पटना(PATNA)- जातीय जनगणना के सवाल पर पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार को एक और झटका दिया है, हाईकोर्ट ने इस मामले में नियत समय के पहले सुनवाई करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट के रुख से साफ है कि वह इस मामले में 4 जून से पहले सुनवाई करने नहीं जा रही है, जबकि नीतीश सरकार इसे जल्द से जल्द पूरा करना चाहती है. इस बीच खबर यह है भी है कि जातीय जनगणना के सवाल पर सरकार दूसरे सभी विकल्पों पर विचार कर रही है, यदि जरुरत पड़ी तो वह विधान सभा से इस आशय कानून भी बना सकती है, जिसका हवाला देकर जातीय जनगणना को रोकने की मांग की जा रही है.
किन-किन विकल्पों पर विचार कर रही है सरकार
ध्यान रहे कि जातीय जनगणना के विरोधियों का तर्क है कि राज्य सरकार को जातीय जनगणना का कानूनी अधिकार नहीं है, यह केन्द्र सरकार का मामला है, बिहार सरकार की कोशिश अब आर्थिक सामाजिक जातीय सर्वेक्षण का शक्ल देकर पिछड़ी जातियों की जनसंख्या को पता लगा सकती है और आर्थिक सामाजिक जातीय सर्वेक्षण के विधान सभा से प्रस्ताव पारित कर कानून का निर्माण कर सकती है, दूसरा विकल्प हाईकोर्ट के फैसले को देश की सर्वोच्च अदालत में चुनौती देने की भी है.
जातीय जनगणना के सवाल पर केन्द्र सरकार को घेरने की तैयारी
इन कानूनी विकल्पों के साथ ही जातीय जनगणना के मुद्दे पर राजनीतिक लड़ाई को छेड़ने की भी तैयारी है. इसके तहत जातीय जनगणना के मुद्दे पर व्यापक मोर्चेबंदी कायम कर केन्द्र के सरकार को घेरने की तैयारी है, माना जा रहा कि कर्नाटक चुनाव के बाद इस मुद्दे पर सभी विपक्षी दलों की एक बड़ी बैठक पटना में हो सकती है, जिसके बाद इस मुद्दे को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाया जा सकता है.
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