रांची(RANCHI) - पूर्व शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की असामयिक मृत्यु के बाद खाली हुए डुमरी विधान सभा सीट के लिए राजनीतिक सरगरमी तेज हो गयी है. महागठबंधन और एनडीए दोनों ही ओर से अपने अपने राजनीतिक पांसे फेंके जा रहे हैं.जहां झामुमो कांग्रेस की कोशिश जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी को चुनावी अखाड़े में उतार कर सहानुभूति वोट बटोरने की है, वहीं रामगढ़ उपचुनाव में मिले जीत से गदगद आजसू रामगढ़ के बाद डुमरी के किले को भी ध्वस्त करने का दावा कर रही है.
भाजपा का जीत का दावा
भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने एनडीए की जीत का दावा करते हुए कहा है कि 2019 में इस सीट से झामुमो का विजय महज एक चूक से हुई थी, उस समय आजसू और भाजपा अलग-अलग चुनाव लड़ा था, जिसका खामियाजा भाजपा और आजसू दोनों को ही उठाना पड़ा था, यदि तब के आजसू और भाजपा को प्राप्त मतों को एक साथ जोड़ दिया जाय तो यह संख्या झामुमो को प्राप्त कुल मतों से करीबन 1800 से अधिक ही होता है. इस बार झामुमो को भाजपा और आजसू की संयुक्त ताकत का मुकाबला करना होगा और हमारी जीत महज एक औपचारिकता है.
भाजपा आजसू में कौन होगा उम्मीवाद, अभी नाम तय नहीं
हालांकि भाजपा आजसू में से कौन इस सीट पर अखाड़े में उतरेगा, अभी इसकी घोषणा नहीं की गयी है, लेकिन डुमरी विधान सभा का सामाजिक समीकरण को देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह सीट आजसू के खाते में ही जायेगी. आजसू प्रवक्ता देवशरण भगत ने कहा है कि अभी इस मामले में मंथन का दौर जारी है, दोनों पार्टियां बैठकर ही इसका फैसला करेगी, लेकिन उम्मीवार चाहे जिसका हो, हम पूरी ताकत से मैदान में उतरेंगे.
झामुमो को सहानुभूति लहर पर विश्वास
इस बीच कांग्रेस प्रवक्ता राजेश सिन्हा ने आजसू भाजपा सहित दूसरे सभी उम्मीदवारों से डुमरी विधान सभा में पत्याशी नहीं उतारने का अनुरोध किया है, स्वर्गीय जगरनाथ महतो के किसी परिवार को ही डुमरी विधान सभा से निर्वाचित कर विधान सभा में भेजना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. हालांकि डुमरी विधान सभा में जगरनाथ महतो को पराजित करना एक टेढ़ी खीर माना जाता है, पक्ष हो या विपक्ष हर कोई यह स्वीकार करता है कि टाईगर जगरनाथ का जलबा डुमरी विधान सभा में सर चढ़ कर बोलता है.
4+