Ranchi-डुमरी उपचुनाव की रणभेरी बज चुकी है. जहां इंडिया गठबंधन की ओर से पूर्व शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी को जंगे मैदान में उतारने की तैयारी है, वहीं आजसू ने भी साफ कर दिया है कि यह लड़ाई महज एक विधान सभा सीट की नहीं है, यह तो उन सपनों को अंजाम तक पहुंचाने की लड़ाई है, जो टाईगर जगरनाथ की मौत के साथ अधूरा रह गया. 1932 का खतियान जिसकी लड़ाई टाईगर जगरनाथ लड़ते आ रहे थें, जिनकी एक आवाज पर पूरा डुमरी उमड़ पड़ता था, जहां बच्चे -बच्चे की आवाज 1932 का खतियान है, आजसू अब उसी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचायेगी.
यशोदा देवी होगी आजसू की उम्मीदवार
आजसू विधायक लम्बोदर महतो ने आज डुमरी उपचुनाव के लिए यशोदा देवी की नाम की घोषणा करते हुए दावा किया टाईगर जगरनाथ की मौत से 1932 के खतियान की मांग पीछे नहीं छूटने वाली है, हर आजसू कार्यकर्ता टाईगर जगरनाथ के सपनों को पूरा करने लिए अपना खून पसीना बहायेगा.
इस अवसर पर पत्रकारों ने 1985 के खतियान का सवाल भी उछाल दिया, उन्होंने पूछा कि रघुवर दास की सरकार में जब स्थानीयता का आधार 1985 के खतियान को बनाया गया था, तब तो आजसू भी सरकार की हिस्सा थी, और सरकार के इस फैसले पर उसके द्वारा मिठाईयां बांटी गयी थी, लेकिन अब यह यूटर्न क्यों? हालांकि इस सवाल को टाल दिया गया, लेकिन इतना दावा जरुर किया गया कि रामगढ़ के बाद अब आजसू डुमरी के जंगे मैदान में भी झामुमो महागठबंधन को परास्त करेगी और भारी अंतर से यशोदा देवी की जीत होगी.
क्यों बदला आजसू का स्टैंड
साफ है कि पिछले दिनों जिस प्रकार से 1932 का खतियान को सामाजिक स्वीकृति प्राप्त हुई है, जिस प्रकार छात्र संगठनों ओर आदिवासी मूलवासी संस्थाओं के द्वारा पूरे राज्य में इसका अलख जगाया गया है, आजसू को भी इसकी महत्ता का भान हो चुका है, यही कारण है कि उसके द्वारा सीधे सीधे बेबी देवी को निशान बनाये के बजाय, हेमंत सराकर की नीतियों पर सवाल उठाया जा रहा है, उसकी कोशिश 1932 का खतियान को लागू नही करने के सवाल पर हेमंत सरकार को घेरने की है.
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