रांची(RANCHI)- उच्च शिक्षा किसी भी समाज के बुनियाद की रीढ़ मानी जाती है. आने वाले समाज की दशा और दिशा क्या होगी, यह सब कुछ उस समाज की उच्च शिक्षा की गुणवता से तय होता है, लेकिन यह झारखंड की विडम्बना ही है, कि राज्य के सात विश्वविद्यालयों में से तीन के पास एक भी यूनिवर्सिटी प्रोफेसर नहीं है.
एसोसिएट प्रोफेसरों के भरोसो विश्वविद्यालय का पठन पाठन
झारखंड का सबसे प्रमुख विश्वविद्यालय में गिनती होने वाला श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय से लेकर बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय (बीबीएमकेयू) धनबाद और नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय (एनपीयू) पलामू की यही स्थिति है. कहने को तो यहां 21-21 स्नातकोत्तर विभागों का संचालन किया जा रहा है, लेकिन किसी भी विभाग के पास प्रोफेसर नहीं है, सब कुछ गेस्ट टीचरों और एसोसिएट प्रोफेसरों के हवाले है.
कैसे होगा शोध कार्य
यहां हम बता दें कि प्रोफेसर सिर्फ अपने विषय के विशेषज्ञ ही नहीं होते, उनका काम सिर्फ छात्रों को पढ़ाना ही नहीं होता है, पठन-पाठन के साथ ही उनके कंधों पर शोध और प्रशासनिक जिम्मेवारियां भी होती है. विश्वविद्यालय की पहचान उस विश्वविद्यालय में मौजूद प्रोफेसरों से होती है.
2017 में पड़ी थी बीबीएमकेयू धनबाद की नींव
ध्यान रहे कि वर्ष 2017 में विनोबा भावे विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों को अलग कर बीबीएमकेयू धनबाद की नींव डाली गयी थी. तब यहां कुल तीन प्रोफेसर डॉ आरसी प्रसाद (राजनीति विज्ञान), डॉ मंटू सिंह (वाणिज्य) और डॉ अनवर मल्लिक (वनस्पति विज्ञान) थें. उस समय 1978 बैच के सीनियर एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एसकेएल दास (अर्थशास्त्र) और 1979 बैच के डॉ. बी कुमार (रसायन विज्ञान) थे, लेकिन योग्यता रखने के बावजूद उन्हें प्रमोशन नहीं दिया गया. आज के दिन कुल 22 स्नातकोत्तर विभाग हैं, लेकिन बावजूद इसके प्रोफेसरों की संख्या शुन्य है
चयनित प्रोफेसरों ने एनपीयू आने से किया इंकार
ठीक यही हालत एनपीयू पलामू की है, हालांकि एनपीयू जेपीएससी के माध्यम से पांच प्रोफेसरों की नियुक्ति की थी, लेकिन किसी ने भी एनपीयू आना स्वीकार नहीं किया, बजाय एनपीयू में प्रोफेसर बनने के उन्होंने वीबीयू में भी में एसोसिएट प्रोफेसर के रुप में काम करना स्वीकार किया.
रांची विश्वविद्यालय में पांच प्रोफेसर
इन सबों से आज भी बेहतर स्थिति रांची विश्वविद्यालय की है. जहां आज के दिन भी पांच प्रोफेसर कार्यरत हैं. जबकि कोल्हान विश्वविद्यालय (केयू) चाईबासा, सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय (एसकेएमयू) दुमका और विनोबा भावे विश्वविद्यालय (वीबीयू) हजारीबाग में केवल एक प्रोफेसर है.
पिछले 23 वर्षों से प्रोमोशन का इंतजार
डॉ मुंदिता चंद्रा (हिंदी विभाग) केयू चाईबासा में एकमात्र विश्वविद्यालय प्रोफेसर हैं, वहीं डॉ आर केएस चौधरी (दर्शनशास्त्र) भी एसकेएमयू दुमका में एकलौते प्रोफेसर हैं. हालांकि वह पहले वीबीयू हज़ारीबाग़ में थे, लेकिन कुछ वर्ष पहले उनका तबादला दुमका में किया गया. बताया जाता है कि इन सभी विश्वविद्यालयों में कई योग्य एसोसिएट प्रोफेसर हैं, लेकिन पिछले 23 वर्षों से इन्हे प्रोमोशन का इंतजार है.
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