टीएनपी डेस्क (TNP DESK)जो भाजपा कभी विपक्षी दलों पर यह तंज कसा करती थी कि पीएम मोदी का मुकाबला करने के लिए सारे दलों को एक होना पड़ रहा है, इनमें अकेला पीएम मोदी का मुकाबला करने की ताकत नहीं है, अब वही भाजपा अपने बिसरे सहयोगियों की तलाश कर रही है, यह वही भाजपा है, जिसने कभी चिराग पासवान को बेआबरु कर बंगला खाली करवाया था, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, और उस गुस्से का इजहार चिराग पासवान ने पटना की सड़कों पर किया था. यह वही भाजपा है जिसने मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसाफ पार्टी के विधायकों को तोड़ कर अपनी पार्टी में मिलाया था, और मुकेश सहनी को मंत्री पद से रुखस्त करवाया था. यह वही भाजपा है जिसने 2019 में अपने प्रमुख सहयोगी जदयू को समेटने के लिए चिराग को आगे कर राजनीतिक षडयंत्र किया था.
आडवाणी-वाजपेयी के दौर में एनडीए में दो दर्जन से अधिक दल शामिल थें
आडवाणी-वाजपेयी के दौर में भाजपा के एक दर्जन से अधिक सहयोगी थें, तब एनडीए की एक ताकत थी, उसका अपना वजूद था, यह वह भाजपा थी जो अपने सहयोगी दलों की राय सुनती थी, और उसके अनुसार अपनी प्राथमिकताओं को आगे-पीछे करती थी. सरकार का संचालन भाजपा की नीतियों के आधार पर नहीं होकर एनडीए का कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर होता था. लेकिन पीएम मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने उन सभी दलों ने एक एक कर भाजपा से किनारा कर लिया, आज हालत यह है कि ना तो उसके साथ अकाली दल खड़ा है, और ना ही कभी उसका सबसे विश्वस्त सहयोगी मानी जाने वाली जदयू, महाराष्ट्र जहां उसकी प्रमुख सहयोगी शिव सेना हुआ करती थी, भाजपा उसका भी दो फाड़ कर चुकी है, जदयू को भी तोड़ने की पूरी कोशिश की गयी, उसकी नजर तो अकाली दल से लेकर हरियाणा में उसका प्रमुख सहयोगी बन कर सामने आयी चोटाला परिवार को भी तोड़ने की थी. लेकिन 2019 का ज्वार उतरते ही उसका यह गर्व चकनाचुर होता नजर आ रहा है. किसी भी दल के साथ अकेला फरियाने का दावा करने वाली भाजपा आज एक एक सहयोगी की तलाश में जुटी है, और यह नौबत इसलिए आ पड़ी है कि उसके सामने उस विपक्षी एकजुटता का सपना साकार होता दिख रहा है, जिसका वह कभी मजाक उड़ाता है, और हालांकि सार्वजनिक रुप से वह आज भी विपक्षी एकजुटता को एक गुब्बारा बता रहा है, लेकिन सच्चाई है कि इस एकजुटता से भाजपा की नींद हराम हो चुकी है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का तंज
मृत एनडीए को एक बार फिर से जिंदा करने की इसी कोशिश पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने तंज कसा है, उन्होंने कहा कि विपक्षी एकजुटता का मजाक उड़ाने वाले आज कल मृत एनडीए को एक बार फिर से खड़ा करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं, क्या पिछले नौ सालों में किसी ने एनडीए का जिक्र सुना था, क्या राष्ट्रपति से लेकर उपराष्ट्रपति तक चुनाव के पहले एनडीए की बैठक की गयी थी, क्या मोदी सरकार ने किसी भी नीतिगत निर्णय के पहले एनडीए की बैठक बुलाई थी, अब जब विपक्षी एकजुटता की गाड़ी चल निकली है, उस एनडीए को एक बार फिर से जिंदा करने कोशिश की जा रही है, जिसका कत्ल खुद मोदी और अमित शाह की राजनीतिक शुरुआत के बाद हुआ था.
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