पटना(PATNA)- नीतीश कुमार की सियासत को संदेह और अविश्वास की नजर से देखने वालों की ओर से उन्हे पलटूराम की उपाधि दी जाती है. दावा किया जाता है कि सियासत में सीएम नीतीश का अगला साथी और दुश्मन कौन होगा, इसकी भविष्यवाणी सीएम नीतीश के सिवा कोई और नहीं कर सकता. हालांकि बीच-बीच में उनके राजनीतिक सफर का काफी हद तक साझेदार और अहम सहयोगी रहे सुशील मोदी के द्वारा सीएम नीतीश कुमार की भावी राजनीति को लेकर भविष्यवाणी करने की कोशिश की जाती रही है, लेकिन अपने तर्कों से सीएम नीतीश उसकी हवा निकालते रहे हैं. शायद यही कारण है कि दक्षिणपंथ और समाजवाद के बीच हवा खाती उनकी इस राजनीति को कई लोगों के द्वारा कुजात समाजवाद की संज्ञा दी जाती है.
कहानी कुछ और है
लेकिन आज की कहानी कुछ और है, आज सुबह-सुबह ही बिहार की राजनीति में तूफान मच गया. संदेह, बगावत और सियासी तूफान की भविष्यवाणी की जाने लगी, लेकिन यह भविष्यवाणी सीएम नीतीश के सहयोगी और कई सियासी उलटफेर में उनके साझीदार रहे छोटे मोदी के द्वारा नहीं बल्कि यह कोहराम तो सीएम नीतीश और खुद सुशील मोदी की मुलाकात के बाद मचा था.
दोनों एक साथ पहुंचे राजभवन
दरअसल आज राजनीति के दो धुर्वों पर खड़े सीएम नीतीश और सुशील मोदी आज सुबह-सुबह करीबन एक साथ राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर से मिलने पहुंच गयें. यह खबर सामने आते ही बिहार के सियासत में तूफान मच गया, लोग सांस रोक कर एक दूसरे से सवाल पूछने लगे. लोगों के जेहन में एक ही सवाल था कि विपक्षी एकता का सूत्रधार और छोटे मोदी के बीच इस मुलाकात का राज क्या है? क्या बिहार में फिर से कोई नयी सियासी पिच तैयार की जा रही है, क्या छोटे मोदी भाजपा को गच्चा देने जा रहे हैं? नहीं तो क्या सीएम नीतीश खुद ही विपक्षी एकता की मुहिम को दगा देकर अपने पूर्व सहयोगी जीतन राम मांझी की राह पर चलने वाले हैं.
महज इत्तेफाक थी यह मुलाकात?
लेकिन कुछ ही देर में यह खबर आयी कि दो धुर्वों की सवारी करते इन दोनों दोस्तों की मुलाकात महज एक इत्तेफाक थी. सीएम नीतीश यहां राजेन्द्र मंडप का निरीक्षण करने पहुंचे थें, इस बीच सुशील मोदी भी पहुंच गये. और दोनों करीबन 30 मिनट एक साथ रहें. ध्यान रहे कि इसी राजेन्द्र मण्डपम में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन भी किया जाता है. कई बार यहां अतिथियों के बैठने में दिक्कत की शिकायत की जाती थी, जिसके बाद सीएम नीतीश ने इसे रिनोवेशन करने का आदेश दिया था.
4+