झारखंड में उग्र हुआ कॉमन सिविल कोड का विरोध, आदिवासी महासभा की चेतावनी प्रथागत कानूनों से छेड़छाड़ बर्दास्त नहीं

सवाल यह है क्या हम कॉमन सिविल कोड के नाम पर आदिवासी समाज के परंपरागत कानूनों को जमींदोज करेंगे? उनके प्रथागत कानूनों पर हम अपने तथाकथित सभ्य कानूनों को थोपेंगे? फिर भारतीय संविधान के तहत उन्हे दिये गये विभिन्न अधिकारों का क्या होगा? उनकी स्वायत्तता का क्या होगा? छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट और संताल टेनेंसी एक्ट का क्या होगा? एक नस्लीय समाज के समाज के रुप में आदिकाल से वह जिस परंपराओं और प्रथागत कानूनों का पालन कर रहे हैं, उसका क्या होगा?

झारखंड में उग्र हुआ कॉमन सिविल कोड का विरोध, आदिवासी महासभा की चेतावनी प्रथागत कानूनों से छेड़छाड़ बर्दास्त नहीं