टीएनपी डेस्क (TNP DESK):-ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे ने देश को हिला दिया, आज सूचना क्रांति और इटरनेट की तेज भागती दुनिया में इतना बड़ा रेल हादसा चौकाता है, और कई सवाल खड़े करता है. 200 से ज्यादा यात्रियों ने बेमतलब औऱ बेवक्त मौत देखा. रेलवे की पटरियों पर खून से सनी लाशे बिछ गई,चिख-पुकार, तड़प, बेचारगी, अफसोस औऱ बेबसी का मंजर साफ-साफ दिखा . इस खौफनाक हादसे ने तो इंसान को अंदर से तोड़कर रख दिया, जिसके हरे जख्म भरने में वक्त लगेगा.
आजादी के बाद देश में कई ट्रेन हादसे का गवाह बना , कई मुसाफिरों ने अकाल मौत देखा. खूब चीख-पुकार और हो हल्ला मचा, इसपर कुछ वक्त तो नजरे भी गई और लगाम भी लगा रहता है. लेकिन, बाद में फिर वही दर्दानक दुर्घटानाएं की तस्वीर सामने आते रहती है. आज हम देश के सबसे बड़ी औऱ दुनिया की दूसरी सबसे बड़े रेल हादसे से रुबरू करवातें हैं. जो इतना खौफनाक, दर्दनाक और लाचार करने वाला था. जिसकी भर से ही शरीर में सिहरन दौड़ पड़ती है. रेल के बोगियों की नदीं पर गिरी तस्वीरें आज भी इंटरनेट पर मौजूद है. जो यह तस्दीक करने के लिए काफी है कि वह मौत की ट्रेन थी, जिसने कईयों की जिंदगी लील गई .
6 जून 1981 का मनहूस दिन
आज से चार दशक पहले. वह मनसूह तारीख थी 6 जून 1981. इसी दिन जब बिहार के मानसी से सहरसा की तरफ यात्रियों से भरी खचाखचा ट्रेन रफ्तार से पटरियों पर दोड़ रही थी. सभी मुसाफिर अपने-अपने काम में मशगूल हंसी-मजाक के साथ अपने-अपने स्टेशन आने का इंतजार कर रहे थे. 9 बोगियों वाली इस ट्रेन का वक्त तब खराब हो गया. जब शाम तीन बजे ट्रेन बदला घाटी पहुंची. थोड़ी देर रूकने के बाद धीरे-धीरे धमारा घाटी की तरफ चली. कुछ दूरी तय करने के बाद मौसम का मिजाज बदलने लगा. तेज हवा बहने के बाद बारिश भी होने लगी. अंधड़-तूफान औऱ पानी की बरसती बूंदें के चलते , अपनी हिफाजत के लिए लोग खिड़कियां और दरवाजे बंद करने लगे. तब तक ट्रेन पुल संख्या 51 के पास अपनी रफ्तार से पटरियों पर बेतहाशा तेज दौड़ रही थी, तब ही अचानाक ड्राइवर ने ब्रेक लगा दिया. इसके बाद ट्रेन की 9 बोगियां उफनती बागमती नदी पर जा गिरी. अचानक चीख-पुकार औऱ कोहराम मच गया. बताया जाता है कि कई दिनों तक ट्रेन की बोगियों में ही लाशे फंसी रही. अपनों की तलाश में लोग कई दिन वहां गुजारें. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 300 लोगों के मौत की बात कही गई. लेकिन, चश्मदीदों के माने तो काल के गाल में 800 लोग समा गये थे. कुछ का तो ये भी कहना था कि 1000 से ज्यादा लोगों ने इस रेल दुर्घटना में अपने प्राण गंवाये.
हादसे के पीछे कई कहानियां
इस दिल दहला देने वाले हादसे के पीछे तरह-तरह की कहानियां सामने आयी थी. कोई कहता है कि, जब ट्रेन बागमती नदी पार कर रही थी. तब ही, ट्रेक पर गाय और भैंसों का झुंड सामने आ गया, इसके बचाने के चक्कर में ड्राइवर ने ब्रेक लगाया. इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि आंधी,तूफान और तेज बारिश के चलते ट्रेन की खिड़कियां बंद कर दी गई थी, जिसके चलते ट्रेन पर दबाव बन गया और ब्रेक लगने के बाद ट्रेन नदीं में चली गई. वैसे आज भी यह पहेली ही बना हुआ है कि आखिर ड्राइवर ने ब्रेक क्यों लगायी थी. क्या वजह रही कि उसने ये कदम उठाया.
दुनिया का सबसे बड़ा रेल हादसा
बिहार का रेल हादसा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी रेल दुर्घटना भी थी. वैसे विश्व की सबसे बड़ी ट्रेन दुर्घटना श्रीलंका में 2004 में हुई थी. जब सुनामी की तेज लहरों में ओसियन क्वीन एक्सप्रेस समा गई थी. इस दर्दनाक हादसे में 1700 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाया.
देश में कई बड़े-बड़े रेल हादसे हुए हैं, जहां वक्त से पहले, बेमतलब के लोगों ने अपनी जान गंवाई है. लाजामी है कि बगैर लापरवाही के रेल दुर्घटनाएं नहीं होती है. अभी बालासोर में घटा रेल हादसा भी कम भयावह नहीं है. दुर्घटनाएं न हो, इसे लेकर हमारे सिस्टम को चुस्त-दुरुस्त करना होगा. हर हादसे से सबक लेनी होगी. क्या कमी रह गयी है. इसे दूर करनी होगी. तब ही हम इस अनजान और खतरनाक खतरें से निपट सकेंगे और रेल यात्रियों की बेशकिमती जिंदगियां बचेगी.
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