बिहार में झामुमो के साथ "धोखा": झारखंड के पांच मंत्रियों की "कुर्सी" पर क्यों बढ़ने लगा खतरा, पढ़िए अंदर की पूरी कहानी


Bihar: बिहार चुनाव में झामुमो को सीट नहीं मिलने की वजह को लेकर कयासों का बाजार तेज है. आखिर झामुमो ने बिहार में चुनाव लड़ने से कदम पीछे क्यों खींच लिया? इसकी कहानी जितना साधारण दिख रहा है, उतना है नहीं. इस कहानी के पीछे गहरी नाराजगी और आरोपो का बढ़ता सिलसिला है. झारखंड में झामुमो कोट के मंत्री सुदिब्य कुमार सोनू ने सीधे तौर पर राजद और कांग्रेस को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने इसके लिए सियासी साजिश तक की बात कही है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि झामुमो ने चुनाव नहीं लड़ने का कदम , कांग्रेस और राजद की ओर से गठबंधन धर्म का पालन नहीं करने के कारण उठाया गया है.
झारखंड के मंत्री ने मीठी और कड़वी चेतावनी भी दी है
साथ ही मीठी और कड़वी चेतावनी भी दे दी है और कहा है कि झामुमो इसका सही समय पर, सही ढंग से जवाब देगा. झामुमो ने यह भी साफ कर दिया है कि वह झारखंड में कांग्रेस और राजद के साथ अपने रिश्तों पर फिर से विचार करेगा. झारखंड में फिलहाल महागठबंधन की सरकार चल रही है. मंत्री ने यह भी कहा कि सीटों के बंटवारों को लेकर कांग्रेस और राजद ने झामुमो के साथ सही नहीं किया है. काफी समय तक झामुमो को उलझाए रखा, नतीजा हुआ की अंतिम समय में झामुमो को चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लेना पड़ा. मंत्री ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की मजबूत पार्टी होने के बावजूद झामुमो को लेकर कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया और न हीं बीच -बचाव की कोशिश की.
राजद -कांग्रेस बराबर -बराबर का जिम्मेवार है
उन्होंने कहा कि इसके लिए राजद जितना जिम्मेवार है, उतना ही कांग्रेस भी जिम्मेवार है. बता दे कि फिलहाल झारखंड में कांग्रेस कोटे के चार मंत्री है. जिनमे राधा कृष्ण किशोर, डॉक्टर इरफान अंसारी, दीपिका पांडे सिंह, शिल्पी नेहा तिर्की शामिल है और राजद कोटे से संजय यादव झारखंड में मंत्री है. अब इन मंत्रियों पर भी कुर्सी जाने का ख़तरा बढ़ गया है. यह अलग बात है कि घाटशिला उपचुनाव के बाद झामुमो कोई बड़ा निर्णय ले सकता है. हेमंत सोरेन के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद यह बड़ा 'धोखा' बताया जा रहा है. झामुमो , जहां लगातार अपने बिस्तार का प्रयास कर रहा है ,वहीं बिहार में उसे "धोखा" मिला है. झामुमो बिहार में 1980 से चुनाव लड़ रहा है. जानकारी के अनुसार 1980 में 31 सीटों पर प्रत्याशी उतारा था, 11 सीटों पर जीत मिली थी. 1985 में 57 सीटों पर चुनाव लड़ा और 9 सीट जीती थी.
1990 में 82 सीटों पर प्रत्याशी उतारा था झामुमो ने
1990 में 82 सीटों पर प्रत्याशी उतारा और 19 सीट मिली थी. 2000 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 85 सीटों पर प्रत्याशी उतारा और 12 सीट जीती थी. झारखंड अलग राज्य बनने के बाद 2010 में झामुमो ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा और एक ही सीट मिली, हालांकि वह विधायक भी दो महीने के बाद जदयू में शामिल हो गया था. जानकारी के अनुसार 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में झामुमो ने पांच सीटों पर प्रत्याशी उतारा था. चकाई, कटोरिया, पीरपैती ,मनिहारी से झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उम्मीदवार उतारा था. 2025 में चकाई , धमदाहा, कटोरिया, जमुई, पीरपैती राजद के खाते में गई है, जबकि मनिहारी सीट कांग्रेस के पास है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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