Ranchi- झारखंड में अफसरों की लूट कोई नयी नहीं है, नौकरशाहों और सफेदपोशों की संयुक्त लूट के कई किस्से और कहानियां सत्ता के गलियारों में घूमती-फिरती रहती है, और आये दिन अखबारों की सुर्खियां भी बनती है, लेकिन झारखंड के इतिहास में पहली बार एक अधिकारी के द्वारा अपने ‘साले साहेब’ के साथ झारखंड को लूटने की खबर सामने आयी है और यह कोई सत्ता के गलियारे में घूमती कहानी नहीं है, बल्कि सबूतों और तथ्यों के आधार पर पीएमएलए की धारा 66 (2) के तहत अग्रेतर कार्रवाई के लिए सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट का हिस्सा है.
सीएम हेमंत के पूर्व प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का के विरुद्ध सरकार के भेजे गये इस रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि एक्का के द्वारा जिस लूट को अंजाम दिया जा रहा था, उसमें राजीव अरुण एक्का के साले निशीथ केसरी की सबसे अहम भूमिका है, यह निशीथ केशरी ही था जिसने अपने पुराने मित्र विशाल चौधरी को राजीव अरुण एक्का से दोस्ती करवाया और उसके बाद इस तिकड़ी ने लूट के एक से बढ़कर एक कहानियों को अंजाम दिया.
ईडी की माने तो विशाल चौधरी ने सबसे पहले निशीथ केसरी को अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी एफजीएस का निदेशक बनाया, इधर निशीथ केसरी को निदेशक की कुर्सी सौंपी गयी, उधर टेंडर मैनेजमेंट का खेल शुरु हो गया, और बाजार मूल्य से तीन-तीन गुणा अधिक की राशि पर खरीद की जाने लगी. इस राशि का एक बड़ा हिस्सा निशीथ के हाथों होते हुए राजीव एरुण एक्का के परिजनों के खाते में पहुंचने लगा.
दावा किया गया है कि सबसे पहले विशाल चौधरी ने पुनदाग इलाके में 59 डिसमिल जमीन की खरीद की, और फिर निशीथ को इसका डेवलपर बना दिया, और इस प्लौट को डेवलप करने के लिए निशीथ को 1.36 करोड़ रुपया का नगद भुगतान भी किया. हालांकि इस पूरे खेल में निशीथ का एक भी पैसा नहीं लगा, बावजूद इसके उसे 60 फीसदी का शेयर दिया गया. यही कमाई बाद में राजीव अरुण एक्का के परिजनों तक पहुंचा. दावा य़ह भी किया गया है कि 1.36 की जो राशि निशीथ को नगद दी गयी थी, बाद में निशीथ ने उसी पैसे को बैंक के माध्य्म से विशाल चौधरी को वापस कर दिया. इस प्रकार वह इस पूरे प्लॉट का मालिक बन गया.
निशीथ के जिम्मे कंस्ट्रक्शन तो विशाल चौधरी ने संभाला ट्रांस्फर-पोस्टिंग का धंधा
ईडी का दूसरा दावा है कि इधर निशीथ को एक कंपनी का निदेशक बनाया गया और उधर विशाल चौधरी ने ट्रांस्फर-पोस्टिंग का धंधा शुरु कर दिया. पोस्टिंग के नाम पर अधिकारियों से उगाही की शुरुआत हो गयी. इस कमाई का पूरा हिसाब किताब विशाल चौधरी के पास ही रहता था.
काली कमाई का ईमानदारी से हिसाब किताब रखने के लिए कोर्ड वर्ड का इजाद
ईडी की माने तो इस काली कमाई का लेखा जोखा रखने के लिए कोर्ड वर्ड की रचना की गई, ताकि किसी को इसकी भनक भी नहीं लगे. दावा किया जाता है कि राजीव एक्का के लिए आर सर, अपनी पत्नी के लिए एसएसपी, लाख के लिए ‘फाइल’ और करोड़ के लिए ‘फोल्डर’ जैसे कोर्डवर्ड का इजाद किया गया.
विशाल चौधरी के निजी कार्यालय में बैठकर सरकारी फाइलों को निपटाने का लगा था आरोप
सीएम हेमंत के पूर्व प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का पहली बार सुर्खियों तब आये थें, जब उन पर सत्ता के गलियारे में ब्रोकर की पहचान बना चुके विशाल चौधरी के निजी कार्यालय में बैठकर सरकारी फाइलों को निपटाने का गंभीर आरोप लगा था. हालांकि बाद में जब ईडी ने इस संबंध में उनसे पूछताछ की शुरुआत की तो उन्होंने अपने उपर लगे सभी आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आज तक का उनका कैरियर बेदाग है, उनकी कमाई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज भी वह एक आदिवासी बहुल इलाके में छोटे से आवास में रहते हैं. प्रथम दृष्टया उनकी कोशिश अपनी आदिवासी पहचान को सामने लाकर सहानुभूति अर्जित करने की थी.
वैसे आरोप सामने आने के बाद सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए प्रधान सचिव के पद से उनकी छुट्टी कर दी और ऐसा लगने लगा कि सारे आरोप तथ्यहीन हैं. लेकिन जैसे-जैसे ईडी ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाया, कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आयी. और इन सारे आरोपों की एक फाइल बनाकर ईडी ने पीएमएलए की धारा 66 (2) के तहत अग्रेतर कार्रवाई के लिए सरकार को भेज दिया.
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