पटना(PATNA):बिहार में जातीय गणना पर लगातार बवाल मचा हुआ है. जहां विपक्षी पार्टी बीजेपी सीएम नीतीश कुमार को घेरने में लगी है. तो वहीं दूसरी तरफ कोर्ट की ओर से बिहार सरकार को इस मामले में दूसरा झटका लगा है. पटना हाईकोर्ट की ओर से जातीय गणना पर 3 जुलाई से पहले इस पर सुनवाई पर रोक लगा दिया गया हैं. जिसके बाद बिहार सरकार के मंसूबों पर पानी फिर गया है.
जातीय गणना की सुनवाई पर पटना हाईकोर्ट ने 3 जुलाई तक लगाया रोक
पहले पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना पर तत्काल प्रभाव से 3 जुलाई तक रोक लगा दी थी. और आज 9 मई को बिहार सरकार के उस याचिका को भी खारिज कर दिया. जिसमें सरकार ने कोर्ट से तुरन्त सुनवाई करने की अपील की थी. कोर्ट के इस आदेश के बाद अब सरकार में एक उदासी का माहौल है. लेकिन अभी भी सरकार में बैठे नेताओ को लगता है, कि बिहार में जातीय जनगणना जरूर होगी क्योंकि यह जनहित में है.
गणना से अंतिम पंक्ति में बैठे हुए गरीब लोगों का विकास होगा- मृत्युंजय तिवारी
वहीं इस मामले पर राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जातीय गणना से बिहार के अंतिम पंक्ति में बैठे हुए गरीब लोगों का विकास होगा. बिहार सरकार को पूरा विश्वास है कि जल्दी ही बिहार में जातीय गणना होगी.
कोर्ट में भी अपनी बातों को रख नहीं पाये नीतीश कुमार- निखिल आनन्द
वहीं पटना कोर्ट से सुनवाई को 3 जुलाई से पहले इंकार पर बीजेपी की ओर से प्रवक्ता निखिल आनन्द ने सीएम नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जातीय गणना सभी पार्टियों की सम्मती से शुरु हुई थी. लेकिन बाद में नीतीश कुमार ने सब से हटकर अपनी मर्जी से पर्दे के पीछे से राजनीति करने लगे. और कोर्ट में भी अपनी बातों को रख नहीं पाये. जिसकी वजह से ये हुआ है.
सरकार जातीय जनगणना कराने की जल्दबाजी में क्यों है ?
अब सवाल यह है कि बिहार सरकार जातीय जनगणना कराने की जल्दबाजी में क्यों है ?.दरअसल बिहार में महागठबंधन की सरकार जातीय गणना के आंकड़ों को 2024 लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव में एक ब्रह्मशास्त्र की तरह इस्तेमाल करना चाहती है. सरकार को पता है कि जब जनगणना के आंकड़े सामने आएगी तब एक बार फिर बात होगी कि किसकी कितनी हिस्सेदारी और भागेदारी है. और उसके बाद बात आरक्षण की होगी.
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