Ranchiआज जैसे ही घड़ी की बड़ी और छोटी सुई पांच पर आपस में मिलेगी चतरा, हजारीबाग और कोडरमा में चुनावी शोर पर विराम लग जायेगा. और इसके साथ ही आगे का चुनावी संग्राम पांचवें चरण की ओर बढ़ जायेगा. जहां गिरिडीह, धनबाद, रांची और जमशेदपुर में 25 मई को मतदान होना है. लेकिन फिलहाल हम गिरिडीह के सियासी संग्राम की बात कर रहे हैं, जहां हजारीबाग, धनबाद और जमशेदपुर में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है. वहीं गिरिडीह में यह मुकाबला त्रिकोणीय बनता नजर आ रहा है, एक तरफ तीर धनुष पर सवार मुथरा महतो जैसे कद्दावर कुर्मी चेहरा हैं, वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी के वादों की गारंटी के साथ आजसू के ऱथ पर सीपी चौधरी हैं, लेकिन इन दोनों महारथियों के बीच झारखंड की सियासत में युवा तुर्क की पहचान बना चुके जयराम भी ताल ठोंक रहे हैं. यानि धनबाद, रांची, जमशेदपुर के आमने सामने के मुकाबले के बजाय गिरिडीह में त्रिकोणीय है. हालांकि इसके तीसरे कोण पर कौन खड़ा है? जमीन से आती रिपोर्ट के अनुसार अलग-अलग दावे और अलग-अलग राय है. लेकिन तमाम मत भिन्नता के बावजूद कोई भी सियासी जानकार आज जमीन पर जयराम के शोर को अनसुनी करने का जोखिम नहीं ले रहा.
इस मुकाबले में तीसरे छोर पर कौन खड़ा है?
एक तरफ सीपी चौधरी के पक्ष में खुद पीएम की हुंकार, तो चाचा मथुरा प्रसाद के पक्ष में कल्पना की दहाड़ के बीच एक पक्ष जयराम का भी है, जो बेहद सधे चाल से ना सिर्फ अपना उपस्थिति बनाये हुए है, बल्कि इस आकलन को भी एक चुनौती बना दिया है कि इस मुकाबले में तीसरे छोर पर खड़ा कौन है? गिरिडीह के सियासी हलचल पर नजर रखने वाले पत्रकारों का दावा है कि पीएम मोदी के हुंकार के बावजूद इस बार भाजपा का समर्थकों में एक प्रकार की चुप्पी है. शहरी मतदाताओं के बीच पीएम मोदी की चर्चा तो सुनाई पड़ रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा समर्थकों के बीच वह मुखरता दिखलायी नहीं पड़ती, दूसरी ओर मथुरा महतो के समर्थकों का भी यही हाल है, सियासी पार्टियों से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं को छोड़ कर अभी कोई कुछ भी खुले रुप से बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन जयराम के समर्थक जो मुख्य रुप से युवा और जिनकी उपस्थिति सोशल मीडिया पर मजबूती के साथ देती है, जयराम के पक्ष में बैटिंग करते दिखलायी देते हैं. लेकिन विरोधियों का दावा है कि जयराम की यह सारी सेना मतदान के दिन ढेर होने वाली है. अंतिम मुकाबला सीएम चौधरी और मथुरा महतो के बीच ही होना है. वहीं जयराम समर्थकों का दावा है कि जयराम की इंट्री से परंपरागत सियासी पार्टियों की नींद उड़ी है, और इसी सियासी बेचैनी में जयराम को नजर अंदाज करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन चार जून को जब नतीजा सामने आयेगा, सच सबके सामने होगा.
चार जून को सामने आयेगी सच्चाई
अब किसके दावे में कितना दम है, इसका पत्ता को 4 जून को लगेगा, लेकिन इतना साफ है कि पांच वर्षों की एंटी इनकम्बेंसी और गिरिडीह लोकसभा से गायब रहने के आरोपों के बावजूद सीपी चौधरी मजबूती के साथ मैदान में खड़े हैं, और इसका कारण पीएम मोदी का चेहरा है, दूसरी ओर मथुरा महतो के साथ झामुमो की पूरी फौज खडी है. पूर्व सीएम हेमंत की गिरफ्तारी का असर भी गिरिडीह में देखने को मिल रहा है
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