बिहार में सियासी उफान मीडिया का फितूर! सूत्रों और संकेतों के भरोसे सरकार बनाने-गिराने का खेल! ठोस तथ्यों से दूर तैरती कहानियां

लेकिन दूसरे पल अपने कोप भवन से सुशील मोदी का अवतरण होता है जो कहते हैं दरवाजे यदि बंद होते हैं, तो खुलते भी है, साफ है कि भाजपा के अंदर भी सीएम नीतीश को लेकर बेचैनी बड़ी हुई  है, जो सत्ता नीतीश की एक पलटी से दूर हो गयी  है, यदि  वही सत्ता नीतीश की दूसरी पलटी से वापस मिल जाती है, तो इसमें बुराई क्या है? बाकी को सियासत हैं ही पालबदल का नाम, राजनीति की इस गंगा में कौन बैगर पलटी और दुरभिसंधियों के आगे बढ़ा है, अब देखना होगा कि भाजपा का बंद दरवाजा कब खुलता है और कब सीएम नीतीश अपने जीवन की अंतिम कलाबाजी का प्रदर्शन करते हुए पूरे शान शौकत के साथ उसमें प्रवेश करते हैं, फिलहाल सब कुछ सूत्रों के हवाले हैं, आप भी इन तैरती कहानियों में से किसी एक सिरा पक़ड़ अपनी चाय का आनन्द ले सकते हैं.   

बिहार में सियासी उफान मीडिया का फितूर! सूत्रों और संकेतों के भरोसे सरकार बनाने-गिराने का खेल! ठोस तथ्यों से दूर तैरती कहानियां