बेगूसराय (begusarai) : सावन का शुरुआत हो चुका है और आज सावन की पहली सोमवारी है. इस पावन भरे मौके पर तमाम शिव मंदिर में लोगों की भीड़ उमड़ी हुई है. भोलेनाथ की पूजा करने के लिए मंदिरों में लोगों की भारी संख्या देखी जा रही है. इसका असर बेगूसराय में भी दखने को मिला जहां सावन मास की पहली सोमवारी को लेकर गंगा घाटों पर भारी भीड़ देखी जा रही है. वहीं जिले के विभिन्न शिवालयों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ को जल अर्पण कर रहे हैं.
सावन की मान्यता
ऐसी मान्यता है कि सावन माह में भी समुद्र का मंथन हुआ था और जब किसी ने भी हलाहल विष का सेवन करने से मना किया तो भगवान शिव ने विष का सेवन किया और बिष के प्रभाव से जब उन पर मूर्छा आने लगी. तब गंगा के पवित्र जल से ही उनकी मूर्छा को भंग किया गया था. श्रद्धालुओं के अनुसार उसी दिन से सावन माह में भगवान भोलेनाथ को जल अर्पण करने की प्रथा चली आ रही है. यूं तो शिवालयों में सालों भर जल अर्पण किया जाता है लेकिन सावन माह और सावन की सोमवारी भगवान शिव को अति प्रिय कहा गया है.
श्रावण में पवित्र ज्योतिर्लिग के जलाभिषेक का खास महत्व
इस महत्व के बारे में बताया जाता है कि बहुआयामी स्वरुप के कारण इस माह को पवित्र और सर्वोतम मास माना जाता है. यही कारण है कि श्रावण में पवित्र ज्योतिर्लिग के जलाभिषेक का खास महत्व है और भक्तों को भी इससे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती. इस दौरान सुल्तानगंज स्थित उत्तर वाहिनी गंगा से गंगाजल लेकर कांवरिया का हुजूम देवघर की ओर आ जाता है. कहा जा सकता है कि गंगा मइया सुल्तानगंज से देवघर की ओर इन कांवरियों द्वारा लाए जल के माध्यम से चली आती है.
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