टीएनपी डेस्क (TNP DESK)-सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को सुप्रीम झटका देते हुए ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा को तीसरी बार सेवा विस्तार देने के फैसले को अवैध करार दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने लंबित मामलों को निपटाने के लिए उन्हे 31 जुलाई तक का समय दिया है, जिसके बाद उनका कार्यकाल समाप्त माना जायेगा और सरकार को नये निदेशक की खोज करनी पड़ेगी.
न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने सुनाया फैसला
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने ईडी निदेशक के कार्यकाल को अधिकतम पांच साल तक बढ़ाने के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम में संशोधन भी सुझाव दिया, कोर्ट ने कहा कि सरकार चाहे तो कानून बनाकर कार्यकाल में विस्तार कर सकती है, लेकिन अध्यादेश के सहारे कार्यकाल में विस्तार करना अवैध है.
दो वर्ष का होता है ईडी का कार्यकाल
ध्यान रहे कि पहले ईडी निदेशका का कार्यकाल दो वर्षों के लिए ही होता था, 1984-बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी संजय कुमार मिश्रा 2018 में ईडी के निदेशक बनाये गये थें, 2020 में इन्हे एक वर्ष का सेवा विस्तार मिला था. 2021 में सेवा समाप्त होने के बाद इन्हे दूसरा सेवा विस्तार दिया गया. दूसरे सेवा विस्तार की समाप्ति पर वर्ष 2022 में इन्हे तीसरा बार सेवा में विस्तार दिया गया. दूसरा सेवा विस्तार खत्म होने से पहले ही कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने एक वर्ष (18 नवंबर 2022 से 18 नवंबर 2023 तक) के लिए तीसरे सेवा विस्तार को मंजूरी दे दी थी.
अध्यादेश के जरिये दिया गया था तीसरा सेवा विस्तार
यहां यह भी बता दे कि संजय कुमार मिश्रा को तीसरी बार सेवा विस्तार देने के पहले केन्द्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आयी थी, जिसमें यह कहा गया था कि ईडी और सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल दो साल की अनिवार्य अवधि के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है. कोर्ट ने इसी अध्यादेश को अवैध करार दे दिया है, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने साफ किया है कि सरकार चाहे तो इस मामले में कानून का निर्माण कर सकती है, लेकिन अध्यादेश के जरिये सेवा विस्तार देना गलत है.
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