रांची(RANCHI)- शीताकालीन सत्र के ठीक पहले राज्यपाल सीपी राधाकृष्नन के द्वारा एक निजी चैनल के दिये गये साक्षात्कार से झारखंड की राजनीति में तूफान खड़ा हो गया है, अपने उक्त साक्षात्कार में महामहिम ने बांग्लादेशी घुसपैठ को आदिवासी समुदाय की सभ्यता और संस्कृति के लिए बड़ा खतरा बताया है, उनका दावा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के द्वारा झारखंड की आदिवासी महिलाओं के साथ शादी कर उनका धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है. विधान सभा के सत्र के ठीक पहले किसी राज्यपाल के द्वारा इस तरह के बयान पर विवाद तो होना ही था, साथ ही झाममो को बैठे बिठाये राजभवन की भूमिका पर सवाल खड़ा करने का एक मुद्दा भी मिल गया.
अब राज्यपाल के दावे पर सवाल खड़ा करते झाममो ने पूछा है कि क्या उनके पास इस बात का एक भी सबूत है, क्या वह किसी एक भी आदिवासी महिला का नाम बता सकते हैं, जिसने किसी बांग्लादेशी से शादी की, कितने आदिवासी महिलाओं का इस्लाम में धर्म परिवर्तन करवाया गया, क्या महामहिम के पास के पास ऐसा कोई आंकड़ा है, या वह सिर्फ वही भाषा बोल रहे हैं, जो बाबूलाल मरांडी और रघुवर दास बोलते रहते हैं. बाबूलाल और रघुवर दास का दावा अलग है, वह भाजपा के कार्यकर्ता है, लेकिन क्या एक राज्यपाल भी बाबूलाल और रघुवर दास के तरह ही बगैर किसी आंकड़ें और साक्ष्य के इस तरह के बयान देंगे.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्नन को आदिवासी मूलवासियों का विरोधी करार देते हुए इस बात का दावा कि उनकी कोशिश किसी भी प्रकार से पिछड़ों का आरक्षण विस्तार, सरना धर्म कोड, मॉब लीचिंग बिल, खतियान आधारित स्थानीय नीति को डायवर्ट करना है, बांग्लादेशी घूसपैठ को हवा देकर वह आदिवासी मूलवासियों से जुड़े विधेयकों को लटकाना चाहते हैं, उनके इस बयान से महामहिम के साथ ही भाजपा का चेहरा भी साफ हो गया है. राज्य के आदिवासी मूलवासी इस खेल को भली भांति समझ रहे हैं.
झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने राज्यपाल की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि राज्यपाल किसी भी राज्य का संवैधानिक अभिभावक होते हैं, लेकिन यहां तो राज्यपाल भाजपा के एजेंडा तय करने में लगे हैं, शीतकालीन सत्र के ठीक पहले उनके द्वारा बांग्लादेशी घूसपैठ का हौवा खड़ा किया जा रहा है, आम भाजपा कार्यकर्ता की तरह झारखंड बांग्लादेश के बार्डर वाले क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय बदलाव का दावा किया जा रहा है. बगैर किसी साक्ष्य के इस बात का दावा किया जा रहा है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के द्वारा आदिवासी महिलाओं से शादी कर धर्मान्तरण करवाया जा रहा है. लेकिन इस बात का कोई आंकड़ा नहीं दिया जा रहा है.
बगैर कोई साक्ष्य और आंकड़ों के भाजपा की भाषा बोल रहें हैं महामहिम
सुप्रियो भट्टाचार्य ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि क्या राज्यपाल के पास बांग्लादेशियों घूसपैठियों का कोई आंकड़ा है, क्या उनके पास इस बात एक सबूत भी है कि बांग्लादेशी घूसपैठियों के द्वारा आदिवासी महिलाओं के साथ शादी किया गया है. लेकिन वह बाबूलाल मरांडी और रघुवर दास की तरह सिर्फ गॉसिप के आधार एक राजनीतिक उद्देश्य से दावे किये जा रहे हैं.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने इस बात की आशंका भी जाहिर की राज्यपाल के इस दावे पर विधान सभा के अन्दर प्रश्न खड़े किये जा सकते हैं, उनकी भूमिका लेकर हंगामा खड़ा हो सकता है.
हमारे सैनिकों की कर्तव्यनिष्ठा सवाल नहीं खड़ा करे महामहिम
क्योंकि यह समझ हर एक शख्स में है कि हमारे बॉर्डर की सुरक्षा की जिम्मेवारी केन्द्रीय गृह मंत्रालय की है, हमारे लाखों जवान बार्डर पर तैनात खड़े हैं, निश्चित रुप से राज्यपाल के दावे हमारे जवानों की कर्तव्यनिष्ठा पर सवाल खड़े कर रहे हैं, महामहिम को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि हमारे वीर जवान सीमाओं पर चिनिया बादाम खाने के लिए नहीं खड़े हैं. उनक एक-एक पल राष्ट्र की सुरक्षा को समर्पित है, उनकी आंखों को परिंदा भी धोखा नहीं दे सकता. किसी इंसान का उसका पार होना तो दूर की बात है, बावजूद इसके यदि राज्यपाल को लगता है कि बांग्लादेशियों को घूसपैठ हो रहा है तो उन्हें इसका जवाब तो केन्द्रीय गृह मंत्रालय से पूछना चाहिए था.
साफ है कि बांग्लादेशी घूसपैठियों का हौवा खड़ा कर राज्यपाल भाजपा का एजेंडा तय करने में लगे हैं. उनकी भाषा भाजपा की भाषा है, लेकिन किसी भी राजभवन का भाजपा का इक्स्टेंडेड ऑफिस बनना चिंता का विषय है.
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