रांची(RANCHI): पूर्व शिक्षा मंत्री टाईगर जगरनाथ महतो का ड्रीम प्रोजेक्ट स्कूल ऑफ एक्सीलेंस इस वर्ष भी जमीन पर उतरता नहीं दिख रहा है. अप्रैल का महीना समाप्त होने को है, स्कूलों में नये सत्र की शुरुआत हो चुकी है, 310 करोड़ रुपए की भारी भरकम राशि खर्च कर 80 भवन और दूसरे संस्थान तैयार कर लिये गये हैं. लैंग्वेज लैब, कंप्यूटर लैब, साइंस लैब, मैथ्स लैब और पुस्तकालय के साथ-साथ स्मार्ट क्लास का छात्रों का इंतजार कर रहा है, लेकिन मुश्किल यह है कि सरकार के पास इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई किये हुए शिक्षकों का टोटा है, जबकि इन विद्यालयों की पूरी पढ़ाई लिखाई अंग्रेजी भाषा में होनी है.
दिल्ली की तर्ज झारखंड में भी शिक्षा में बदलाव की हुई थी तैयारी
यहां बता दें कि सीएम हेमंत और पूर्व शिक्षा मंत्री टाईगर जगरनाथ महतो के द्वारा इस प्रोजक्ट की शुरुआत झारखंड की बदहाल शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूक बदलाव के लिए की गयी थी. टाईगर जगरनाथ महतो ने सपना पाला था कि पूरे झारखंड में 4,496 स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का संचालन किया जायेगा, जिसकी संबद्धता सीबीएससी से होगी, इसके पहले चरण में 80 स्कूलों की शुरुआत की जानी थी. वर्ष 2023-24 में इसकी शुरुआत की जानी थी.
इंग्लिश मीडियम टीचरों की कमी से टूट रहा है सपना
लेकिन राज्य में इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई कर निकले शिक्षकों की कमी से यह सपना टूटता नजर आ रहा है, हालांकि शिक्षा सचिव के रवि कुमार के द्वारा हर जिले के डीसी को पत्र लिख कर वैसे शिक्षकों को चिह्नित करने को कहा गया है, जिनकी पढ़ाई लिखाई अंग्रेजी मीडियम स्कूलों से हुई है. पहले चरण में करीबन तीन हजार शिक्षकों की जरुरत है. यह स्थिति तब है जब मई माह से गर्मी की छुट्टी होने वाली है. ऐसे यह सवाल गहराने लगा है कि बैगर शिक्षकों के इस वर्ष से इन स्कूलों की शुरुआत कैसे होगी.
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