टीएनपी डेस्क(TNP DESK):-साइक्लोन का नाम दिलों-दिमाग में आते ही एक तबाही का मंजर उभरने लगता है. क्योंकि समंदर अशांत हो जाता है. तेज हवाएं, समुद्र से उंची उठती लहरें, टूटे पेड़ इसके दहशत की तस्दीक कराती है. लोगों की जिंदगी की जद्दोजहद और बचाव के लिए एनडीआरएफ और सेना का ग्राउंड जीरों पर उतरना अलग ही डर की कहानी बताती है. हालांकि, तूफान आते रहें हैं और आते रहेंगे, ये तो सच्चाई है. अभी साइक्लोन बिपरजॉय के कारण खौफ का माहौल है. इसका सबसे ज्यादा असर गुजरात में देखने को मिलेगा. जिसकी तैयारियां पहले से ही की जा रही है .15 जून की शाम बिपरजॉय गुजरात के कच्छ और पाकिस्तान के करांची के तट से टकराएगा. लिहाजा, पहले से ही अलर्ट कर दिया गया है. सबको एहतियात के तौर पर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है.अभी हमलोग बिपरजॉय का खतरे से चिंतित है. लेकिन, इसकी दूसरी तस्वीर देंखे, तो इससे पहले भी एक से बढ़कर एक समुद्री सैलाब आए, जिसने जिंदगी छीनी, गम दिए औऱ तरह-तरह की तबाही मचाई. आईए कुछ ऐसी ही तूफान के बारे में जान लेते हैं.
सुपर साइक्लोन- 1999 में आए इस तूफान ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी. यह इतना खतरानाक साइक्लोन था कि सरकारी आकड़ों में 9887 लोगों के मारे जाने की सूचना था. लेकिन, बताया जा रहा है कि, इस विनाशाकारी तूफान में 30000 से ज्यादा जिंदगियां छीनी थी. यह तूफान नहीं, बल्कि यमराज बनकर आया था,क्योंकि इससे 1.25 करोड़ लोगों की जिंदगी पर सीधा असर पड़ा था . यह इतना डरावना था कि 16 लाख मकान जमिदोंज हो गये थे. कई को अपना घर ही कब्रगाह बन गया था . 25 अक्टूबर 1999 को अंडमान सागर से उठ इस सइक्लोन की रफ्तार 260 किमी प्रति घंटे की थी, जिससे सबसे ज्यादा प्रभावित ओडिशा को किया. साइक्लोन से हुए नुकसान के चलते भारत सरकार ने 2200 करोड़ रुपए की मदद की थी. बताया जाता है कि, केन्द्र और राज्य सरकार को ओडिशा को फिर से संवारने के लिए 2 साल से ज्यादा का वक्त लग गया था.
फानी तूफान- 2019 में आया फानी तूफान भी कम खतरनाक नहीं था. इसने भी ओडिशा में ही सबसे ज्यादा विनाशलीला की. इसकी रफ्तार 932 किलोमीटर प्रति घंटा की थी. जो 26 अप्रेल से शुरु होकर 4 मई तक भारत में तबाही मचाई थी. इस सैलाब से 72 लोग काल के गाल में संमा गए थे, जिसमे अकेले ओडिशा में 60 से ज्यादा लोग आकाल मौत मरे. इसके चलते समंदर के किनारे रहने वाले लाखों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा औऱ विस्थापित की जिंदगी गुजारें . भारत के अलावा इसने बंग्लादेश में भी काफी तबाही मचाई.
फैलिन तूफान – 2013 में तूफान फैलिन ने भी जमकर जिंदगी तबाह की थी. सबसे ज्यादा बदनसीब ओडिशा राज्य ही रहा. इस साइक्लोन ने 50 से अधिक लोगों की जिंदगियां खत्म कर दी . 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाले इस तूफान का असर ओडिशा के अलावा आंध्रप्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल , छत्तीसगढ़ औऱ बिहार तक हुआ. इस तूफान से 12 लाख लोगों की जिंदगी अस्त-व्यस्त हो गयी थी.
हुदहुद तूफान - 2014 में आए हुदुहुद तूफान ने भी भारत में भयंकर तबाही मचा कर चली गई थी, हुदहुद ने 124 लोगों की जिंदगियां छीना था. 6 अक्टूबर को अंडमान सागर से शुरुआत हुई, इस तूफान से 185 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवा चली, जिसके चलते आंध्रप्रदेश में विशाखापट्टनम और ओडिशा को तबाह कर दिया था.लाखों लोगों की जिंदगी इसके चलते प्रभावित हुई, केन्द्र सरकार ने 1000 करोड़ का राहत पैकेज दिया था.
वर्धा साइक्लोन- 2016 में आए वर्धा साइक्लोन ने भी दक्षिण भारत में कोहराम मचा डाला था . इसके चलते भारत में 18 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. इस तूफान की रफ्तार 130 किलोमीटर प्रति घंटा थी. इससे हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गयी. लाखों पेड़ टूटकर गिर गए और कईयों के आशियानें जमीदोज हो गये . हवाओं की रफ्तार तेज होने से 10 हजार बिजली के खंभे गिर गये थे. इस साइक्लोन से सबसे ज्यादा नुकसान चेन्नई और अंडमान निकोबार में हुआ था. इस तूफान का नाम वर्धा पाकिस्तान ने रखा था. थाईलैंड में आई बाढ़ की वजह से ये तूफान आया था.
रिपोर्ट-शिवपूजन सिंह
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