए कोई नयी बात नहीं है. कहा जा सकता है कि यह उनकी स्वाभाविक टिप्पणी है. इसके पहले भी वह हिन्दू मुसलमान पर टिप्पणी करते रहे हैं.
पसमांदा समाज पर है भाजपा की नजर
हालांकि अब आगे का विस्तार और 2024 के महासमर में वापसी के लिए भाजपा की नजर पसमांदा मुस्लिमों पर है. खुद संघ परिवार भी इस ओर प्रयासरत है, लेकिन गिरिराज सिंह का खेल कुछ और ही है, उनको हिन्दू मुस्लिम के इस प्रिय खेल में अपना वोट बैंक सुरक्षित नजर आता है. आखिरकार सीट सुरक्षित रहेगी तब ही आगे की राजनीति होगी.
अल्पसंख्यक मतदाताओं को एक मैसेज देने की कोशिश
लेकिन इसके साथ ही यह भी इंकार नहीं किया जा सकता कि पप्पू यादव भी रमजान के पाक महीने से पहले अल्पसंख्यक मतदाताओं को एक मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं. ध्रुवीकरण का यह खेल दोनों ओर से जारी है, लेकिन जिस मुस्लिम समाज के नाम पर शतरंज के ये मुहरे सजाये जा रहे हैं, उस मुस्लिम समाज की राय जानने की कोशिश शायद दोनों ही खेमे की ओर से नहीं हुई. किसी ने यह नहीं पूछा कि काम के घंटे एक घंटे आगे पीछे कर इस मुस्लिम समाज पर कितना बड़ा उपकार कर दिया गया. क्या सरकार के इस फैसले से उनकी सामाजिक माली हालत में कोई बदलाव आने जा रहा है. क्या उनकी सामाजिक- राजनीतिक सहभागिता को सुनिश्चित करने की दिशा में कोई क्रांतिकारी कदम उठा लिया गया है, क्या सरकार के इस फैसले से मुस्लिम समाज के अन्दर मौजूद अशिक्षा दूर हो जायेगी.
यह कोई विशेष रियायत का मामला तो नहीं बनता
यह कोई विशेष रियायत का मामला तो नहीं बनता, सिर्फ एक घंटा पहले आने और जाने की छुट दी गई है, काफी हद यह तक यह महज प्रतीकात्मक फैसला है. इस फैसले से मुस्लिम समाज के मूल समस्यायों का कोई निराकरण नहीं होने जा रहा है, उनकी अशिक्षा, गरीबी और रोजगार से जुड़े प्रश्नों पर सरकार ने अलग से कोई फैसला नहीं लिया है. इसके पहले ही कई विशेष अवसरों पर हिन्दूधर्मालंबियों को लिए भी विशेष छुट दी जाती रही है, लेकिन विवाद तब ही होता है जब किसी फैसले से अल्पसंख्यक समाज का नाम जुड़ता है.
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