रांची (TNP Desk) : अर्जुन मुंडा भारतीय जनता पार्टी के एक लोकप्रिय आदिवासी नेता हैं. उनकी पहचान झारखंड में आदिवासियों में एक कद्दावर नेता में होती है. वह वर्तमान में झारखंड के खूंटी निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, जनजातीय मामलों के मंत्री भी हैं. एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में, जनजातीय मामलों में अपनी विषय विशेषज्ञता और अपने सक्षम नेतृत्व के साथ, वह जनजातीय मामलों के मंत्रालय को अधिक ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं. उनके पास कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री का अतिरिक्त प्रभार भी है. खूंटी के सांसद के रूप में, उन्होंने कई योजनाओं में बहुत योगदान दिया है, खासकर स्वास्थ्य और रोजगार सृजन से संबंधित. एक खेल प्रेमी हैं. वह झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के संस्थापक थे और उन्होंने भारतीय तीरंदाजी एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है. वह बांसुरी और क्षेत्र में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले लगभग सभी आदिवासी संगीत वाद्ययंत्र भी बजाते हैं.
सात वर्ष के उम्र में ही अर्जुन मुंडा के पिता की हो गई थी मौत
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का जन्म अविभाजित बिहार के जमशेदपुर जिले में 3 मई 1968 को गणेश और सायरा मुंडा के घर हुआ था. जब अर्जुन केवल सात वर्ष के थे तब उनके पिता गणेश की मृत्यु हो गई. घर चलाने के लिए सायरा को खेतों में काम करना पड़ता था. अर्जुन मुंडा की शादी मीरा मुंडा से हुई है. इनके तीन बेटे हैं. इनकी पत्नी मीरा मुंडा बिजनेसवुमेन हैं और समाजसेवी भी हैं. केंद्रीय मंत्री ने इग्नू से पीजी डिप्लोमा किया है. सामाजिक विज्ञान में स्नातक करने वाले अर्जुन मुंडा को पारिवारिक परिस्थितियों के कारण खुद को शिक्षित करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा.
कम उम्र में ही झारखंड आंदोलन में हो गए थे सक्रिय
55 साल के अर्जुन मुंडा कम उम्र में ही झारखंड आंदोलन की ओर आकर्षित हो गये थे. अपने क्षेत्र के जनजातीय लोगों के कल्याण में विश्वास रखने वाले, उन्होंने इस मुद्दे के बारे में भावुक महसूस किया और आंदोलन में सक्रिय भाग लिया. जल्द ही वह विधायक के रूप में लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और 1995 से 2014 तक सेवा की. बीच में वह कुछ समय के लिए सांसद भी रहे. 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य के गठन के बाद, उन्होंने आदिवासी कल्याण मंत्री के रूप में कार्य किया और जल्द ही उन्हें मुख्यमंत्री घोषित कर दिया गया. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने कुछ प्रसिद्ध कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिनका बाद में अन्य भारतीय राज्यों ने अनुकरण किया.
अर्जुन मुंडा का सयासी सफर
अर्जुन मुंडा पहले आजसू में जुड़े, इसके बाद झामुमो में शामिल हुए. जेएमएम से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले अर्जुन मुंडा 1995 में पहली बार विधायक बने थे. उन्होंने जेएमएम के टिकट पर खरसावां विधानसभा सीट जीती. अलग झारखंड बनने के बाद साल 2000 में हुए चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए. भाजपा के टिकट पर 2000 के राज्य चुनावों में, अर्जुन मुंडा फिर से खरसावां से जीते, विधायक चुने जाने के बाद बाबूलाल मरांडी सरकार में मंत्री बने. झारखंड के 23 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी आदिवासी नेता को केंद्र में एक बड़े मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है.
35 साल के उम्र में अर्जुन मुंडा बने झारखंड के मुख्यमंत्री
वर्ष 2003 में 35 साल के उम्र में अर्जुन मुंडा झारखंड के मुख्यमंत्री बनाए गए. हालांकि इस दौरान वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और सितंबर 2006 तक राज्य की कमान संभाली. इसके बाद 2009 में जमशेदपुर से लोकसभा सीट से सांसद चुने गए लेकिन अगस्त 2010 में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा से खूंटी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा औऱ जीत हासिल की. उन्होंने कड़े मुकाबले में काली चरण मुंडा को 1,445 वोटों से हराया. अर्जुन मुंडा को 382638 वोट मिले, जबकि काली चरण मुंडा को 381193 वोट हासिल हुए. एक बार फिर भाजपा ने उन्हें खूंटी से लोकसभा उम्मीदवार बनाया है.
करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं अर्जुन मुंडा
केंद्रीय मंत्री व खूंटी से भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं. लेकिन अर्जुन मुंडा अपनी पत्नी मीरा मुंडा से गरीब हैं. उनके परिवार की चल व अचल संपत्ति तकरीबन आठ करोड़ रुपये है. उनके परिवार की चल संपत्ति 7,35,11,753 रुपये है. अचल संपत्ति में उनके पास 7,36,000 तथा उनकी पत्नी के नाम 54,09,360 रुपये की है. अर्जुन मुंडा के पास नगद 2,94,347 रुपये, जबकि उनकी पत्नी के पास 30,348 रुपये है. बैंक में जमा 83,45,524 रुपये तथा उनकी पत्नी के नाम 1,84, 88,970 रुपये है. उन्होंने 1,70,0000 रुपये तथा उनकी पत्नी 1,76, 75,365 रुपये निवेश किया है. अर्जुन मुंडा पर कोई लोन नहीं है. उनके पास तीन वाहन हैं. इनमें मारूति सुजूकी की एक जेन, फोर्ड एवं तीसरी गाड़ी बोलेरो है. उनकी पत्नी के पास उनसे महंगी 29 लाख रुपये की गाड़ी फॉर्चुनर है. केंद्रीय मंत्री के पास 1,11,450 रुपये मूल्य के सोने के जेवरात हैं. जबकि उनकी पत्नी के पास 7,47,389 रुपये के जेवरात हैं. अर्जुन मुंडा के पास 59,889 रुपये तथा उनकी पत्नी के पास 86,24,393 रुपये की अन्य तरह की संपत्ति है.
अर्जुन मुंडा की उपलब्धियां
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा पांच सालों में अपने कार्यकाल के दौरान खूंटी लोकसभा क्षेत्र में कई काम किये. खूंटी की जनता को विभिन्न विकास योजनाओं से जोड़ा. जनजातीय बच्चों के बेहतर शैक्षणिक विकास के लिए एकलव्य आदर्श विद्यालय खोलने की योजना बनाई. खूंटी में बाईपास सड़क निर्माण. खूंटी में वृहत स्तर पर स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर जनजातीय क्षेत्रों में एनीमिय, सिकल सेल, आंख, दांत समेत विभिन्न बीमारियों का उपचार अनुभवी डॉक्टरों से कराकर एकसाथ मुफ्त में दवाईयां भी उप्लब्ध करायी गईं.
खूंटी में जातीय समीकरण
खूंटी की पहचान महान क्रांतिकारी भगवान बिरसा मुंडा के नाम से है. यहां का जातिगत समीकरण ये है कि यह आदिवासी जनजातीय समुदाय के लिए आरक्षित सीट है. यहां लगभग 60 प्रतिशत से उपर आदिवासी वोटर हैं. उसमें भी मुंडा, मिशनरी और उरांव सहित आदिवासियों की अलग-अलग समुदाय है. वहीं शहरी क्षेत्र में देखें तो जेनरल, ओबीसी, पिछड़ी की संख्या काफी कम है. इसके बावजूद यहां भाजपा अपनी कुर्सी बचाये हुए हैं. खूंटी लोकसभा सीट मुख्य रूप से मुंडा जनजातियों के लिए जानी जाती है.
लोगों का क्या है कहना
खूंटी लोकसभा क्षेत्र के लोगों का कहना है कि अर्जुन मुंडा ने लोगों को सिर्फ ठगने का काम किया है. मोदी की गारंटी सिर्फ कागजों में है. बेघरों को अभी तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है. इस बार अर्जुन मुंडा को विपक्षी उम्मीदवार से कड़ी टक्कर मिलेगी, क्योंकि यहां की जनता उनसे काफी नाराज हैं. हालांकि इंडिया गठबंधन की ओर से अभी तक उम्मीदवार की घोषणा नहीं हुई है. लेकिन कई नामों पर चर्चा चल रही है. सियासी विश्लेषकों का कहना है कि पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए खूंटी सीट से कांग्रेस उम्मीदवार अर्जुन मुंडा को चुनौती देते हुए नजर आ सकता है. यहां उनके सामने एंटी एनकंबेसी फैक्टर के साथ-साथ उनके कार्यकाल का लेखा-जोखा भी जनता करेगी.
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