धनबाद(DHANBAD): बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा के चुनाव होने है. चुनाव को लेकर अभी से ही जमीन तैयार की जाने लगी है. पक्ष हो अथवा विपक्ष, सभी अपनी अपनी जड़ें मजबूत करने में जुटे हुए है. बढ़ती उम्र के बावजूद लालू प्रसाद यादव भी सक्रिय है. दही -चूड़ा के बाद बिहार की राजनीति करवट बदलने लगी है. अभी कुछ दिन पहले ही राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने मकर संक्रांति को लेकर आरएलजेपी के प्रमुख पशुपति पारस के घर जाकर उनसे भेंट की थी. इस मुलाकात के बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थी.
पशुपति पारस कह रहे हैं कि वह एनडीए का हिस्सा हैं लेकिन...
हालांकि पशुपति पारस अभी भी कह रहे हैं कि वह एनडीए का हिस्सा है. लेकिन वक्त बे वक्त उनकी नाराजगी झलकने लगती है. इस बीच सूचना निकलकर आई है कि रविवार को अचानक पशुपति पारस पटना में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के घर पहुंच गए. मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि राबड़ी देवी के आवास पर लालू प्रसाद यादव और पशुपति पारस की एक बार फिर मुलाकात हुई. आधे घंटे तक बातचीत हुई, उसके बाद पशुपति पारस वहां से निकल गए.
एक सप्ताह में दूसरी मुलाकात से अटकलों को मिल रहा बल
पशुपति पारस के साथ उनकी पार्टी के और नेता भी थे. इस मुलाकात के बाद तो अटकलों का बाजार और तेज हो गया है. एक सप्ताह के भीतर दूसरी मुलाकात को लेकर यह अटकल भी लगाई जा रही है कि बहुत जल्द कुछ बड़ा ऐलान हो सकता है. यह भी अटकल है कि पशुपति पारस चुनाव से पहले महागठबंधन में जा सकते है. इससे पहले भी चूड़ा -दही पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और पशुपति पारस की मुलाकात हुई थी. तब भी उसकी खूब चर्चा हो रही थी. पशुपति पारस मोदी सरकार के दूसरे टर्म में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके है. ऐसा माना जा रहा है कि राजद पशुपति पारस को अपने साथ इसलिए लाना चाहता है कि दलित वोट बैंक को साधा जा सके. हालांकि यह भी संभावना है कि पशुपति पारस अगर महागठबंधन का हिस्सा बनते हैं, तो जमुई, हाजीपुर, बेगूसराय, वैशाली, मुंगेर, खगड़िया जिले की कुछ विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकते है.
पशुपति पारस का दर्द समय- समय पर दिखता रहा है
बता दे कि एनडीए में किनारा किए जाने पर पशुपति पारस का दर्द समय- समय पर दिखता रहा है. उन्होंने अभी हाल ही में कहा है कि एनडीए ने दलित की पार्टी समझकर लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं दिया था. 2024 के चुनाव में बीजेपी ने पशुपति पारस की जगह चिराग पासवान को प्रमोट किया था. इसके बाद पशुपति पारस एनडीए से नाराज चल रहे है. इधर लालू प्रसाद भी चाहते हैं कि महागठबंधन का कुनबा बढ़े , जिससे वोटो का बिखराव रोका जा सके. वैसे कहा तो यह भी जा रहा है कि राजद का कांग्रेस के साथ रिश्ता बिगड़ रहा है. लेकिन यह चुनाव है. बिहार विधानसभा चुनाव में अभी वक्त है. बहुत तरह की राजनीतिक उठा पटक चलेगी. नीतीश कुमार के पाला बदलने की अफवाह अभी शांत है, लेकिन बिहार की राजनीति में ऊंट कब किस करवट बैठ जाए, यह कहा नहीं जा सकता.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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