Patna- महिला आरक्षण बिल के दौरान संसद में बहस के दौरान ओम प्रकाश वाल्मिकी की कविता का ‘ठाकुर का कुंआ’ के पाठ के बाद पूरे बिहार में राजपूत नेताओं के बीच एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ मच चुकी है, दलों की दीवार टूट चुकी है, और ठाकुर अस्मिता के सवाल पर भाजपा, राजद और जदयू नेताओं की जुबान एक जैसी हो चुकी है. और हर जुबान पर मनोज झा के लिए सिर्फ और सिर्फ गाली है, चेतावनी और धमकी है.
कोई जीभ खिंचने की धमकी दे रहा हैं, तो कोई खाल उतारने की चेतावनी. किसी को इस बात की कसक है कि काश! ठाकुर समाज ने उसे संसद में भेजा होता, तो आज यह दिन देखने की नौबत नहीं आती, उसके रहते किसी ब्राह्मण की यह हैसियत नहीं होती कि वह ठाकुर बिरादरी को आंख दिखलाने की हिम्मत कर पाता, जिस ठाकुरत्व को वह पीढ़ियों से सिंचित करते रहे हैं, जिसका सदियों से जलबा रहा है, उस पर संसद में कविता पाठ, यह कतई बर्दास्त नहीं है.
मोहब्बत की दुकान से निकली राजपूताना राज्य की मांग
लेकिन यह मामला अब मनोज झा के खिलाफ नफरती भरे बयानों से आगे जाकर बिहार विभाजन की ओर सरकता दिख रहा है. संसद में ‘ठाकुर का कुंआ’ का पाठ का हुआ कि बिहार को विभाजित करने की मांग भी शुरु हो गयी. और यह मांग और किसी ने नहीं नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान सजाने वाले कांग्रेस के एक पूर्व नेता की ओर से आयी है.
बिहार प्रदेश कांग्रेस के पूर्व सचिव सिद्धार्थ क्षत्रिय ने पटना की सड़कों पर होर्डिग लगाकर अलग राजपूताना राज्य की बनाने की मांग की है, इसके लिए वाजाप्ता एक नक्शा भी बनाया गया है, अलग राजपूताना राज्य संघर्ष समिति के बनैर तले जारी किये गये इस नक्शे में बिहार के औरंगाबाद, रोहतास, भोजपुर, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, सहरसा जिलों को जोड़ कर अलग राज्य बनाने की मांग की गयी है.
इस मांग को इस आधार पर तार्किक बनाने की कोशिश की गयी है कि जब नई संसद भवन में राजदंड को रखा गया है, सेना में राजपूताना रेजीमेंट है, तो अलग राजपूताना राज्य बनाने में आपत्ति क्यों है. पोस्टर में इस बात का भी दावा किया गया है कि राजपूतों का इतिहास सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र , दानवीर कर्ण, पुरुषोत्तम राम, वीर कुंवर सिंह से जुड़ा है. आज जरुरत उस विरासत को आगे बढ़ाने की है, और इससे लिए बेहद जरुरी है कि राजपूताना राज्य को अमलीजामा पहनाया जाय.
4+