बक्सर (BUXAR) : पटना में होने वाले बैठक से पूर्व ही महागठबन्धन के सहयोगी संतोष मांझी का मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद बिहार में चल रहे सियासी समीकरण का खेल एक बार फिर बिगड़ते दिखाई दे रहा है. वहीं ललन सिंह के बयान पर सियासी भूचाल आ गया है. बता दें कि ललन सिंह ने छोटे राजनीतिक दलों को छोटे दुकानदार से तुलना की थी जिसके बाद विपक्षी दल के नेता लगातार पलटवार है. माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भाटाचार्या ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और ललन सिंह पर पलटवार करते हुए कहा कि जीतन राम मांझी और ललन सिंह के बीच क्या चल रहा है. उससे हमारी पार्टी को कोई लेना देना नही लेकिन जिस तरह से पटना में भारतीय जनता पार्टी के नेता जेपी नड्डा ने बयान दिया था कि एक ही पार्टी अगले 50 साल तक राज करेगी यह लोकतंत्र में सम्भव नही है.
बीजेपी के नेताओं को बेचैन होने की जरूरत नही- दीपांकर भाटाचार्या
माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भाटाचार्या ने 23 जून को होने वाले महागठबन्धन की बैठक को लेकर कहा कि आज आम लोगो की रोजी रोटी बचाने के लिए महागठबन्धन समय की मांग है. बिहार में इसका सफल प्रयोग भी हुआ है. लेकिन बीजेपी के नेता बार बार पूछ रहे है कि महागठबन्धन का दूल्हा कौन होगा. तो चुनाव में जीते हुए सांसद अपना नेता भी तय कर लेंगे बीजेपी के नेताओं को बेचैन होने की जरूरत नहीं है.
केवल बड़े दल ही राज करेंगे यह कहि से सही नहीं है- दीपांकर भाटाचार्या
दीपांकर भाटाचार्या ने बताया कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में यह कहना कि छोटे-छोटे दलों को अपनी दुकानें बंद कर लेना चाहिए केवल बड़े दल ही राज करेंगे यह कहीं से सही नही है. लोकतंत्र की खूबसूरती तभी है जब कई छोटे बड़े राजनीतिक दल होंगे और सभी स्वतंत्र रूप से आम लोगो की लड़ाई लड़ेंगे. किसी को छोटा समझना कहि से सही नही है. जीतन राम मांझी के बेटे के मंत्रिमंडल से स्थिफ़ा देने के बाद से अब गठबन्धन में शामिल होने वाले छोटे छोटे दल के अंदर अस्तित्व को समाप्त हो जाने का डर सताने लगा है.
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